सरगुजा रियासत के 118वें महाराज को बहुत चुभेगी 94 वोट से मिली हार, सपने संजोये थे CM बनने के, अब विधायक भी नहीं
हाइलाइट्स
19वीं शताब्दी के आते-आते सरगुजा रियासत सेंट्रल इंडिया एजेंसी के अधीन थी।
इस रियासत में आदिवासियों की विभिन्न जातियां निवास करती थे।
पहले राजा 1678 -1709 बैहा दादू सिंह देव थे।
Chhattisgarh Defeated Cabinet Ministers 2023 : अंबिकापुर। सरगुजा रियासत के 118वें महाराज को 94 वोट की हार बहुत चुभेगी उनके जीवन की यह पहली हार थी और सबसे बड़ी भी। चूंकि उन्होंने राज्य का मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोया था और अब विधायक तक नहीं रहे। रियासत में भले ही वह महाराज कहलाएं लेकिन विधानसभा क्षेत्र में उन्हें सामान्य नेता के तौर पर ही माना जायेगा। रियासत के इस महाराज की हार का किस्सा जानने से पहले आप इनका नाम जान लीजिए...।
सरगुजा रियासत 16वीं शताब्दी से मध्य भारत प्रांत में अस्तित्व में आई। शुरुआती दौर में इनका राज्य वर्तमान छत्तीसगढ़ में रहा इसके बाद 19वीं शताब्दी के आते-आते सरगुजा रियासत सेंट्रल इंडिया एजेंसी के अधीन हो गई। इस रियासत में आदिवासियों की विभिन्न जातियां निवास करती थे और इस रियासत के पहले राजा 1678 -1709 बैहा दादू सिंह देव थे। बैहा दादू सिंह देव वर्तमान में छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के पूर्वज थे। टी एस सिंहदेव इस समय सरगुजा रियासत के 118 वें महाराज है।
ब्रिटिश राज के दौरान सरगुजा राज्य मध्य भारत की प्रमुख रियासतों में से एक था, पहले इसे सेंट्रल इंडिया एजेंसी के अधीन रखा गया था, लेकिन 1905 में इसे ईस्टर्न स्टेट्स एजेंसी में स्थानांतरित कर दिया गया। यह राज्य एक विशाल पहाड़ी क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें गोंड, भूमिज, ओरांव, पनिका, कोरवा, भुईया, खरवार, मुंडा, चेरो , राजवार, नगेसिया और संथाल जैसे कई अलग-अलग लोगों के समूह रहते हैं। इसका पूर्व क्षेत्र वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है और इसकी राजधानी अंबिकापुर शहर थी, जो अब सरगुजा जिले की राजधानी है।
सरगुजा रियासत के राजा-महाराजा
1678 – 1709 बैहा दादू सिंह देव
1709 - 1728 बलभद्र सिंह प्रथम देव
1728 – 1749 जसवत सिंह देव
1749 - 1758 बहादुर सिंह देव
1760 – 17.. श्यो सिंह देव
1792 – 1799 अजीत सिंह देव
1799 - 1800 बलभद्र सिंह द्वितीय देव (पहली बार)
1800 – 1813 लाल सिंग्राम सिंह देव
1813 - 1816 बलभद्र सिंह द्वितीय देव (दूसरी बार)
1816-1820 कोई नहीं
1820 – 1851 लाल अमर सिंह देव
1851 - 25 मार्च 1879 इंद्रजीत सिंह देव
25 मार्च 1879 - 31 दिसंबर 1917 रघुनाथ शरण सिंह देव
31 दिसंबर 1917 - 1918 रामानुज शरण सिंह देव
महाराजा
1820 – 1851 लाल अमर सिंह देव
1851 - 25 मार्च 1879 इंद्रजीत सिंह देव
25 मार्च 1879 - 31 दिसंबर 1917 रघुनाथ शरण सिंह देव
1905 - राजाधिराज सूर्य प्रताप वर्मा
1918 - 15 अगस्त 1947 रामानुज शरण सिंह देव (महाराजा बहादुर)
2001 - टी. एस. सिंह देव (टाइटुलर महाराजा)
2013 के विधानसभा चुनाव के सबसे अमीर उम्मीदवार और सरगुजा की गद्दी पर बैठने वाले अंतिम गुरु त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव (टीएस सिंह देव) को इस बार विधानसभा चुनाव में मात्र 94 वोटों से हार मिली है। टीएस सिंह देव के सामने चुनावी मैंदान में भाजपा के प्रत्याशी राजेश अग्रवाल थे, जिनको 90 हजार 780 मत मिले जबकि टी एस सिंहदेव को 90 हजार 686 वोट मिले हालांकि नतीजे आने के बाद कांग्रेस के कार्यकताओं और टीएस बाबा के समर्थकों ने रिकाउंटिंग की मांग की थी, लेकिन पूणामतगणना के बाद रिजल्ट्स में कोई परिवर्तन नहीं आया। बता दें इससे पहले टीएस सिंह देव 2008 से अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र से 3 बार चुने गए हैं। 