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Safed Review : किन्नरों और विधवाओं के दर्द को बयां करती है सफेद

संदीप सिंह निर्देशित यह फिल्म आज डिजिटल प्लेटफार्म जी5 पर रिलीज हो चुकी है। कैसी है फिल्म, चलिए आपको बताते हैं।
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सफेद(3 / 5)

स्टार कास्ट - मीरा चोपड़ा, अभय वर्मा, बरखा बिष्ट

डायरेक्टर - संदीप सिंह

प्रोड्यूसर - संदीप सिंह

अलीगढ़, सरबजीत, भूमि और पीएम नरेंद्र मोदी जैसी फिल्मों को प्रोड्यूस कर चुके संदीप सिंह ने पहली बार फिल्म सफेद के जरिए डायरेक्शन में हाथ आजमाया है। संदीप सिंह निर्देशित यह फिल्म आज डिजिटल प्लेटफार्म जी5 पर रिलीज हो चुकी है। कैसी है फिल्म, चलिए आपको बताते हैं।

स्टोरी

फिल्म सफेद की कहानी बनारस में बेस्ड है, जो कि किन्नर चांदी (अभय वर्मा) और विधवा काली (मीरा चोपड़ा) के इर्द-गिर्द घूमती है। दोनों ही अपनी जिंदगी के हालातों से दुखी हैं। दोनों की जब पहली बार मुलाकात होती है तो काली चांदी को मर्द समझकर पसंद करने लगती है। काली और चांदी दोनों एक-दूसरे को प्यार करने लगते हैं लेकिन जब काली को पता चलता है कि चांदी एक मर्द नहीं बल्कि एक किन्नर है तो उसका दिल टूट जाता है। अब क्या यह प्रेम कहानी आगे बढ़ेगी और क्या चांदी और काली कभी एक-दूसरे के हो पाएंगे। यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

डायरेक्शन

फिल्म को डायरेक्ट संदीप सिंह ने किया है और उनका डायरेक्शन ठीक है। संदीप सिंह ने फिल्म बनाने के लिए सब्जेक्ट तो बढ़िया चुना लेकिन अफसोस वो इस सब्जेक्ट के साथ पूरी तरह न्याय नहीं कर पाए। फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी बोरिंग है और सिनेमेटोग्राफी भी ठीक है। फिल्म की सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी लंबाई सिर्फ 70 मिनट की है। फिल्म के डायलॉग भी काफी बोल्ड हैं और बिना वजह फिल्म के किरदार गालियां दे रहे हैं। फिल्म का म्यूजिक भी औसत दर्जे का है।

परफॉर्मेंस

परफॉर्मेंस की बात की जाए तो फिल्म की लीड एक्ट्रेस मीरा चोपड़ा ने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है। अभय वर्मा ने भी किन्नर के किरदार को बखूबी निभाया है। बरखा बिष्ट का भी काम सराहनीय है। जमील खान ने भी किन्नरों की गुरु मां का किरदार अच्छे से प्ले किया है। छाया कदम का भी काम ठीक है। फिल्म के बाकी किरदारों का भी काम अच्छा है।

क्यों देखें

सफेद फिल्म समाज के दो उपेक्षित वर्ग किन्नरों और विधवाओं की बात करती है। फिल्म में यह बताने की कोशिश की गई है कि किन्नरों और विधवाओं का भी अपना खुद का एक दर्द है और ऊपर से जब समाज के लोग उन्हें उपेक्षित नजरों से देखते हैं तो उन्हें और ज्यादा तकलीफ होती है। अगर आप भी किन्नरों और विधवाओं के दर्द को महसूस करना चाहते हैं तो यह फिल्म देख सकते हैं।

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