भरोसे के सम्मेलन पर कांग्रेस और बीजेपी में छिड़ी जंग, एक दूसरे पर पलटवार जारी
रायपुर, छत्तीसगढ़। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रधानता में दुर्ग जिले के सांकरा, पाटन में आयोजित भरोसे का सम्मेलन (Bharose Ka Sammelan) पर विपक्षी पार्टी की प्रतिक्रिया सामने आई है। जिसमे भाजपा (BJP) ने तंज कसते हुए कहा कि प्रदेश की जनता का कांग्रेस सरकार (Congress Government) से भरोसा उठ चुका है। कांग्रेस ने भी पलटवार कर जबाब दिया है। कांग्रेस (Congress) ने कहा कि जनता से भरोसा उठने के कारण भाजपा सत्ता से बाहर है और अब उनके कार्यकर्ता ही अपने नेताओं पर भरोसा नहीं कर रहे हैं।
सिंहदेव इतने बड़े कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, आस्ट्रेलिया भ्रमण कर रहें: धरमलाल कौशिक
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक (Former Assembly Speaker Dharamlal Kaushik) ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) अपने भरोसे सम्मेलन का पूरे प्रदेश में गुणगान गा रहें है, लेकिन वह अपने वरिष्ठ मंत्री को ही भरोसा नहीं दिला पाए। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdev) इतने बड़े कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए और आस्ट्रेलिया भ्रमण कर रहें है। सिंहदेव एक ऐसे मंत्री है जिन्होंने सरकार को यहां तक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने घोषणापत्र में जो वादे किए वह पूरे नहीं हुए। सिंहदेव को भी सरकार पर भरोसा नहीं रहा।
भरोसे का सम्मेलन नहीं है, परोसने का सम्मेलन हो गया: अजय चंद्राकर
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कांग्रेस पर घोषणा पत्र को लेकर तंज कसा है। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने अपना बयान देते हुए कहा कि कांग्रेस के सत्ता में आने का मुख्य कारण था उनका घोषणा पत्र था। भले ही वह झूठा निकल गया है, यह अलग विषय है। जैसे ही सरकार बनी वैसे ही घोषणा पत्र समिति के TS Singhdev आउट हो गए। भरोसे का सम्मेलन नहीं है, परोसने का सम्मेलन हो गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पाटन में अपने विधानसभा क्षेत्र में यह आयोजन करा रहे हैं, इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री का खुद का ही भरोसा हिल गया है।
कांग्रेस का पलटवार :
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (President Sushil Anand Shukla) ने कहा कि भाजपा (BJP) के कार्यकर्ताओं को अपने नेताओं पर भरोसा नहीं है। गोठान जाते हैं तो कार्यकर्ता उनको भगा देते हैं। भरोसे के सम्मेलन में जो मर्म है, भाजपा के लोग नहीं समझ पाएंगे। भाजपा विपक्ष में है, तो उनको बयान देने की मजबूरी है। वास्तव में भाजपा के नेताओं के प्रति उनके कार्यकर्ताओं का ही भरोसा उठ गया है। केंद्रीय नेतृत्व को स्थानीय नेताओं पर भरोसा नहीं है। केंद्रीय संगठन जो कार्यक्रम देता है, उसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
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