''जश्न-ए-रेख्ता'' में जानी मानी शख़्सियत Javed Akhtar की जिंदगी पर लिखी 'जादूनामा' किताब लांच
राज एक्सप्रेस। राजधानी दिल्ली में हो रहे ''जश्न -ए -रेख्ता '' में जानी मानी शख़्सियत जावेद अख्तर (Javed Akhtar) की ज़िंदगी पर लिखी किताब लांच हुई इसके लेखक अरविन्द मण्डलोई है और इस किताब का प्रकाशक मंजुल पब्लिकेशन ने किया हैं। किताब की लांचिंग पर जावेद सर पहुंचे तो हजारों की संख्या में मौजूद लोग एक स्वर में शोर मचाने लगे, इस शोर से लोगो के दिल में जावेद सर के लिए प्यार और रिस्पेक्ट का अंदाजा लगाया जा सकता है,लोगो के इस उल्लास और प्यार को देखकर उनके चेहरे पर एक मुस्कराहट आई और सलाम करते हुए वो मंच पर आये।
जावेद अख्तर की ज़िंदगी पर लिखी जादूनामा
बता दे, कि जावेद साहब का निकनेम ''जादू'' है और इस किताब का नाम ''जादूनामा '' उन्ही के निकनेम पर रखा गया हैं। इस किताब में आपको कई ऐसे किस्से मिलेंगे जिनके बारे में जावेद अख्तर ने कभी कही ज़िक्र नहीं किया हैं। यह किताब एक माध्यम होगी जावेद सर की ज़िंदगी के अंधेरे उजाले के बारे में जानने के लिए, उनके जीवन के अनदेखे संघर्ष और एक साधारण से जावेद से एक सफल लेखक बनने तक के सफर को जानने के लिए।
अपनी किताब की विमोचन पर साझा किये कुछ राज :
जावेद सर ने कहा कि, भोपाल में 56 साल पहले जिस जगह से अंग्रेजी की ख्वाजा अहमद अब्बास की किताब ‘इंकलाब’ खरीदी थी, उसी लॉयल बुक डिपो के मंजुल प्रकाशन ने आज मुझ पर किताब छापी है। हंसते हुए बोले ‘पुराना इन्वेस्टमेंट आज काम आया’ अपने अतीत के कुछ मजेदार किस्से बांटते हुए जावेद अख्तर ने कई बातें साझा की।
वही, ‘तरकश’ और ‘लावा’ इन दो किताबो के बाद कोई नई किताब नहीं आने के सवाल पर जावेद बोले कि ''कमर्शियल फिल्में तो ऑडियंस की पसंद को ध्यान में रखकर बनती है, जबकि शायरी संजीदगी और तसल्ली से होती है। कोई ख्याल ऐसा हो जो पूरा और अनोखा हो, तभी मैं लिख पाता हूं, वरना नहीं लिखता'' ‘जादूनामा’ के लेखक मण्डलोई ने बताया कि, किताब के दौरान जब उन्होंने जीपी सिप्पी से बात की तो उन्होंने सलीम-जावेद की जोड़ी का एक राज खोला। उन्होंने कहा, ‘शोले के डायलॉग जावेद अख्तर साहब ने लिखे थे, बाकी फिल्मों में भी उन्होंने ही डॉयलॉग लिखे।’ जादूनामा शीर्षक को लेकर उन्होंने बताया कि जावेद साहब का निकनेम जादू है, इसलिए जिंदगी के हिस्से समेटने वाली किताब का नाम ‘जादूनामा’ रखना तय किया।
बुक का नाम ‘जादूनामा’ रखने के सवाल पर उन्होंने अपने से जुड़ा एक और राज खोलते हुए कहा कि '' उनके पिता जां निसार अख्तर की जब शादी हुई थी, तब उन्होंने जादू नाम से एक नज्म कही थी। जिसकी लाइन थी, ‘लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा’। जावेद के जन्म के समय जां निसार को यह नज्म याद दिलाते हुए कहा कि क्यों न बच्चे का नाम जादू रखा जाए। इस तरह उनका निकनेम जादू पड़ गया।'' वही ''जादूनामा'' बुक में बॉलीवुड जगत के अन्य सितारों ने भी जावेद अख्तर के व्यक्तित्व की प्रशंसा की है-
जावेद साहब की रचनात्मकता और बुद्धिमत्ता मेरे लिए हमेशा प्रेरणा का स्त्रोत्र रही है। -अमिताभ बच्चन
जावेद बहुत ही बुद्धिमान और लॉजिकल हैं। हम दोनों का साथ बहुत ही जोरदार रहा।-सलीम खान
मैं जावेद साहब के हुनर का प्रसंशक रहा हूँ। उन्होंने मेरी फिल्म सिलसिला के गाने लिखे और जल्द ही अपने समय के सर्वोत्तम गीतकार बन गए। - यश चोपड़ा
उनके निकनेम ''जादू '' की तरह जावेद साहब का संपूर्ण व्यक्तित्व ही जादुई है। -गुलज़ार
बीते जमाने में साहिर और मजरूह जैसे कई महान गीतकार मिले हैं, और आज के समय में हमारे पास जावेद अख्तर जैसा गीतकार हैं - आशा भोसले
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