धान की विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने खुला अनोखा बैंक

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक ऐसा बैंक तैयार किया गया है, जहां रुपए का लेन-देन नहीं, बल्कि कर्ज के रूप में धान की देशी किस्मों के बीज किसानों को दिए जाएंगे।
देशी धान की प्रजाति के बीजों का खुला बैंक
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राज एक्सप्रेस। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में देशी धान की प्रजाति के बीजों का बैंक खुला। बस्तर जिले में एक ऐसा बैंक तैयार किया गया है, जहां रुपए का लेन देन नहीं, बल्कि कर्ज के रूप में धान की देशी किस्मों के बीज किसानों को दिए जाएंगे। इसके एवज में कोई शुल्क भी नहीं लिया जाएगा।

बैंक के सदस्य प्रभाती भारत ने बताया कि, 170 देशी किस्म के धान बीज एकत्र करने में 17 साल लग गए हैं। उन्होंने बताया कि, इस बैंक में फसल उत्पादन के बाद किसानों को डेढ़ गुना बीज वापस करना होगा।

बैंक के सदस्य प्रभाती भारत ने बताया-

पूसा इंस्टीट्यूट दिल्ली के कृषि वैज्ञानिक डॉ. एस के श्रीवास्तव ने करीब 1987 में छत्तीसगढ़ में धान की देशी प्रजाति को लेकर रिसर्च किए थे, जिसमें बस्तर में करीब 1500 किस्म के देशी धान मिले थे। उन्होंने बताया कि, इसमें अब तक करीब 170 किस्म के धान बीज एकत्र कर चुके हैं। इसके अलावा करीब 400 देशी प्रजाति का धान बीज एकत्र किया जा रहा है।

बस्तर में देशी धान की प्रजाति के बीजों का खुला बैंक

  • इस बैंक की शुरुआत जगदलपुर ब्लॉक में स्थित ग्राम छोटे गारावंड की तेजस्वी महिला समूह की महिलाएं कर रही हैं।

  • इन्होंने अब तक धान की करीब 170 देशी किस्मों को स्थानीय तरीके से सहेजा है।

  • जलवायु परिवर्तन तथा अन्य पर्यावरणीय कारणों से समय के साथ परंपरागत कृषि पद्धतियों में बदलाव आ रहा है।

  • इससे किसान अधिक उत्पादन के लिए हाईब्रिड बीजों का प्रयोग बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।

  • इससे देशी किस्मों के बीज विलुप्ति के कगार पर हैं। इसे बचाने यह प्रयास किया जा रहा है।

आप को बताते चलें हाल ही में महिलाओं के रोजगार के साथ स्वच्छता की मिसाल बना 'बर्तन-थैला' बैंक, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में खोला गया है। नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर-

छिंदवाड़ा में खुला 'बर्तन-थैला' बैंक

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