अंग्रेज भी कांपते थे सुभाष चंद्र बोस से, देश को दिया 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचारों और योगदान को देखते हुए हर साल देशभर में उनका जन्मदिन पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
पराक्रम दिवस
पराक्रम दिवसSyed Dabeer Hussain - RE
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राज एक्सप्रेस। जब कभी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने वाले सबसे महान लोगों का जिक्र होता है, तो उनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम आना तो तय रहता है। सुभाष चंद्र बोस ने भारत को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया था। कई बार तो उन्हें आंदोलनों के चलते जेल भी जाना पड़ा, लेकिन नेताजी ने कभी भी हार नहीं मानी। नेताजी ने पूर्व स्वराज का सपना देखा था। जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की। उनके किए गए कामों से अंग्रेज भी कांपने लग जाते थे। आज नेताजी की 126वीं जयंती है। आज इस खास मौके पर हम आपके साथ नेताजी से जुड़ी कुछ खास बातें साझा करने वाले हैं।

आजादी से पहले बनाई सरकार :

बात उन दिनों की है जब भारत पर अंग्रेजी हुकूमत हुआ करती थी। लेकिन इसके बावजूद भी नेताजी ने 21 अक्बूर 1943 को सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की। इस सरकार के साथ आगे बढ़ते हुए उन्होंने अंग्रेजों का सफाया करना शुरू किया। जिसका परिणाम यह निकला कि देखते ही देखते अंग्रेजों को भारत से निकाल कर बाहर कर दिया गया। साल 1943 में गठित यह ऐसी सरकार थी जिसने लोगों में आजादी की लड़ाई की दिशा में एक नया जोश भर दिया।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा :

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजादी की लड़ाई उनके कॉलेज के दिनों से ही शुरू हो गई थी। उन्होंने कॉलेज में रहते हुए अंग्रेजों से खिलाफ अपने स्वर मजबूत करना शुरू कर दिया था। उन्हने अपनी कलम चलाने से लेकर आजाद हिन्द फौज का नेतृत्व करने तक, हर काम को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाया। नेताजी ने देश को तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया। इस नारे में सभी भारतवासियों में जोश की नई लहर जगाई।

पराक्रम दिवस :

नेताजी के सम्पूर्ण जीवन, उनके विचारों और उनके त्याग को देखते हुए उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। वे ऐसे सेनानी रहे जिन्होंने भारत की आजादी में अहम किरदार निभाया।

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