भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी के युवराज शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारत- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शिखर वार्ता की और पारस्परिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के संबंध में एक दृष्टि-पत्र जारी किया। दोनों नेताओं ने पारस्परिक महत्व के सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी और शेख नाहयान की आभासी उपस्थि में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और नई दिल्ली आए यूएई के आर्थिक मामलों के मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मारी ने व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किए।उम्मीद है कि इस कारार से भारत और यूएई के बीच पहले से ही बेहतर आर्थिक वाणिज्यिक एवं निवेश संबंधों का विस्तार होगा और इससे पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 60 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 100 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंचाने में मदद मिलेगी।
श्री मोदी और शेख नाहयान ने 'भारत और संयुक्त अरब अमीरात की व्यापक रणनीतिक साझेदारी में प्रगति: नई सीमाएं, नए लक्ष्य' शीर्षक एक संयुक्त दृष्टिकोण-वक्तव्य जारी किया। यहां अधिकारियों ने कहा कि यह वक्तव्य दोनों पक्षों के बीच भविष्य-उन्मुख साझेदारी की एक वृहद व्यवस्था स्थापित करने वाला वक्तव्य है और इसमें चुनिंदा क्षेत्रों और परिणामों की पहचान की गयी है। उन्होंने कहा कि इसका साझा दोनों देशों के बीच अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन की समस्या से बचाव, उभरती प्रौद्योगिकियों, कौशल और शिक्षा, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रक्षा और सुरक्षा सहित विविध क्षेत्रों में सहयोग, व्यापार, निवेश और नवाचार को बढ़ावा देना है। दोनों नेताओं ने भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ और संयुक्त अरब अमीरात की स्थापना के 50वें वर्ष के अवसर पर संयुक्त स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।
श्री गोयल ने बात में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "भारत द्वारा अब तक किये गए मुक्त व्यापार समझौतों में अपने किस्म का पहला समझौता है। इसमें कई बाते नई है। मुक्त व्यापार व्यवस्था के तहत संयुक्त आरब अमीरात से आने वाले उत्पादों में कम से कम 40 प्रतिश्त मूल्यवर्धन यूएई में होने की शर्त है। उत्पाद के उद्गम स्थल का प्रमाण पत्र वहां का की सरकार करेगी ताकि कोई तीसरा देश इस मुक्त व्यापार समझौते का फायदा न उठा सके।"
श्री गोयल ने कहा कि इस समझौते से भारतीय उद्योगों , खास कर प्लास्टिक और खनिजों पर आधारित उद्योगों के लिए कच्चा माल और विनिर्माण में काम आने वाली मध्यवर्ती वस्तुओं की आपूर्ति सस्ती होगी। भारत-यूएई एफटीए से आने वाले पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार दो गुना होगा और देनों ही देशों में रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा होंगे।
उन्होंने कहा, ''यूएई में रोजगार के अवसर बढ़ने में भी भारत का लाभ है, क्योंकि भारत के 35 लाख लोग वहां काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूएई की सरकार ने कोविड के दौरान अपने यहां भारतीय लोगों को बड़ी सुरक्षा दी। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी शाह नाहयान का धन्यवाद कर चुके हैं। दोनों देशों ने रणनीतिक भागीदार का करार पहले ही कर रखा है और ऐसे में आपसी व्यापार और निवेश के संबंध में आज की नई पहल से आने वाले समय में भारत के चार्टड एकाउंटेंट और इंजीनियरिंग सेवाओं के पेशेवर लोगों के लिए भी अवसर खुल सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय स्टील उद्योग इस समझौते से हर्षित होगा क्योंकि केवल यूएई में बने इस्पात को भी इस समझौते के तहत आसान प्रवेश दिया जाएगा। उन्होंने कहा, "हमने समझौते में वहां से सोने के आयात को शुल्क मुक्त किया है। इसके बदले में हमारे रत्न आभूषण निर्यात को वहां मुक्त प्रवेश मिलेगा।"
एक सरकारी बयान के मुताबिक भारत-यूएई शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय और संयुक्त अरब अमीरात की संस्थाओं के बीच दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने की भी घोषणा की गई। इसमें से सहयोग का एक ज्ञापन खाद्य सुरक्षा कॉरिडोर पहल पर है, जिसमें भारत के वाणिज्य विभाग के तहत कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के व्यापार को प्रोत्साहित करने वाली एजेंसी- एपीडा, बंदरगाह कंपनी डीपी वर्ल्ड और यूएई की अल दाहरा के बीच समझौता ज्ञापन है।दूसरा ज्ञापन वित्तीय परियोजनाओं और सेवाओं में सहयोग के संबंध में है जिस पर भारत के गिफ्ट सिटी और अबू धाबी ग्लोबल मार्केट की ओर से हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा दोनों पक्ष जलवायु परिवर्तन के संबंध में कार्रवाई और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के समझौते पर भी सहमति हुई है।प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड महामारी के दौरान वहां रह रहे भारतीय समुदाय की देखभाल करने के लिए अबू धाबी के शेख नाहयान को धन्यवाद दिया। श्री मोदी ने श्री नाहयान को भारत की शीघ्र यात्रा करने के लिए भी आमंत्रित किया।
श्री गोयल ने कहा कि शेख नाहयान भारत में यूएई की ओर से 75 अरब डॉलर के निवेश का इरादा पहले ही घोषित कर चुके हैं। वहां के सावरेन (सरकारी) निवेश कोष ने भारत में एनआईआईएफ (नेशनल इन्फ्रा स्ट्रक्चर निवेश कोष) के साथ भागीदारी में निवेश की योजना बनायी है।उन्होंने कहा कि यह समझौता भारत के कृषि और पशु आधारित उत्पाद क्षेत्र के लिए बड़े अवसरों का समझौता है। भारत के बोवाई मीट (भैंस के मांस) को यूएई के बाजार में शुल्क मुक्त प्रवेश मिलेगा।
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