कोलकाता, भारत। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री का पद हासिल कर ममता बनर्जी ने वैसे तो चुनाव के बाद अपना परचम लहरा दिया था, लेकिन अब ममता बनर्जी की मुश्किलें कुछ बढ़ती हुई सी नजर आरही हैं। क्योंकि, यहां बात अब उनकी छवि को लेकर आगई है। दरअसल, पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव के बाद जो हिंसा हुई थी। उस हिंसा और दुष्कर्म मामले में चल रही जाँच की जिम्मेदारी अब देश की बड़ी जाँच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गई है। जिससे ममता दीदी की मुश्किलें कुछ बढ़ती हुई सी नजर आरही हैं।
CBI करेगी मामलों की जाँच :
जी हां, पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस पर हिंसा कराने के गंभीर आरोप लगाए थे। जिनका खंडन TMC शुरू से करती आरही है। वहीं, अब इस मामले में दायर याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए इस मामले की जांच की जिम्मेदारी देश की बड़ी जाँच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है। कोर्ट ने फैसला सुनते हुए कहा है कि, 'विधान सभा चुनाव के बाद हुई हिंसा सहित अस्वाभाविक मृत्यु, हत्या और दुष्कर्म सहित अन्य मामलों की जांच अब CBI करेगी।' कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा सुनाए गए इस फैसले से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है।
जांच के लिए SIT गठित :
कलकत्ता हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने की। पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाते हुए अन्य अपराधों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित की है। यह जांच कमेटी जाँच के बाद अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को देगी और इसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे। बताते चलें, एक बुज़ुर्ग महिला और नाबालिग लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी के सदस्यों पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि, 'पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन करने के कारण तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उनका सामूहिक दुष्कर्म किया और पुलिस उचित कार्रवाई नहीं कर रही है।'
NHRC की रिपोर्ट :
बताते चलें, पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) अध्यक्ष को 'चुनाव के बाद की हिंसा' के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आदेश दिया था। पैनल द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार को दोषी ठहराया गया था और उसने बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच CBI को सौंपने की सिफारिश की थी। NHRC की रिपोर्ट में कहा गया था कि, 'मामलों की सुनवाई राज्य के बाहर की जानी चाहिए। अन्य मामलों की जांच अदालत की निगरानी वाली विशेष जांच टीम (SIT) द्वारा की जानी चाहिए और न्यायिक निर्णय के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट, विशेष लोक अभियोजक और गवाह सुरक्षा योजना होनी चाहिए।'
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