बिहार : हर साल बाढ़ से प्रभावित होने वाले बिहार के हालात इस साल भी काफी बद से बदतर होते नजर आ रहे हैं। एक तरफ बिहार कोरोना का दंश झेल रहा है वहीं दूसरी तरफ लगातार हो रही भरी बारिश से आई बाढ़ से कई बिहार के कई बुरी प्रभावित हुए हैं। ऐसे हालातों में यहां के लोग अपना सबकुछ खोने के बाद तटबंधों पर पनाह ले रहे हैं।
बिहार में बाढ़ के हालात :
दरअसल, बिहार में हर साल तेज बारिश होने के चलते बाढ़ आने से बेस बसाये जिले बाढ़ की चपेट में आने से बह जाते हैं। इस साल भी आई बाढ़ में लगभग 10 से अधिक जिले बाढग्रस्त हो चुके हैं। बाढ़ में फसे लोगों की परेशानियां कोरोना संकट में और अधिक बढ़ गई है। क्योंकि यह लोग बाढ़ में पहले ही अपना घर, सामान और खेत खो चुके हैं। उत्तर बिहार में बाढ़ और कोरोना संकट के बीच लगभग सात लाख लोग तटबंधों पर पनाह ले रहे हैं और यह लोग तटबंधों पर बाढ़ से राहत मिलने का इंतजार कर रही है।
इन इलाकों के हालात चिंताजनक :
बताते चलें, तेज बारिश से कई नदियां उफान पर है और अब तक राज्य के लगभग 10 जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। दर्जनों में छोटे मोटे पुल भी बाढ़ से टूट चुके हैं। ऐसे हालातों के बीच प्रशासन द्वारा मदद पहुंचाने की कोशिश की जा रही है और अब तक लगभग 19 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पंहुचा दिया जा चुका है। कोरोना संकट भांपते हुए बाढ़ राहत शिविरों की संख्या बधाई जा रही है। बाढ़ की चपेट में आने से बूढ़ी गंडक, बागमति और कोसी सबसे ज्यादा प्रभावित है तो वहीं, सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चंपारण, खगड़िया और भागलपुर जिलों में बाढ़ के हालात काफी चिंताजनक बने हुए हैं।
बाढ़ पीड़ितों का कहना :
एक तरह प्रशासन बाढ़ पीड़ितों की मदद के दावे कर रहा है तो वहीं, दूसरी तरफ बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि, उन्हें प्रशासन द्वारा कोई की मदद प्रदान नहीं की गई है। यहां तक की गांव से बाहर निकलने के लिए उनके लिए नावों का भी कोई प्रबंध नहीं किया गया है। हालांकि, बिहार में बाढ़ से बचाव के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की 21 टीमों को 12 जिलों में तैनात किया गया है।
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