राज एक्सप्रेस। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने नये संसद भवन से संबंधित केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी 'सेंट्रल विस्टा' योजना (Central Vista Project) को मंगलवार को हरी झंडी दे दी। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने 2:1 से बहुमत का फैसला सुनाते हुए कहा कि परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय की ओर से दी गई हरी झंडी में कोई गड़बड़ी नजर नहीं आती।
न्यायमूर्ति खानविलकर और न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा भूमि उपयोग बदलने की अधिसूचना को भी सही ठहराया, जबकि न्यायमूर्ति खन्ना ने इसपर अपनी असहमति जताई। न्यायालय ने अपने 611 पन्नों के फैसले में कहा कि परियोजना को मंजूरी दिये जाने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। खंडपीठ ने कहा कि सेंट्रल विस्टा कमेटी से योजना को अनापत्ति प्रमाण पत्र भी मिल चुका था। इतना ही नहीं, इस योजना को दिल्ली अर्बन आर्ट कमीशन (डीयूएसी) एक्ट 1973 के तहत भी हरी झंडी मिली हुई थी।
खंडपीठ ने दिल्ली भवन नियमावली 2016 के उपबंध 1.12 के तहत हेरिटेज कंजरवेशन कमेटी (एचसीसी) की ओर से इस योजना को मिली मंजूरी को सही ठहराया। न्यायमूर्ति खानविलकर और न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा कि इस योजना के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) अधिनियम 1957 की धारा 11ए(2) के तहत केंद्र सरकार ने अपने अधिकारों को उचित इस्तेमाल किया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने असहमति के फैसले में कहा कि भूमि उपयोग में बदलाव में कानून का उचित पालन नहीं किया गया।
डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। इसमें राज एक्सप्रेस द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया है।
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