रूसी जिरकॉन की तूफानी रफ्तार से लैस होगी ब्रह्मोस मिसाइल, हाइपरसोनिक वर्जन पर काम शुरू
राज एक्सप्रेस। भारत और रूस ने मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल के हाइपरसोनिक वर्जन पर काम शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट को ब्रह्मोस-2 का नाम दिया गया है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके रूसी समकक्ष निकोलाई पत्रुशेव ने पिछले हफ्ते बैठक के दौरान ब्रह्मोस-2 के हाइपरसोनिक वैरिएंट के साझा विकास की संभावनाओं पर चर्चा की थी। शंघाई सहयोग संगठन के एनएसए स्तर की बैठक से इतर दोनों देशों के एनएसए की मुलाकात के दौरान रूस से रक्षा आपूर्ति और रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर बातचीत हुई। उल्लेखनीय है कि रूस हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से काफी आगे है। हाईपर सोनिक मिसाइल को आधुनिक युद्ध में गेम-चेंजर हथियार माना जाता है।
जिरकॉन की गति 11000 किमी प्रति घंटा
विदेश मंत्रालय में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि ब्रह्मोस-2 नाम की इस मिसाइल को बनाने में दुनिया की सबसे तेज गति से चलने वाली मिसाइल जिरकॉन की तकनीक का इस्तेमाल की जाएगी। जिरकॉन दुनिया की सबसे तेज गति से चलने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल है। जिरकॉन मिसाइल की गति 11000 किमी प्रति घंटा है और रेंज 1000 किमी तक की है। जिरकॉन को पनडुब्बी, युद्धपोत और जमीन पर मौजूद लॉन्च प्लेटफॉर्म से फायर किया जा सकता है। र्तमान में ब्रह्मोस दुनिया की एकमात्र ऐसी मिसाइल है जिसे जमीन, हवा, पानी और पनडुब्बी जैसे चार प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। इस मिसाइल को भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। ब्रह्मोस मिसाइल की वैरिएंट्स की रेंज 300 से 700 किलोमीटर के बीच है।
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2027 में हो सकता है ब्रह्मोस-2 का परीक्षण
बताया जाता है कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के हाइपरसोनिक वेरिएंट ब्रह्मोस-2 का डेवलपमेंट एडवांस स्टेज में है। ब्रह्मोस-2 की पहली उड़ान 2027 या 2028 में आयोजित की जा सकती है। ब्रह्मोस-2 को रूस की रिसर्च एंड प्रोडक्शन एसोसिएशन ऑफ मशीन-बिल्डिंग और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन एक साथ मिलकर विकसित कर रहे हैं। ब्रह्मोस-2 के विकास से भारत की सामरिक स्थिति में बहुतु बदलाव आ जाएगा। यह मिसाइल आधुनिक युद्धों में गेम चेंजर साबित होगी। चीन और पाकिस्तान के मोर्चे पर लगातार मिल रही चुनौतियों के दिनों में इससे भारतीय सेना की ताकत बढ़ेगी। इस लिहाज से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करके भारत ने रणनीतिक बढ़त हासिल की है।
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