गृह मंत्रालय ने दिए जांच के आदेश, जवानों के हालचाल जानने अस्पताल पहुंचे शाह

गणतंत्र दिवस के मौके पर जो हिंसक प्रदर्शन हुआ, इसको लेकर गृह मंत्रालय ने सख्त रवैया अपना लिया है। वहीं, इस दौरान गंभीर रूप से घायल हुए जवानों के हालचाल लेने गृह मंत्री अमित शाह अस्पताल पहुंचे।
जवानों के हालचाल जानने अस्पताल पहुंचे शाह
जवानों के हालचाल जानने अस्पताल पहुंचे शाहSyed Dabeer Hussain - RE
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दिल्ली। देश में दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर पर पिछले 58 दिनों से लगातार चल रहे किसान आंदोलन में गणतंत्र दिवस के मौके पर जो हिंसक प्रदर्शन किया गया, वह काफी शर्मसार कर देने वाला था। किसानों न केवल ट्रैक्टर रैली के दौरान नियमों को तोड़ा साथ ही हिंसक प्रदर्शन किया। वहां परेड के दौरान लगाई गई झाकियों में जम कर तोड़फोड़ की और पुलिस और सुरक्षा बलों के जवानों को जमकर पीटा। इस दौरान कई जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। जिन्हें मिलने आज ग्रह मंत्री अमित शाह अस्पताल पहुंचे।

गृह मंत्रालय ने दिए मामले की जांच के आदेश :

दरअसल, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर पर दिल्ली में किसानों के संगठन ने जम कर हिंसा की। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय एक्शन में नजर आ रहै है। इसी के तहत जहां मंत्रालय की तरफ से इस मामले में पाए गए आरोपियों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी करने के आदेश दिए है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आदेशों के आधार पर सिख फॉर जस्टिस के एक मामले में UAPA के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जिसे नाता लाल किले में हुई हिंसा से जुड़ा पाया जा सकता है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद आज दिल्ली के अस्पताल घायल पुलिसकर्मियों के हालचाल जानने के लिए पहुंचे।

गृह मंत्रालय का सख्त रवैया :

26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा मामले में किसान नेता और दिल्ली पुलिस द्वारा दिए गए बयानों के बाद अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लाल किले पर हुए घटना के मामले में सख्त रवैया अपना लिया है। इसी के चलते बुधवार को एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक के दौरान कई गंभीर फैसले लिए गए। खबरों की माने तो, गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि, वह इस मामले में जिन लोगों के भी खिलाफ FIR दर्ज की गई है या जिन लोगों को अभी तक चिन्हित किया गया है और जिनके देश छोड़कर भागने की संभावना है उन सभी के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया जाए जिससे यह लोग देश छोड़कर भाग ना सके।

पुलिस कमिश्नर का बयान :

दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने स्पष्ट कर करते हुए बताया है कि, 'दिल्ली में जो हिंसा हुई उसके पीछे किसान नेताओं द्वारा ट्रैक्टर जुलूस को लेकर जो शर्तें तय हुईं थीं, उनमें धोखा दिया गया। उनके पास विकल्प तो बहुत थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने संयम बरता किसान नेताओं ने ट्रैक्टर मार्च के लिए जो शर्ते तय की थी उनका उल्लंघन किया।' अधिकारी ने कहा कि, 'यह जरूरी नहीं होता कि ऐसे मामले में गिरफ्तारी की गई हो। मामला केवल यही तक सीमित नहीं है।'

किसान नेता का कहना :

किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि, 'यदि लाल किले पर ऐसा हंगामा हो रहा था तो, दिल्ली पुलिस ने गोली क्यों नहीं मारी?' बताते चलें, पूरे मामले की जांच के दौरान सिख फॉर जस्टिस का नाम भी सामने आ रहा है। चूँकि, दिल्ली पुलिस द्वारा पहले ही 14 जनवरी को SFJ को लेकर एक मामला दर्ज किया जा चुका है, तो इसकी भी जांच तह तक की जाएगी क्योंकि, इस संगठन के तार 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा से जुड़े पाए जा सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो कुछ किसान नेता भारी मुश्किलों में पड़ सकते हैं। इतना ही नहीं इन्हे इस मामले में जेल भी जाना पड़ सकता है।

गृह मंत्री के निर्देश :

इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट तौर पर निर्देश दे चुके हैं कि, 'हिंसा में दोषी पाए गए किसी को भी बख्शा ना जाए।' इन सब के बीच पुलिस इस डर में है कि, उस दिन उपद्रवियों द्वारा दिल्ली पुलिस के जो हथियार लूटे गए थे वह अब तक बरामद नहीं हुए हैं। यदि ऐसे में इन हथियारों का गलत इस्तेमाल हो गया तो एक नई कहानी शुरू हो सकती है। इसलिए पुलिस इन हथियारों की तलाश भी कर रही है।

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