'तांडव' विवाद: निर्माताओं और एक्टर्स को SC ने राहत देने से किया इनकार

पॉपुलर वेब सीरीज 'तांडव' का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म के कलाकारों को एफआईआर से राहत देने से इंकार कर दिया।
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राज एक्सप्रेस। अमेजन प्राइम का पॉपुलर वेब सीरीज 'तांडव' का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई राज्यों में इस वेब सीरीज के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने के लिए एफआईआर दर्ज हुई हैं। बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म के कलाकारों को एफआईआर से राहत देने या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है।

बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने एक्टर मोहम्मद जीशान अयूब, अमेजन प्राइम वीडियो (इंडिया) और 'तांडव' के निर्माताओं को उनके खिलाफ दर्ज कई एफआईआर में गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, अग्रिम जमानत या एफआईआर रद्द कराने के लिए वे हाई कोर्ट में गुहार लगाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि, अभिव्यक्ति की आजादी अनंत नहीं है। वहीं वेब सीरीज तांडव के निर्माता, लेखक और अभिनेता के खिलाफ देश भर में दर्ज मामलों को आपस में जोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया। मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी।

बताते चलें कि, सुप्रीम कोर्ट में 'तांडव' के मेकर्स और ऐक्टर्स की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज मामलों में राहत देने और अंतरिम जमानत की मांग की गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया है।

वेबसीरीज के एक्टर और निर्माता धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और धर्म के अपमान को लेकर आपराधिक मामलों से घिरे हुए हैं, जोकि भारतीय दंड संहिता की धारा 153A और 295 के तहत दंडनीय अपराध है।

आपको बता दें कि, वेब सीरीज 'तांडव' को लेकर सियासी बवाल के बाद निर्माता और निर्देशक अली अब्बास जफर पहले ही एक माफीनामा जारी कर चुके हैं। अली ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट जारी करते हुए लिखा था, "हम तांडव वेब सीरीज को मिल रही दर्शकों की प्रतिक्रियाओं को नजदीकी से देख रहे हैं और आज सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ विमर्श के दौरान उन्होंने हमें बड़ी तादाद में आ रही उन शिकायतों और याचिकाओं के बारे में बताया, जिनमें लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बातें कही गयीं हैं।"

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