भाजपा कर्नाटक में रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी : जगत प्रकाश नड्डा
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कर्नाटक विधानसभा के चुनाव परिणाम को विनम्रता से स्वीकार करते हुए शनिवार को कहा कि भाजपा राज्य में रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए जनता की आवाज उठाती रहेगी।
जेपी नड्डा ने देर शाम अपने ट्वीट में कहा, "भाजपा कर्नाटक की जनता के जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करती है। मैं पार्टी के मेहनती कार्यकर्ताओं को उनके प्रयासों के लिए तथा और हमारे विचार में विश्वास दिखाने वाले लोगों को धन्यवाद देता हूं।"
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा जनता की बेहतरी के लिए काम करती रहेगी और सक्रिय रूप से रचनात्मक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए जनता के हितों की आवाज उठाती रहेगी।
आज हुई मतगणना में भाजपा दक्षिण भारत के अपने एक मात्र गढ़ में सत्ता से बाहर हो गई। 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में भाजपा को 65 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस ने 135 सीटें जीत कर अच्छे बहुमत से सत्ता में वापसी की है। उत्तर प्रदेश में भी नगरीय निकायों के चुनावों में भाजपा को सभी 17 निगमों में जीत हासिल हुई है लेकिन नगर पालिकाओं में करीब आधी सीटें विपक्षी दलों के खाते में गई हैं।
जेपी नड्डा ने उत्तरप्रदेश निकाय चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह एवं प्रदेश भाजपा के समस्त कार्यकर्ताओं को बधाई दी और कहा कि यह विजय प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश में क्रियान्वित हो रही समावेशी एवं कल्याणकारी नीतियों पर जनता के विश्वास की जीत है।
कर्नाटक में विधानसभा के चुनाव में वैसे तो 40 प्रतिशत कमीशन, आतंकवाद, अडानी, भ्रष्टाचार, बजरंग दल बैन, लव जिहाद, तुष्टीकरण और मुस्लिम आरक्षण आदि आठ मुद्दे प्रमुख थे, लेकिन चुनाव परिणाम मुख्यत: कांग्रेस द्वारा सत्ताधारी भाजपा पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप और भाजपा द्वारा धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिशों के खिलाफ जनादेश के रूप में देखा जा रहा है।
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि उनके नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के असर और दूसरी ओर संसद की सदस्यता समाप्त किए जाने को लेकर जनता में सहानुभूति का बड़ा लाभ मिला है।
विश्लेषकों का मानना है कि दक्षिण भारत के इस प्रमुख राज्य में भाजपा ने पहली बार हिंदुत्व को चुनावी एजेंडे के तौर पर अपनाया था, मगर नतीजे बता रहे हैं कि कर्नाटक की जनता ने इस मुद्दे को नकार दिया है। बजरंग दल पर प्रतिबंध को बजरंग बली से जोडऩा हो या फिल्म द केरल स्टोरी को मुद्दा बनाना हो, भाजपा नेताओं की तमाम कोशिशों के बावजूद हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण नहीं हुआ, लेकिन इसका फायदा कांग्रेस को हुआ और मुस्लिम-ईसाई अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकृत हो गए।
भाजपा सूत्रों के अनुसार राज्य में पार्टी की आंतरिक कलह बड़ी मुसीबत बनी है। कर्नाटक भाजपा में कई धड़े बन चुके थे। एक मुख्यमंत्री पद से हटाए गए बीएस येदियुरप्पा का गुट था, दूसरा मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का, तीसरा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और चौथा भाजपा प्रदेश नलिन कुमार कटील का था। एक पांचवा गुट भी था, जो पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि का था। इन सभी गुटों में कार्यकर्ता घुट रहे थे। सभी के अंदर पावर गेम की लड़ाई चल रही थी। एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी में गुटबाजी के चलते ही टिकट बंटवारे में गड़बड़ी हुई। पार्टी के कई दिग्गज नेताओं का टिकट काटना भाजपा को भारी पड़ा है।
दस मई को 224 सीटों पर 2,615 उम्मीदवारों के लिए 5.13 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले। चुनाव आयोग के मुताबिक, कर्नाटक में 73.19 प्रतिशत मतदान हुआ है। यह 1957 के बाद राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा है।
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