क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून
क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनSyed Dabeer Hussain - RE

अमृतपाल सिंह पर NSA के तहत होगी कार्रवाई, जानिए क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून?

दरअसल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को साल 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान लाया गया था। इस कानून का मकसद देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देना है।
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राज एक्सप्रेस। पंजाब पुलिस खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। पुलिस ने अब तक अमृतपाल के कई करीबियों और समर्थकों पकड़ लिया है। वहीं अमृतपाल सिंह को ढूंढने के लिए भी पुलिस कड़ी मशक्कत कर रही है। इस बीच पंजाब पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अमृतपाल सिंह के खिलाफ एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने का फैसला लिया है। ऐसे में आज हम जानेंगे कि आखिर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) क्या है और इसके क्या प्रावधान है।

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून क्या है?

दरअसल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को साल 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान लाया गया था। इस कानून का मकसद देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देना है। यदि सरकार को लगता है कि किसी व्यक्ति से देश की सुरक्षा को कोई खतरा है, तो उसे इस कानून के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है। इस कानून केंद्र और राज्य सरकार को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार देता है।

कब लगाया जाता है एनएसए?

जब सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचा रहा है या फिर देश की सुरक्षा के लिए किए जाने वाले उपायों में बाधा बन रहा है तो उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा अन्य देशों से भारत के संबंध को नुकसान पहुंचाने, जरुरी आपूर्ति को रोकने, किसी पुलिसकर्मी पर हमला करने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति पर रासुका लगाया जा सकता है।

एनएसए के प्रावधान :

दरअसल इस कानून के तहत संबंधित अधिकारी किसी संदिग्ध व्यक्ति को बिना कोई कारण बताए 5 से 10 दिन के लिए हिरासत में रख सकता है। इसके बाद उसे राज्य सरकार की अनुमति लेनी होती है। इस दौरान व्यक्ति हाईकोर्ट के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है लेकिन उसे वकील उपलब्ध नहीं कराया जाता है। सरकार किसी संदिग्ध व्यक्ति को बिना जमानत के तीन महीने के लिए हिरासत में रख सकती है। इस अवधि को तीन-तीन महीने करके एक साल तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि इस दौरान सरकार को बताना होता है कि संबंधित व्यक्ति को क्यों हिरासत में लिया गया है। आरोपी के खिलाफ सबूत मिलने की स्थिति में इस अवधी को और भी बढ़ाया जा सकता है।

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