इलाहाबाद HC ने मामले की सुनवाई कर कही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात

इलाहाबाद की हाई कोर्ट ने गोहत्या के एक मामले की सुनवाई करते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने इस मामले में बात करते हुए मौलिक अधिकारों का भी जिक्र किया।
इलाहाबाद HC ने मामले की सुनवाई कर कही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात
इलाहाबाद HC ने मामले की सुनवाई कर कही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बातPriyanka Yadav - RE
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उत्तर प्रदेश, भारत। अब तक आप से जब भी देश के राष्ट्रीय पशु के बारे में पूछा गया होगा तो आपने हमेशा उत्तर में बाघ ही कहा होगा, लेकिन अब हो सकता है कि, आप बाघ की जगह गाय का नाम लें। क्योंकि, आज बुधवार को इलाहाबाद की हाई कोर्ट ने गोहत्या के एक मामले की सुनवाई करते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने इस मामले में बात करते हुए मौलिक अधिकारों का भी जिक्र किया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बताई गाय की उपयोगिता :

बुधवार को इलाहाबाद की हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि, 'गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है। इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं। यदि गाय को मारने वाले को छोड़ा गया तो वह फिर अपराध करेगा।' इतना ही नहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक उपयोगिता को मद्देनजर रखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु तक घोषित करने की बात कह डाली।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का कहना :

इलाहाबाद की हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, 'भारत में गाय को माता मानते हैं। यह हिंदुओं की आस्था का विषय है। आस्था पर चोट करने से देश कमजोर होता है। गोरक्षा का काम केवल एक धर्म संप्रदाय का नहीं है और न ही गायों को सिर्फ धार्मिक नजरिए से नहीं देखना चाहिए, बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति की रक्षा का कार्य देश के प्रत्येक नागरिक का है। पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं। देश में पूजा पद्धति भले अलग-अलग हो, लेकिन सबकी सोच एक है। सभी एक-दूसरे के धर्म का आदर करते हैं।'

HC ने जमानत अर्जी खारिज कर दिए आदेश :

बताते चलें, कोर्ट द्वारा यह विशेष टिप्पणी न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने संभल के जावेद की जमानत अर्जी खारिज करते हुए की। साथ ही आदेश जारी किये है। अर्जी पर शासकीय अधिवक्ता एसके पाल, एजीए मिथिलेश कुमार ने प्रतिवाद किया। इस मामले में जावेद पर आरोप है कि, 'वह अपने साथियों के साथ खिलेंद्र सिंह की गाय चुराकर चुपचाप जंगल ले गया। वहां अन्य गायों सहित खिलेंद्र की गाय को मारकर उसका मांस इकट्ठा करते टार्च की रोशनी में देखा गया।' इतना ही नहीं अर्जी दायर करने वाले शिकायतकर्ता ने गाय के कटे हुए सिर से अपनी गाय की पहचान की। पुलिस ने मामले की जाँच कर आरोपी जावेद को गिरफ्तार कर लिया। बता दें, जावेद 8 मार्च 2021 से ही जेल में बंद हैं।

जमानत अर्जी की ख़ारिज :

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत अर्जी ख़ारिज करते हुए कहा कि, 'यह आवेदक का पहला अपराध नहीं है, इससे पहले भी उसने गोहत्या की है, जिससे समाज का सौहार्द बिगड़ गया है और जमानत पर रिहा होने पर वह फिर से वही काम करेगा जिससे समाज में सौहार्द बिगड़ेगा। आवेदक का यह जमानत आवेदन निराधार है और खारिज किए जाने योग्य है।'

29 में से 24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित :

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जानकारी देते हुए बताया है कि, 'देश के 29 में से 24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित है। एक गाय जीवनकाल में 410 से 440 लोगों का भोजनप्रदान करती है। जबकि, गोमांस से केवल 80 लोगों का पेट भरता है। महाराजा रणजीत सिंह ने गो हत्या पर मृत्यु दंड देने का आदेश दिया था। यही नहीं, कई मुस्लिम और हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई थी। गाय का मल व मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है। गाय की महिमा का वेदों-पुराणों में बखान किया गया है। रसखान ने कहा है कि 'उन्हें जन्म मिले तो नंद के गायों के बीच मिले।' गाय की चर्बी को लेकर मंगल पांडेय ने क्रांति की थी। संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है।' कोर्ट ने आगे कहा कि,

'यह देखकर बहुत दुख होता है कि, जो लोग गोरक्षा की बात करते हैं, वहा गौभक्षक बन जाते हैं।'

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