Bihar Caste Survey : बिहार सरकार जाति सर्वेक्षण डेटा ब्रेकअप को सार्वजनिक डोमेन में रखे- सुप्रीम कोर्ट
हाइलाइट्स
बिहार सरकार को SC ने जातिगत सर्वेक्षण के आकंड़ें को सार्वजनिक करने का दिया आदेश।
पटना HC के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 29 जनवरी को सुनवाई तय।
Supreme Court on Bihar Caste Survey : दिल्ली। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने जाति सर्वेक्षण कराया है। इसके आंकड़े और विवरण सार्वजनिक करने की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश सुनाया है। अदालत ने कहा कि सरकार को जाति के आधार पर कराए गए सर्वे का विवरण सार्वजनिक करना होगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त 2023 के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 29 जनवरी को सुनवाई तय की, जिसमें जाति-आधारित सर्वेक्षण करने के बिहार सरकार के फैसले को बरकरार रखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा कि, जाति सर्वेक्षण डेटा ब्रेकअप को सार्वजनिक डोमेन में रखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह बिहार जाति सर्वेक्षण में डेटा के टूटने को जनता के लिए उपलब्ध नहीं कराए जाने को लेकर चिंतित है, क्योंकि अगर कोई निकाले गए किसी विशेष निष्कर्ष को चुनौती देने को तैयार है तो उसे वह डेटा प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए। वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, सर्वे का डेटा प्रकाशित हो चुका है, उस आधार पर आरक्षण 50 से बढ़ाकर करीब 70% तक कर दिया गया है, इसको लेकर पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि सर्वे के डेटा का वर्गीकरण करके ये डेटा आम जनता को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। सर्वे के बजाए हमारी चिंता इस बात को लेकर ज़्यादा है।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बिहार सरकार ने जातिगत सर्वे किया है, इसे जनगणना नहीं कहा जा सकता। इससे पहले केन्द्र सरकार कोर्ट में दाखिल जवाब में कह चुकी है कि जनगणना जैसी प्रकिया को अंजाम देने का अधिकार सिर्फ केन्द्र को ही है।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।