Virupaksha Review : रहस्यात्मक हॉरर फिल्म है विरुपक्षा
विरुपक्षा(3 / 5)
स्टार कास्ट - साई धर्म तेज, संयुक्ता
डायरेक्टर - कार्तिक दांडू
प्रोड्यूसर - बी.वी.एस.एन प्रसाद, मनीष शाह
स्टोरी :
फिल्म की कहानी सूर्या (साई धर्म तेज) की है जो कि दोस्त और मां के साथ अपने गांव रुद्रावनम आया है। गांव पहुंचकर सूर्या की मुलाकात सरपंच हरिश्चंद्र (राजीव कनकाला) की बेटी नंदिनी (संयुक्ता) से होती है। सूर्या पहली ही नजर में नंदिनी से प्यार करने लगता है। सूर्या नंदिनी को अपने दिल की बात बताता है और जिस दिन नंदिनी उसे अपने दिल की बात बताने वाली होती है, उसी दिन गांव की माता के मंदिर में एक आदमी अपनी जान दे देता है। आदमी की मौत मंदिर के प्रांगड़ में होने के चलते गांव के पुजारी इसे अपशकुन मानते हैं और गांव में अष्टबंधक लागू कर देते हैं। अष्टबंधक लागू होने से अब गांव का कोई भी इंसान अगले आठ दिन तक गांव से बाहर नहीं जा सकता और न ही बाहर का कोई इंसान गांव के अंदर आ सकता है। अष्टबंधक लागू होने के कुछ दिनों बाद ही और भी लोगों की मौतें होना शुरू हो जाती है। अब ये मौतें क्यों हो रही हैं और इसके पीछे कौन है, यह जानने का फैसला सूर्या करता है। अब क्या सूर्या इस राज को जान पाएगा कि इन मौतों के पीछे कौन है और क्यों अचानक गांव में मौतें होना शुरू हो गई हैं। इस सवाल का जवाब आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेगा।
डायरेक्शन :
फिल्म को डायरेक्ट कार्तिक दांडू ने किया है और उनका डायरेक्शन ठीक है। फिल्म की स्टोरी में नयापन तो है लेकिन क्लाइमैक्स में फिल्म मार खाती है। फिल्म का स्क्रीनप्ले बढ़िया है और सिनेमेटोग्राफी भी लाजवाब है। फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड म्यूजिक दोनों ही बढ़िया है। फिल्म के डायलॉग काफी चीप हैं जो कि ज्यादातर डबिंग फिल्मों में देखने को मिलते हैं। फिल्म की लंबाई थोड़ी कम की जा सकती थी।
परफॉर्मेंस :
परफॉर्मेंस की बात की जाए तो साई धर्म तेज ने बढ़िया काम किया है। फिल्म की हीरोइन संयुक्ता ने भी अच्छा काम किया है। फिल्म में उनका काफी दमदार किरदार है और उन्होंने उसे काफी अच्छे से निभाया भी है। सुनील जैसे एक्टर को फिल्म में वेस्ट किया गया है। ब्रह्माजी ने भी अपने किरदार के साथ इंसाफ किया है। राजीव कनकाला ने भी सराहनीय काम किया है। फिल्म के बाकी किरदारों का काम भी ठीक ही है।
क्यों देखें :
विरुपक्षा एक सुपरनैचुरल हॉरर थ्रिलर फिल्म है जो कि अंत तक आपको बांधे रखती है। यह फिल्म उन हॉरर फिल्मों में से नहीं है जो कि आपको डराती है बल्कि यह उन फिल्मों में शामिल है जो कि आपको अपनी ही एक दुनिया में लेकर जाती है। फिल्म शुरू से लेकर अंत तक ठीक है, बस फिल्म का क्लाइमैक्स बेहतर किया जा सकता था। अगर आप बॉलीवुड की हॉरर फिल्में देखकर थक चुके हैं तो इस फिल्म को एक बार तो देखने जा ही सकते हैं।
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