राज एक्सप्रेस। राष्ट्रपति भवन में सोमवार को जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस बोबड़े को शपथ दिलवाई।
नवनिर्वाचित चीफ जस्टिस बोबड़े 18 महीने इस पद का कार्यभार संभालेंगे। 17 नवंबर को रिटायर हुए पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ही सीजेआई (chief justice of india) पद के लिए जस्टिस बोबड़े का नाम सुझाया था। अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद फैसले की सुनवाई करने वाली बेंच में जस्टिस बोबड़े भी शामिल थे।
जस्टिस बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल 1956 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कला एवं कानून में स्नातक किया था।
मध्यप्रदेश से सीजेआई शरद अरविंद का रिश्ता
29 मार्च 2000 को मुंबई हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज नियुक्त हुए थे। 16 अक्टूबर 2012 में सीजेआई अरविंद बोबडे ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए। जिसके बाद 12 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए।
कई अहम फैसलों में शामिल
न्यायमूर्ति बोबड़े की अध्यक्षता में ही सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की वाली बेंच में शामिल थे जिसने स्पष्ट किया था कि आधार कार्ड के बिना भारत के किसी भी नागरिक को मूलभूत सेवाओं सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता।
कर्नाटक सरकार ने लेखिका मेट महादेवी द्वारा लिखी हुई किताब से 2017 में फैसला देते हुए प्रतिबंध हटाया था।
वहीं दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पटाखे बेचने पर प्रतिबंध लगाने वाली तीन जजों की बेंच में अरविंद बोबडे शामिल थे। इसके अलावा और भी ऐसे तमाम बड़े मुद्दे हैं जिनके फैसले में जस्टिस बोबडे का नाम शामिल है।
भविष्य में लेने होंगे बड़े फैसले
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का शपथ लेने के बाद अरविंद बोबडे की जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई है। हाल ही में आयोध्या विवाद पर फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष ने पु्नर्विचार याचिका दायर करने का फैसला लिया है। वहीं दूसरी तरफ सबरीमाला विवाद को बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है। बतौर चीफ जस्टिस दोनों ही फैसले में बेंच का हिस्सा वो भी होंगे।
जस्टिस एस.ए. बोबड़े 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्ति होंगे। बता दें पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई 3 अक्टूबर 2018 को प्रधान न्यायाधीश बनाए गए और बीते रविवार को ही सेवानिवृत्त हुए।
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