राज एक्सप्रेस। देश में कोरोना के मामलों में दिन प्रतिदिन हजारों की बढ़त दर्ज की जा रही है। हालांकि, इसके साथ ही तेजी से कोरोना वैक्सीन का वैक्सीनेशन भी जारी है। देशभर में वैक्सीनेशन की मुहिम दिन प्रतिदिन तेज होती नजर आरही है। इसी के चलते अब बिना रजिस्ट्रेशन के भी वैक्सीनेशन करना शुरू कर दिया गया है। वहीं, अब वैक्सीन के बाद बूस्टर डोज की काफी चर्चा हो रही है। इसको लेकर कई लोगों को बहुत कंफ्यूजन भी हो रहा है। इतना ही नहीं बूस्टर डोज को लेकर कई सवाल तक उठ रहे हैं। इन सब सवालों के जवाब देते हुए AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताई बूस्टर शॉट की जरूरत।
AIIMS डायरेक्टर ने दी जानकारी :
देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने जमकर तबाही मचाई थी। जिससे देश की जनता काफी सहम गई है। हालांकि, वर्तमान समय में देशभर में मामलों में काफी कमी दर्ज की गई है। क्योंकि, देश में कोरोना की जंग जितने के लिए लोग तेजी से वैक्सीनेशन करा रहे हैं। इसी बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने वैक्सीनेशन को लेकर एक अहम जानकारी देते हुए बताया है कि, सिर्फ वैक्सीन से काम नहीं चलेगा लोगों को बूस्टर शॉट भी लेने की जरूरत होगी। उन्होंने इस मामले में एक बयान साझा कर कहा है कि,
"निकट भविष्य में सामने आने वाले कोरोना के अन्य वैरिएंट के साथ, देश को दूसरी पीढ़ी के लिए कोरोना टीकों के साथ बूस्टर खुराक की जरूरत हो सकती है। ऐसा लगता है कि हमें शायद टीकों की बूस्टर खुराक की आवश्यकता होगी क्योंकि समय बीतने के साथ इम्यूनिटी कम हो जाती है। हम बूस्टर खुराक लेना चाहते हैं जो विभिन्न उभरते रूपों के लिए कवर करेगा।"
डॉ. रणदीप गुलेरिया, AIIMS डायरेक्टर
बूस्टर डोज होगा दूसरी पीढ़ी का टीका :
डॉ गुलेरिया ने जानकारी देते हुए आगे कहा कि, 'बूस्टर डोज दूसरी पीढ़ी का टीका होगा। हमारे पास दूसरी पीढ़ी के टीके होंगे जो नए वेरिएंट को कवर करने के मामले में बेहतर होंगे। बूस्टर वैक्सीन शॉट्स के ट्रायल्स पहले से ही चल रहे हैं। आपको शायद बूस्टर डोज की आवश्यकता होगी इस साल के अंत तक। लेकिन यह केवल तब हो सकता है जब एक बार पूरी आबादी का टीकाकरण हो जाए बच्चों के लिए भारत बायोटेक के कोवैक्सिन परीक्षण चल रहे हैं और परिणाम सितंबर तक जारी होने की उम्मीद है। बच्चों के लिए टीके अभी सामने आने चाहिए क्योंकि भारत बायोटेक का परीक्षण सितंबर तक अंतिम चरण में है।'
12-18 वर्ष के आयु वर्ग में शुरू किया गया परीक्षण :
डॉ गुलेरिया ने बच्चों के टीके को लेकर जानकारी देते हुए बताया है कि, "बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार श्रेणियों में अलग करके तीन चरणों में ट्रायल किया जाता है। पहला परीक्षण 12-18 वर्ष के आयु वर्ग में शुरू किया गया था, उसके बाद 6-12 वर्ष और 2-6 वर्ष के आयु वर्ग में, जिनका वर्तमान में परीक्षण चल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि Zydus Cadila ने बच्चों के लिए उनके COVID-19 वैक्सीन के डेटा को शामिल किया है।" बताते चलें, इससे पहले केंद्र सरकार ने साफ करते हुए कहा था कि, 'फिलहाल हमारे साइंटिस्ट बूस्टर डोज को लेकर स्टडीज कर रहे हैं। वह इस बात को लेकर लगातार रिसर्च कर रहे हैं कि, कोरोना वायरस की वैक्सीन के वैक्सीनेशन के बाद बूस्टर डोज कितना जरूरी है।'
गौरतलब है कि, AIIMS के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया समय-समय पर जानकारी देकर जनता को सचेत करते रहते हैं। इससे पहले उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर जानकारी दी थी।
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