उत्तर प्रदेश, भारत। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज गुरूवार को ताजमहल केस की याचिका पर न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने सुनवाई कर इस याचिका को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार :
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट में ताजमहल के बंद 20 दरवाजों को खोलने की गुजारिश वाली याचिका दायर हुई थी, इसी यााचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई कर ताजमहल विवाद को लेकर सख्त रुख अपनाया एवं याचिकाकर्ता को जमकर फटकारा। जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि, ''जनहित याचिका की व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। कल आप आएंगे और कहेंगे कि हमें माननीय जज के चेंबर में जाने की इजाजत चाहिए। आपको जजों के चेंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा।''
जिस बारे में पता नहीं, उस पर रिसर्च करिए :
इतना ही नहीं याचिकाकर्ता से हाई कोर्ट की ओर से यह बात भी कही कि, ''आप मानते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनाया है? क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं? जैसे कि इसे किसने बनवाया था या ताजमहल की उम्र क्या है? आपको जिस बारे में पता नहीं है, उस पर रिसर्च करिए। जाइए एमए कीजिए, पीएचडी कीजिए, अगर आपको कोई संस्थान रिसर्च करने से रोक रहा है तो फिर हमारे पास आइए। आपने ताजमहल के 22 कमरों की जानकारी किससे मांगी? ''
हाई कोर्ट के सवाल पर याचिकाकर्ता का जवाब :
तो वहीं, हाई कोर्ट के सवाल पर याचिकाकर्ता के वकील ने जवाब देते हुए कहा कि, ''हमने अथॉरिटी से जानकारी मांगी थी।'' तब हाई कोर्ट ने कहा- यदि उन्होंने कहा है कि सुरक्षा कारणों से कमरे बंद हैं तो यह जानकारी है। यदि आप इससे संतुष्ट नहीं हैं तो इसे चुनौती दें। कृपया एमए में अपना नामांकन कराएं, फिर नेट, जेआरएफ के लिए जाएं और अगर कोई विश्वविद्यालय आपको ऐसे विषय पर शोध करने से मना करता है तो हमारे पास आएं।
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