कोरोना वायरस की महामारी ने दुनियाभर में तबाही मचाई हुई है। इस महामारी की रोकथाम के लिए तमाम देश वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। इसी बीच योगगुरु बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी द्वारा कोरोना को मात देने के लिए एक दवा 'कोरोनिल' बनाई गयी, लेकिन इस दवा को बनाना पतंजलि को भारी पड़ गया है जिससे बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ गयीं हैं।
विवादों में घिरी कोरोनिल :
बाबा रामदेव की कोरोना दवा 'कोरोनिल टेबलेट' पर महाराष्ट्र, राजस्थान और अब उत्तराखंड से सवाल उठाए गए हैं और ये दवा 'कोरोनिल' विवादों में घिर गयी। आइये जानते हैं पतंजलि की इस आयुर्वेदिक दवाई पर किसका क्या कहना है... दरअसल, उत्तराखंड के आयुर्वेद विभाग द्वारा कोरोना वायरस का उपचार करने वाली दवाई कोरोनिल को लेकर नोटिस जारी किया है और 7 दिन में नोटिस का संतोषजनक जवाब न मिलने पर कार्रवाई को चेताया गया है।
आयुर्वेद विभाग ने पूछा दवा के दावे का आधार :
उत्तराखंड के आयुर्वेद विभाग ने दिव्य फार्मेसी को कोरोनिल व श्वासारि वटी दवाई को लेकर जारी नोटिस में फार्मेसी से कोरोना की दवा के दावे का आधार पूछा गया है। इस दौरान उत्तराखंड आयुष विभाग ने कोरोना की दवा बताने वाले लेबल को भी तुरंत हटाने के लिए कहा एवं नोटिस में कोरोनिल का भ्रामक प्रचार ना करने की भी नसीहत दी गई है। साथ ही आयुष विभाग ने पूछा- ''जब सामान्य बुखार व अन्य बीमारियों के लिए लाइसेंस लिया गया तो कोरोना की दवा बनाने का दावा क्यों किया गया? आयुष विभाग ने नोटिस में पूछा है कि क्यों कानूनी कार्रवाई ना की जाए?''
वहीं, उत्तराखंड के आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने इस बात का खुलासा करते हुए साफ कहा कि, दिव्य फार्मेसी को इम्यूनिटी बूस्टर दवा बनाने के लिए अनुमति दी गई थी, कोरोना की नहीं।
कंपनी से पूछे गए ये सवाल :
दिव्य योग फार्मेसी ने कोरोना की जो दवा बनाने का दावा किया है, उसका आधार क्या है?
फार्मेसी ने कोरोना किट बनाने की परमिशन कहां से ली?
प्रचार-प्रसार के लिए परमिशन क्यों नहीं ली?
नोटिस में कहा गया है कि फार्मेसी ने ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट-1940 की धारा-170 का उल्लंघन कर भ्रामक प्रचार किया है।
कोरोनिल टेबलेट पर महाराष्ट्र सरकार का प्रतिबंध :
इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार द्वारा भी बाबा रामदेव की दवा कोरोनिल टेबलेट पर प्रतिबंध लगा दिया है। महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख का कहना है कि, कोरोनिल के क्लीनिकल ट्रायल के बारे में अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। ऐसे में महाराष्ट्र में इस दवा की बिक्री पर पाबंदी रहेगी।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जयपुर यह पता लगाएगा कि क्या पतंजलि के 'कोरोनिल' का क्लीनिकल ट्रायल किया गया था? हम बाबा रामदेव को चेतावनी देते हैं कि हमारी सरकार महाराष्ट्र में नकली दवाओं की बिक्री की अनुमति नहीं देगी।
अनिल देशमुख, महाराष्ट्र के गृहमंत्री
राजस्थान सरकार ने भी लगाई रोक :
महाराष्ट्र से पहले राजस्थान सरकार द्वारा भी कोरोना की दवा कोरोनिल टेबलेट की बिक्री पर रोक लगा दी है। दरअसल, राजस्थान सरकार ने अपने आदेश में साफ ये बात कही कि, ''केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की स्वीकृति के बिना कोविड-19 महामारी की दवा के रूप में किसी भी आयुर्वेदिक औषधी का विक्रय नहीं किया जा सकता।''
इतना ही नहीं कोरोना की दवा कोरोनिल लांच होते ही विवादों में घिर गई, यहां तक की केन्द्रीय आयुष मंत्रालय ने भी कोरोनिल के प्रचार-प्रसार पर रोक लगाते हुए पतंजलि से इस दवा के निर्माण से संबंधित तमाम जानकारियां साझा करने को कहा है।
कब लांच हुई कोरोनिल टैबलेट :
बता दें, बीत मंगलवार 23 जून को योगगुरू बाबा रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद द्वारा 'दिव्य कोरोनिल टैबलेट' के नाम से कोरोना की दवा लांच करते हुए दावा किया था कि, यह 100% कोरोना मरीजों को फायदा पहुंचा रही है। इसका 280 मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल भी किया गया था, जिसमें 3 दिन के अंदर 69% और सात दिन के अंदर शत प्रतिशत मरीज ठीक हो गए। सभी मरीजों की रिपोर्ट पॉजीटिव से निगेटिव आई है।
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