Love You Loktantra Review : ठीक-ठाक पॉलिटिकल सटायर फिल्म है लव यू लोकतंत्र
लव यू लोकतंत्र(2.5 / 5)
स्टार कास्ट : ईशा कोप्पिकर, अमित कुमार, मनोज जोशी
डायरेक्टर : अभय निहलानी
प्रोड्यूसर : जुरिच मीडिया हाउस
स्टोरी :
फिल्म की कहानी दो राजनीतिक पार्टियों के बीच हुए टकराव की है। एक पार्टी की हेड गुलाब दीदी (ईशा कोप्पिकर) हैं और दूसरी पार्टी के हेड चंद्रमोहन पाण्डेय (मनोज जोशी) हैं। चुनाव होने के बाद दोनों ही पार्टियों को बराबर सीट मिलती है। सरकार बनाने के लिए दोनों ही पार्टियों को दो विधायक चाहिए। इसी बीच खबर आती है कि गुलाब दीदी के बेटे की गाड़ी में दो विधायक पकड़े गए हैं। गुलाब दीदी को अब सरकार बनाने के साथ ही बेटे को भी बचाना है, क्योंकि चंद्रमोहन पाण्डेय ने गुलाब दीदी के बेटे को फंसाने के लिए सिर्फ चार मिनट में केस सॉल्व करने वाले वकील सिकंदर मालपानी (रवि किशन) को हायर किया हुआ है। अब गुलाब दीदी को कोई ऐसा वकील चाहिए जो कि सिकंदर मालपानी को कोर्ट में टक्कर दे सके। ऐसे में गुलाब दीदी अपने पुराने आशिक जयदेव खट्टर (अमित कुमार) को हायर करती है। अब जयदेव ऊर्फ जेरी क्या यह केस जीत पाएगा और किस पार्टी की आखिरकार सरकार बनेगी। इन सभी सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद पता चल जाएंगे।
डायरेक्शन :
फिल्म को डायरेक्ट अभय निहलानी ने किया है और उनका डायरेक्शन औसत दर्जे का है। फिल्म का स्क्रीनप्ले ठीक है और सिनेमेटोग्राफी भी ठीक ही है। फिल्म का म्यूजिक बढ़िया है। खासतौर पर कृष्णा अभिषेक पर फिल्माया हुआ गाना। फिल्म में कुछ ऐसे सीन्स और डायलॉग्स हैं जिन्हें देखकर और सुनकर आपको जरूर हंसी आएगी। फिल्म की प्रोडक्शन वैल्यू भी अच्छी है।
परफॉर्मेंस
परफॉर्मेंस की बात की जाए तो ईशा कोप्पिकर ने बढ़िया काम किया है। मनोज जोशी ने भी शानदार काम किया है। अमित कुमार ने बढ़िया काम किया है जो कि उनकी यह पहली फिल्म है। स्नेहा उलाल ने भी सराहनीय काम किया है। अली असगर ने भी अच्छी कॉमेडी फिल्म में की है। रवि किशन का अभिनय डिसेंट है। कृष्णा अभिषेक और सपना चौधरी का कैमियो फिल्म को सपोर्ट करता है। दयाशंकर पाण्डेय और सुधीर पाण्डेय ने भी ठीक काम किया है। फिल्म के बाकी कलाकारों का काम भी ठीक ही है।
क्यों देखें :
लव यू लोकतंत्र एक ठीक-ठाक पॉलिटिकल सटायर फिल्म है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह सिर्फ सत्ता की कुर्सी के लिए दो अलग-अलग विचार धारा रखने वाली राजनीतिक पार्टियां एक साथ आ जाती हैं। अगर अलग विचार धारा रखने वाली पार्टियां सत्ता की कुर्सी पाने के लिए एक साथ आ सकती हैं तो जनता को भी यह अधिकार देना चाहिए कि वो भी अपना दिया हुआ वोट वापस ले सकें। फिल्म में इतनी गंभीर बात को बड़े ही मजाकिया ढंग से कहने की कोशिश की गई है। अगर आपको इस तरह की फिल्में देखना पसंद है तो आप इस फिल्म को इस हफ्ते देखने जा सकते हैं।
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