उत्तराखंड, भारत। कई बार आपने सुना होगा कि, जब कोई तीर्थ यात्रा करने जाता है तो उसे काफी आदर सत्कार के साथ भेजा जाता है क्योंकि, कभी-कभी ऐसा होता है कि, कुछ लोग तीर्थयात्रा करने जाते हैं और घर लौट कर नहीं आ पाते हैं। उनकी किसी कारण वश मौत हो जाती है। ऐसा ही पिछले दिनों चार धाम की यात्रा के दौरान कुछ तीर्थयात्रियों के साथ हुआ। पिछले दिनों कई तीर्थयात्रियों की हार्ट अटैक से मौत होने की खबर सामने आई थी। वहीं, अब केदारनाथ यात्रा के दौरान बेजुबान जानवरों के मरने की खबर सामने आई है। जी हां, अब तक यहां सैकड़ों घोड़े और खच्चरों की जान जा चुकी है।
केदारनाथ यात्रा में गई सैकड़ों घोड़े और खच्चरों की जान :
दरअसल, इन दिनों केदारनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का जमावड़ा लगा हुआ है, लोग भारी संख्या में भगवन भोलेनाथ के दर्शन के लिए आ रहे है। इनमे से कुछ लोग ऐसे है जो इतनी चढाई नहीं चढ़ पाते है और चढ़ाई चढ़ने में असमर्थ होने के चलते वह यहां मौजूद बेजुबान जानवर जैसे घोड़े और खच्चरों का सहारा लेते है। ऐसे में इन बेजुबान जानवरों की लगातार जान जा रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि, केदारनाथ यात्रा में 46 दिनों में 175 जानवरों की मौत हो चुकी है। जिसमें घोड़े और खच्चर शामिल है। इन जानवरों की जान इसलिए गई क्योंकि, यहां इन घोड़े और खच्चरों पर अमानवीय तरीके से यात्रियों और सामान का भार ढोया जाता है।
मालिकों की हुई अच्छी कमाई :
बताते चलें, यह बेजुबान जानवर खुद की जान देकर अपने मालिकों को करोड़ो का फायदा करा गए है क्योंकि, यहां घोड़ा-खच्चरों के मालिकों को इन 46 दिनों के दौरान 56 करोड़ रुपये की कमाई हो चुकी है। इसके बाद भी यह घोड़े और खच्चरों के मालिक इन बेजुबान जानवरों की तकलीफ समझने को तैयार नहीं है। बताते चलें, इस साल गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए 8516 घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण हुआ था। यह घोड़े और खच्चर बड़ी संख्या में तीर्थयात्रीयों को 16 किलोमीटर की दुर्गम दूरी की यात्रा करवाने के लिए पंजीकृत किये जाते हैं। अब तक 2,68,858 यात्री घोड़े-खच्चरों से केदारनाथ पहुंचे और दर्शन कर लौटे। इस दौरान 56 करोड़ का कारोबार हुआ और जिला पंचायत को पंजीकरण शुल्क के रूप में करीब 29 लाख रुपये जमा किए गए।
पशु चिकित्साधिकारी ने बताया :
इस तरह से लगातार जानवरों की हो रही मौत को लेकर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि, 'अभी तक 175 घोड़ा-खच्चरों की मौत हो चुकी है। पैदल मार्ग पर दो जानवरों की करंट लगने से भी मौत हुई थी। इसके बाद विभाग ने निगरानी के लिए विशेष जांच टीमें गठित की थीं। इस दौरान 1930 संचालकों और हॉकर के चालान किए गए। इसके अलावा यहां जानवरों को पर्याप्त खाना और आराम भी नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते उनकी मौत हो रही है।
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