2018 के चुनावों में उन्होंने अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी अनुराग सिंह देव के खिलाफ 39,624 के अंतर से जीत हासिल की थी।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार पर डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव ने कहा, हमें अपनी हार का आत्ममंथन करना होगा। मीडिया के सारे सर्वे यहां फेल हो गए हमें उम्मीद थी कि बीजेपी को जितनी सीटें मिलीं, उतनी ही सीटें मिलेंगी. कांग्रेस का वोट नहीं घटा." हमारा वोट शेयर पिछली बार की तुलना में उतना ही था लेकिन बीजेपी अपना वोट शेयर 14% बढ़ाने में सफल रही। 32% से, वे 46% तक पहुंच गए।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में भूपेश बघेल कैबिनेट के उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव समेत 9 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है। टीएस सिंहदेव के अलावा, शिवकुमार डहरिया- आरंग विधानसभा सीट, गुरु रुद्र कुमार- नवागढ़ विधानसभा सीट, मोहम्मद अकबर- कवर्धा विधानसभा सीट, ताम्रध्वज साहू- दुर्ग ग्रामीण विधानसभा सीट, रविंद्र चौबे- साजा विधानसभा, अमरजीत भगत- सीतापुर विधानसभा सीट, जयसिंह अग्रवाल- कोरबा विधानसभा सीट और मोहन मरकाम- कोंडागांव विधानसभा सीट से चुनाव हारे है।
भूपेश बघेल की कैबिनेट के हारे मंत्री
सरगुजा की सीतापुर विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता रहा है, लेकिन इस बार कांग्रेस से अमरजीत भगत चार बार विधायक को हार का सामना करना पड़ा है। सीतापुर से बीजेपी प्रत्याशी पूर्व सैनिक रामकुमार टोप्पो ने अमरजीत भगत को 17160 वोटों के अंतर से हरा दिया है।
आरंग विधानसभा सीट से कैबिनेट के मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया को 16538 वोट के अंतर से भाजपा के प्रत्याशी गुरु खुशवंत साहेब ने हराया है।
नवागढ़ विधानसभा सीट से लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी एवं ग्रामोद्योग मंत्री और कांग्रेस के प्रत्याशी गुरु रूद्र कुमार को भाजपा के दयालदास बघेल ने 15177 वोटों के मार्जिन से हराया है।
कवर्धा विधानसभा सीट से परिवहन एवं वन मंत्री और कांग्रेस के प्रत्याशी मोहम्मद अकबर को भाजपा के प्रत्याशी विजय शर्मा ने 39592 वोटों के अंतर से हरा दिया दिया।
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा सीट से गृहमंत्री और कांग्रेस के प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू को भाजपा के ललित चंद्राकर ने 16642 मतों के अंतर से हराया।
बेमेतरा जिले की साजा विधानसभा से कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी रवींद्र चौबे को भाजपा के प्रत्याशी ईश्वर साहू ने 5,308 मतों से हराया है।
कोरबा विधानसभा सीट से छत्तीसगढ के वाणिज्य कर मंत्री और कांग्रेस के प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल को भाजपा के प्रत्याशी लखनलाल देवांगन पिता तुलसीराम देवांगन ने 25629 वोटों के अन्तर से हराया है।
कोण्डागांव विधानसभा सीट से छत्तीसगढ के पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और कांग्रेस के प्रत्याशी मोहन मरकाम को भाजपा की लता उसेण्डी ने 18572 वोटों के अंतर से हराया।
चित्रकोट विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज को भाजपा के विनायक गोयल 8370 मत के अंतर से हराया।
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