Kabzaa Review
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Kabzaa Review : सिर्फ एक्शन से भरी है फिल्म कब्जा

कन्नड़ सुपरस्टार उपेंद्र स्टारर पैन इंडिया फिल्म कब्जा आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। कैसी है फिल्म चलिए आपको बताते हैं।
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कब्जा(1.5 / 5)

स्टार कास्ट - उपेंद्र, किच्चा सुदीप, शिवा राजकुमार

डायरेक्टर - आर चंद्रू

प्रोड्यूसर - आनंद पंडित

स्टोरी :

फिल्म की कहानी आजादी के पहले की है, जहां पर दिखाया गया है कि अर्केश्वर (उपेंद्र) अपने भाई और मां के साथ रह रहा है। पेशे से एयर फोर्स ऑफिसर अर्केश्वर छुट्टी पर घर आता है और एरिया के लोकल गुंडे अर्केश्वर के बड़े भाई संकेश्वर की हत्या कर देते हैं और अर्केश्वर गुस्से में आकर एरिया के गुंडे खालिद का मर्डर कर देता है और बहुत बड़ा गैंगस्टर बन जाता है। अर्केश्वर शहर के पॉलिटिकल नेता की बेटी मधुमति (श्रिया सरन) से प्यार करता है और उससे शादी भी कर लेता है। अर्केश्वर अब बहुत बड़ा गैंगस्टर बन चुका है और उसे रोकने पुलिस ऑफिसर भार्गव बक्शी (किच्चा सुदीप) की एंट्री होती है। अब आगे क्या होगा, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

डायरेक्शन :

फिल्म को डायरेक्ट आर चंद्रू ने किया है और उनका डायरेक्शन अच्छा नहीं है। फिल्म का स्क्रीनप्ले ऐसा है कि फिल्म आपको फर्स्ट पार्ट में समझ ही नहीं आएगी। फिल्म का सेकंड पार्ट शायद आपको थोड़ा समझ आए क्योंकि फिल्म में सिर्फ और सिर्फ एक्शन सीक्वेंस चल रहा है और कुछ भी नहीं। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी अप टू द मार्क नहीं है क्योंकि फिल्म काफी डार्क बनाई गई है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी लाउड है जो कि आपके कानों को परेशान कर सकता है। फिल्म के डायलॉग काफी चीप हैं जिन्हें सुनकर आपको हंसी आ सकती है।

परफॉर्मेंस :

परफॉर्मेंस की बात की जाए तो उपेंद्र का काम ठीक है। फिल्म के एक्शन सीक्वेंस उन्होंने अच्छे से फिल्माए हैं। किच्चा सुदीप सिर्फ दस मिनट के लिए फिल्म में नजर आते हैं और उनका काम भी ठीक है। श्रिया सरन फिल्म में काफी ब्यूटीफुल लग रही हैं और उनका भी काम ठीक है। मुरली शर्मा और नवाब शाह का काम भी ठीक है। फिल्म के बाकी कलाकारों का काम औसत दर्जे का है।

क्यों देखें :

कब्जा एक एक्शन एडवेंचर ड्रामा फिल्म है जिसमें सिर्फ और सिर्फ एक्शन है। कब्जा के मेकर्स ने फिल्म को केजीएफ की तरह बनाने की कोशिश की है लेकिन फिल्म कहीं से भी केजीएफ की तरह नहीं बन पाई है। सिर्फ एक्शन और डायलॉग बाजी करने से दूसरी केजीएफ नहीं बनती है, यह बात दूसरे कन्नड़ फिल्मकारों को समझनी होगी। इसके अलावा यह फिल्म कहीं से भी और अपने किसी भी डिपार्टमेंट से अट्रैक्ट नहीं करती है इसलिए यह फिल्म न भी देखी जाए तो किसी का कोई नुकसान नहीं होगा बाकी आप लोगों की मर्जी।

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