राज एक्सप्रेस। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज 2018 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि, ईश्वर ने आपको देश सेवा का बहुत बड़ा मौका दिया है, इसलिए जिम्मेदारी से काम करना होगा। आपका यह प्रयास होना चाहिए कि संवेदनशील होकर ड्यूटी करें जिसमें कई तरह की चुनौतियां आएंगी पर सफलता के लिए अडिग रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह सेवा स्वयं के या परिवार के लिए न होकर देश के लिए होनी चाहिए। उन्होंने 2018 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों ने औपचारिक भेंट की। उन्होंने कहा कि, सकारात्मक सोच ही आपकी छवि को बेहतर बना सकती है।
कानून व्यवस्था देश की रीढ़
श्री शाह ने कहा कि, आंतरिक सुरक्षा तथा कानून-व्यवस्था देश की रीढ़ की हड्डी है जिसके बिना विकास संभव नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने में कानून व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि छवि निर्माण एक-दो दिन में नहीं होता बल्कि एक लंबा अंतराल चाहिए। पुलिस की नकारात्मक छवि बनाने में साहित्य, अखबार और फिल्मों का योगदान ज़्यादा है। श्री शाह का कहना था कि एक समान सोच, दिशा, गति तथा मुक्त चिंतन से छवि सुधारने का काम किया जा सकता है।
पुलिस रिफोर्म भी हो
श्री शाह ने पुलिस रिफोर्म पर कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय होता है और केंद्र सरकार सलाहकार की भूमिका में होती है। उन्होंने यह भी कहा कि नीचे से नीचे का कर्मचारी भी पुलिस महकमे का महत्वपूर्ण हिस्सा है और कांस्टेबल के भी अनुभव का लाभ लिया जाना चाहिए। श्री शाह का कहना था कि किसी भी व्यवस्था को प्रभावी तथा तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की लगातार आवश्यकता होती है किंतु पुलिस व्यवस्था में पुरानी परंपराओं को छोड़कर सफलतापूर्वक कार्य नहीं किया जा सकता है इसलिये विस्तार से पुरानी परंपराएं जानकर उन्हें भी पुनर्जीवित करें।
कानून में धारणात्मक बदलाव जरूरी
श्री शाह ने कहा कि, आईपीसी और सीआरपीसी की रचना अंग्रेजों द्वारा की गई थी, उनका उद्देश्य अलग था परंतु अब कल्याणकारी राज के लिए कानून की प्राथमिकता नए सिरे से तय करने की आवश्यकता है इसलिए आईपीसी और सीआरपीसी में धारणात्मक बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि असम राज्य में एनआरसी मुददे पर कहा कि जो कार्य आवश्यक है उसे करना चाहिए, चाहे कानून व्यवस्था के लिए कितनी भी चुनौतियां सामने आएं। श्री शाह ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 का उदाहरण देते हुए कहा कि विरोधियों द्वारा तमाम तरह की अड़चनें रखी गई। आज़ादी के बाद कितने ही लोगों की जानें गई किंतु धारा 370 हटाने के बाद एक भी जान नहीं गई।
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