केवल भारत पर नहीं पूरी मानवता पर हमला था '26/11'

26 नवंबर 2008 में हुए मुंबई हमले को आज 11 साल हो गए हैं। लोगों के ज़हन में अब भी वो मंज़र धुंधला नहीं हो पाया।
26/11 हमले को आज 11 साल पूरे हुए।
26/11 हमले को आज 11 साल पूरे हुए।Syed Dabeer Hussain - RE
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राज एक्सप्रेस। 26 नवंबर 2008, भारत के इतिहास में इस दिन को शोक दिवस के रूप में जाना जाएगा। 72 घंटों तक चला वो मंज़र वाकई दिल दहला देने वाला था। छत्रपति शिवाजी रेलवे टर्मिनस, कैफे लियॉपोर्ड और हॉटल ताज में न जाने कितनी ही लाशें बिखरी पड़ी थीं, कितनी ही आँखें नम थीं। पूरा विश्व इस मंजर के जल्द खत्म होने की दुआ मांग रहा था।

इस दिन परमात्मा भी अशांत था, पर चुप था क्योंकि इस मंजर की कमान संभालने वाला कोई और था। किसी और ने मानवता खत्म करने के लिए, लोगों में डर पैदा करने के लिए 10 लड़कों को तीन महीने की ट्रेनिंग देकर भेजा था।

कौन थे ये आंतकी?

शुएब और नज़ीर, इसमाइल खाँ और अजमल कसाब, अब्दुल रहमान बड़ा और अबू अली।

समुंदर के रास्ते घुसे थे ये आतंकी-

इन हमलावारों में से एक अजमल कसाब ने कबूला था कि, 'कराची से समुंदर के रास्ते मुंबई में घुसे थे। उस नाव में 4 भारतीय भी सवार थे जिन्हें मुंबई में समुद्र के किनारे पहुँचने से पहले ही मार दिया गया था।'

कोलाबा के पास कफ परेड के मछली बाजार से निकले के बाद ये लोग 4 ग्रुप में बंट गए और टैक्सी में सवार होकर दशहत फैलाने निकल गए।

बेकसूरों की हत्या के बाद जन्नत का रास्ता खुलेगा-

10 हथियारबंद लोग, दिखने में हमारी तरह आम, सब नौजवान। नफ़रत उनके अंदर पैदा की गयी थी। जिहाद का हवाला देते हुए उन्हें बेकसूरों की जान लेने के लिए उकसाया गया था। उनके आका को भी जिहाद का असली अर्थ नहीं मालूम था शायद।

इन 10 आतंकवादियों के गुरू ने इनसे कहा था 'तुम्हारे चेहरे पर चाँद का नूर दिखाई देगा, तुम्हारे शरीर से गुलाब की महक आएगी और तुम सीधे जन्नत जाओेगे।'

जन्नत तो दूर क्या इन्हें नर्क भी नसीब हुआ होगा?

समय के अंतराल में अलग-अलग जगह पर हमले-

दस लोग 4 ग्रुप में बंट गए थे। इन्हें पता था कहाँ जाना है, कैसे जाना है। जिस टैक्सी में ये बैठे थे, उस टैक्सी वाले को बातों में उलझाकर उसकी सीट के नीचे टाइम बम फिट किया गया। टैक्सी समेत इन लोगों ने कई जगहों को अपना निशाना बनाया।

इनके हमलों को देखकर लग रहा था मानों ये अपने साथ एक पूरी फौज़ लेकर आए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक-

रात 9 बजकर 43 मिनट, लियॉपार्ड कैफे में 10-15 मिनिट तक इन लोगों गोलियां बरसाई जिसमें 10 लोगों की जानें गईं।

रात 9 बजकर 45 मिनट पर ये लोग छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पहुँचे। कुछ मिनट स्थिति को परखने के बाद अंधाधुन फायरिंग शुरू कर दी। यहाँ हुए हमले के दौरान एक फोटो जर्नलिस्ट भी मौजूद थे। वे किसी कोने में छिपकर इन लोगों की तस्वीरें निकाल रहे थे। उन्होंने बताया कि स्टेशन पर कुछ लड़के अंधाधुन फायरिंग कर रहे थे। इन्हें देखकर लग रहा था जैसे टूर पर जाने के लिए घर से निकले हैं।

किसको पता था कि, ये बैग में एक-47 लेकर निकले थे। बता दें फोटो जर्नलिस्ट की फोटोज़ को सबूतों में शामिल किया गया था। स्टेशन पर हुए 90 मिनट के आतंक में इन लोगों ने 68 लोगों की जान ले ली।

रात 9 बजकर 48 मिनिट ताज पैलेस होटल, दोनों आतंकी मुख्य द्वार से अंदर घुसे और हमला शुरू कर दिया। कहीं दूर बैठा इनका आका इन्हें निर्देश दे रहा था।

रात11 बजकर 50 मिनट ज्वाइंट कमिश्नर हेमंत करकरे, अतिरिक्त कमिश्नर(ईस्ट) अशोक कामटे और इंस्पेक्टर सालस्कर जीप में सवार होकर रंगभवन की तरफ भागे।

जाधव ने पीछे की सीट से देखा कि अचानक एक लंबा और एक नाटा शख़्स उनकी गाड़ी के सामने आए और गाड़ी पर बंदूक चलाने लगे। जीप में बैठे सभी ऑफिसर्स की तत्काल मृत्यु हो गई।

दोनों ने वही जीप उठाई और आगे बढ़ गए। जीप थोड़ी दूर जाकर पंचर हो गई। जिसके बाद उन्होंने पास से गुजर रही स्कोडा कार को निशाना बनाया।

रात 12 बजकर 40 मिनिट उस दिन पूरे मुंबई शहर में पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात थी। जब स्कोडा कार मैरीन ड्राइव की ओर आने लगी तब ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को वायरलेस से इस बारे में खबर मिली। पुलिस सतर्क हो गई। स्कोडा नाका बंदी से पहले रूक गई। दो पुलिसवाले कार की तरफ जाने लगे।

यहाँ पुलिस और दोनों आतंकियों में थोड़ी मुठभेड़ हुई जिसमें एक आंतकी मारा गया लेकिन पुलिस दूसरे आतंकी कसाब को पकड़ पाने में सफल रही।

स्निपर डॉग्स ने भी की थी मदद

स्निपर डॉग स्क्वॉयड ने आंतकवादी हमलों के दौरान बचाव में अपनी अहम भूमिका निभाई। सुल्तान, मैक्स, टाइगर और सीजर ये वो स्कॉड हैं। इनमें से कुछ हमारे बीच नहीं है लेकिन ये भी वीरों की श्रेणी में आते हैं। 26/11 के शहीद जवानों को याद करते समय इनके भी योगदान को याद किया जाएगा।

हमले में शहीद जवान-

देश को इन आतंकियों के चंगुल से छुड़ाने के लिए पुलिस विभाग और ब्लैक कैट कमांडोज़ ने काफी संघर्ष किया। इस हमले में हमारे देश के 18 जवान शहीद हुए। इनके संघर्ष को देश हमेशा याद रखेगा।

आज कई मंत्रियों ने 26/11 हमले में शहीद हुए जवानों को श्रृद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले में शहीद जवानों को याद किया।

भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी मर्रीन ड्राइव पर शहीदों को श्रृद्धांजलि दी।

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