भारत नाम शकुंतला-पुत्र भरत से  प्राचीन : डॉ. संजीव सान्याल
भारत नाम शकुंतला-पुत्र भरत से प्राचीन : डॉ. संजीव सान्यालSocial Media

भारत नाम शकुंतला-पुत्र भरत से प्राचीन : डॉ. संजीव सान्याल

डॉ. संजीव सान्याल ने कहा कि एक सभ्यतागत राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान बहुत पुरानी है और इसका भारत नाम शकुंतलापुत्र-भारत से पहले बहुत पहले का है और वैदिक कालिक एक जनजाति ‘भरत-तृत्सु’ से जुड़ा है ।
Published on

नई दिल्ली। प्रसिद्ध लेखक एवं प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के सदस्य डॉ संजीव सान्याल ने कहा कि एक सभ्यतागत राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान बहुत पुरानी है और इसका भारत नाम शकुंतलापुत्र-भारत से पहले बहुत पहले का है और वैदिक कालिक एक जनजाति ‘भरत-तृत्सु’ से जुड़ा है । डॉ. सान्याल ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा आयोजित पद्मविभूषण डॉ.कपिला वात्स्यायन स्मारक व्याख्यान में कहा, “ यह एक गलत धारणा है कि भारत का नाम राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा। भारत नाम इससे भी ज्यादा प्राचीन है।।” उन्होंने कहा, “ भारतवर्ष: हमारी सभ्यता की पहचान का इतिहास” विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में कहा, “एक सभ्यतागत राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान बहुत पुरानी है।”

डॉ. कपिला वात्स्यायन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक सदस्य सचिव थीं। विद्वतापूर्ण व्याख्यान में डॉ. सान्याल ने भारत के नामकरण और इस सभ्यता के विकास को वैदिक एवं पौराणिक ग्रंथों के आख्यानों से जोड़ते हुए कहा कि भारत के नामकरण का आधार एक वैदिक जनजाति भरत-तृत्सु थी, जो सरस्वती नदी के तट पर निवास करती थी । उन्होंने कहा कि इस जनजाति का उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है। डॉ. सान्याल ने कहा कि भारत और सरस्वती नदी का सम्बंध बहुत महत्त्वपूर्ण है। सरस्वती नदी को अक्सर भारती भी कहा जाता है। ऋग्वेद के पैंतालीस सूक्तों में सरस्वती नदी की प्रशंसा की गई है और ऋग्वेद में 72 बार सरस्वती नदी का नाम आया है।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में आईजीएनसीए के कलानिधि विभाग के विभागाध्यक्ष एवं नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के निदेशक प्रोफेसर रमेश चन्द्र गौड़ ने विषय की प्रस्तावना रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी जी ने की। डॉ सान्याल ने कहा कि एक सभ्यतागत राष्ट्र के रूप में भारत का विचार स्पष्ट रूप से बहुत प्राचीन है, लेकिन यह जड़ या कठोर नहीं है, बल्कि विकासशील है। यह व्यापार, प्रवासन, विदेशी आक्रमणों और विचारों के आदान-प्रदान के जरिये आए विदेशी प्रभावों सहित कई नए विचारों को शामिल कर हजारों वर्षों में विकसित हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत गणराज्य के संस्थापक इस बात से अच्छी तरह परिचित थे कि यह एक प्राचीन सभ्यतागत राष्ट्र की आधुनिक अभिव्यक्ति है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com