ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर बात करती है फिल्म 'अन्य'
ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर बात करती है फिल्म 'अन्य'Social Media

Anya Review : ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर बात करती है फिल्म 'अन्य'

राइमा सेन फिल्म अन्य से मराठी सिनेमा में डेब्यू करने जा रही हैं। फिल्म अन्य मराठी भाषा के अलावा हिंदी भाषा में भी रिलीज हुई है। चलिए जानते हैं, कैसी है फिल्म।
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फिल्म : अन्य

स्टार कास्ट : राइमा सेन, अतुल कुलकर्णी, तेजश्री प्रधान, प्रथमेश परब

डायरेक्टर : सिम्मी जोसेफ

प्रोड्यूसर : शेलना के

रेटिंग : 3 स्टार

बॉलीवुड एक्ट्रेस राइमा सेन (Raima Sen) और अतुल कुलकर्णी (Atul Kulkarni) स्टारर फिल्म अन्य आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। राइमा सेन फिल्म अन्य से मराठी सिनेमा में डेब्यू करने जा रही हैं। फिल्म अन्य मराठी भाषा के अलावा हिंदी भाषा में भी रिलीज हुई है। चलिए जानते हैं, कैसी है फिल्म।

स्टोरी :

दिव्या (राइमा सेन) पेशे से पत्रकार है और वो एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाना चाहती है। दिव्या का दोस्त दीपक (भूषण प्रधान) जो कि एक चैनल में काम करता है, वो किसानों के आत्महत्या से जुड़े एक आंदोलन को कवर करने जाता है। दिव्या भी दीपक के साथ कुछ फुटेज शूट करने के लिए जाती है, ताकि वो यह फुटेज अपनी डॉक्यूमेंट्री में इस्तेमाल कर सके। दिव्या की मदद डॉक्यूमेंट्री बनाने में अरिंदम (अतुल कुलकर्णी) भी कर रहा है जो कि पेशे से राइटर है। दिव्या दीपक को बोलती है कि वो इस डॉक्यूमेंट्री के लिए किसी फाइनेंसर को ढूंढे और किसी ऐसे एक इंसान को ढूंढे जो कि हिडेन कैमरा लगाकर शूट कर सके। दीपक झोपड़पट्टी में रहने वाले पॉकेटमार सरताज (प्रथमेश परब) को ढूंढता है और उसे यह काम करने के लिए राजी कर लेता है। दीपक डॉक्यूमेंट्री के लिए एक पॉलिटिकल पार्टी के नेता को स्पॉन्सर करने किए भी मना लेता है, लेकिन वो नेता डॉक्यूमेंट्री में शामिल ह्यूमन ट्रैफिकिंग का एक फुटेज अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है। जब यह बात अरिंदम को पता चलती है तो वो दिव्या से नाराज हो जाता है। अब आगे क्या होगा, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

डायरेक्शन :

फिल्म को डायरेक्ट सिम्मी ने किया है और उनका डायरेक्शन औसत दर्जे का है। फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी बोरिंग है और सिनेमेटोग्राफी ठीक ही है। फिल्म में ऐसे कई सीन्स हैं जिनकी जरूरत नहीं थी। फिल्म जो कहना चाहती थी वो बताने में असफल दिखती है। फिल्म का म्यूजिक ही नहीं बल्कि बैकग्राउंड म्यूजिक भी अच्छा नहीं है। फिल्म के डायलॉग भी काफी कमजोर हैं।

परफॉर्मेंस :

परफॉर्मेंस की बात करें तो राइमा सेन ने ठीक-ठाक काम किया है। अतुल कुलकर्णी ने भी अपने रोल को अच्छे से निभाया है। भूषण प्रधान ने भी अच्छा काम किया है। प्रथमेश परब ने भी बढ़िया काम किया है। तेजश्री प्रधान ने भी अच्छा काम किया है। यशपाल शर्मा और गोविंद नामदेव को फिल्म में अच्छे से इस्तेमाल नहीं किया गया है। फिल्म के बाकी कलाकारों ने अच्छा काम किया है।

क्यों देखें :

फिल्म अन्य ह्यूमन ट्रैफिकिंग, प्रॉस्टिट्यूशन, किसान आत्महत्या, गरीबी जैसे मुद्दों पर बात करती है लेकिन फिल्म में ह्यूमन ट्रैफिकिंग और प्रॉस्टिट्यूशन पर ज्यादा प्रकाश डाला गया है। इसके अलावा फिल्म में यह भी बताने कोशिश की गई है कि हर एक अच्छे इंसान के अंदर एक बुरा इंसान होता है और हर एक बुरे इंसान के अंदर अच्छा इंसान भी होता है। अगर आप इस तरह की फिल्में देखना पसंद करते हैं तो फिर आप इस फिल्म को देख सकते हैं।

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