Adipurush Analysis
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Adipurush Analysis: 600 करोड़ का मजाक, क्यों खेला हमारी आस्था के साथ!

Adipurush Analysis: इस फिल्म में इतनी गलतियां की गई है जिसे शायद एक लेख में लिखा नहीं जा सकता लेकिन इनमें से कुछ गलतियों का विवरण आपके सामने रखना बहुत जरूरी है।
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राज एक्सप्रेस। आदिपुरूष (Adipurush), एक ऐसी फिल्म जिसने श्री हनुमान और प्रभु श्री राम के करोड़ों भक्तों की भावनाओं को आहत कर दिया है। आदिपुरूष के मेकर्स द्वारा फिल्म की मार्केटिंग में करोड़ों रुपए फुके जा रहे है। यही नहीं, सोशल मीडिया के तथाकथित राष्ट्रवादी इनफ्लुएंसर्स (Social Media Influencers) को पैसे देकर उनसे पॉजिटिव रिव्यू करवायाए जा रहे है क्योंकि जब पिछले साल ही इस फिल्म का टीजर आया था तभी इस फिल्म के निर्माता और मेकर्स को यह बात समझ आ चुकी थी कि उन्होंने बहुत बड़ी गलती कर दी है। इस फिल्म का विरोध, शुरुआत से ही जनता द्वारा किया जा रहा था। शाहरुख खान की पठान (Shahrukh Khan's Pathaan) और रणबीर कपूर की ब्रह्मास्त्र (Ranbir Kapoor's Brahmastra) मूवी के समय जो ट्रोल और बॉयकॉट आर्मी दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) और रणबीर कपूर के पीछे पड़ गई वह अब कहीं नजर नहीं आ रही हैं।

इस फिल्म को भगवान राम का झंडा लेकर राजनीति साधने वाले दल की सरकार के भीतर आने वाले सेंसर बोर्ड ने कैसे पास कर दिया, क्या इसलिए की फिल्म की शुरुआत में मेकर्स ने एक लिस्ट दिखाई कि उन्होंने कुछ राजनीतिक हस्तियों से आशीर्वाद लिया है। यह फिल्म श्री रामायण, भगवान राम और श्री हनुमान जी का तिरस्कार है। इस फिल्म में इतनी गलतियां की गई है जिसे शायद एक लेख में लिखा नहीं जा सकता लेकिन इनमें से कुछ गलतियों का विवरण आपके सामने रखना बहुत जरूरी है।

श्री हनुमानजी का मजाकिया चित्रण

आदिपुरूष फिल्म में श्री हनुमान जी (Lord Hanuman) को एक मसखरा बनाकर रख दिया गया है। श्री हनुमान का चित्रण इतने ज्यादा ओछे तरीके से किया गया है जिसकी कोई सीमा ही नहीं है। इस फिल्म में भगवान श्री हनुमान के एक भी चरित्र को नहीं दर्शाया जिसका विवरण हमें ऋषि वाल्मीकि जी की रामायण (Valmiki Ramayana) या अन्य ग्रंथों में मिलता है। हनुमान जी की संवाद कुशलता का इस प्रकार गला घोटा गया है कि एक दृश्य में जब हनुमानजी के पूंछ में आग लगाई जाती है तब उनके डायलॉग होते है कि,“कपड़ा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप का, आग भी तेरे बाप की, तो जलेगी भी तेरे बाप की.”। इस प्रकार घटिया और चिंदी डायलॉग्स उन्होंने हनुमान जी के लिए लिखे है जैसे कि वे देवता न हो कर कॉलेज में पढ़ने वाले शरारती विद्यार्थी हो। जबकि लंका को जलाते वक्त उन्होंने कहा था कि,

"यो ह्ययं मम लाङ्गले दीप्यते हव्यवाहनः।

अस्य संतर्पणं न्याय्यं कर्तुमेभिर्गृहोत्तमैः॥५॥"

अर्थात: 'मेरी पूँछ में जो ये अग्निदेव देदीप्यमान हो रहे हैं इन्हें इन श्रेष्ठ गृहों की आहुति देकर तृप्त करना न्यायसंगत जान पड़ता है।

इस फिल्म में ऐसे और भी कई बार श्री हनुमान जी के व्यतित्व और चरित्र का हनन किया गया जिसे आप कतई देखना नहीं चाहेंगे।

श्री हनुमानजी का मजाकिया चित्रण
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इंद्रजीत ने काटा मां सीता का गला

फिल्म के आखरी दृश्य में यह दिखाया गया है कि रावण या लंकेश, मां सीता को छल से युद्ध भूमि में लेकर आता है और उसका बेटा इंद्रजीत (Indrajit) जिसे हम मेघनाद (Meghnad) के नाम से भी जानते है, मां सीता (Goddess Sita) का गला छुरी से काट देता है वो भी श्री राम, हनुमानजी और श्री लक्ष्मण के सामने। यह प्रसंग या ऐसी कहानी आपने दुनिया के किसी भी रामायण में नहीं पढ़ी होगी जहां मां सीता युद्ध भूमि में आती है और उनको किसी ने भी छुआ होता है। रचनात्मक स्वतंत्रता का इतना गलत इस्तेमाल शायद ही कभी हिंदी सिनेमा या किसी और भाषा की फिल्मों में देखा गया होगा।

इंद्रजीत ने काटा मां सीता का गला
इंद्रजीत ने काटा मां सीता का गलाRE

सुषेण वैद्य को किया गया गायब

फिल्म से, श्री लक्ष्मण को बचाने वाले और श्री हनुमान जी को संजीवनी बूटी (Sanjeevni Buti) की उगने की जगह को बताने वाले सुषेण वैद्य (Sushena Vaidya) को गायब कर दिया गया है जबकि श्री हनुमान अष्टक में लिखा गया है कि,

बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।

अर्थात– जब मेघनाद ने लक्ष्मण पर शक्ति का प्रहार किया और लक्ष्मण मूर्छित हो गए तब श्री हनुमान जी आप ही लंका से सुषेण वैद्य को घर सहित उठा लाए और उनके परामर्श पर द्रोण पर्वत उखाड़कर संजीवनी बूटी लाकर दी और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की।

इस फिल्म में सुषेण वैद्य को रावण के भाई विभीषण (Vibhisana) की पत्नी त्रिजीता (Trijita) से बदल दिया गया और उन्होंने लक्ष्मण (Lord Lakshmana) की जान बचाई। इन्होंने एक ऐसे किरदार को मिटा दिया जिसे श्री हनुमान अष्टक में जगह दी गयी हो, जिसने प्रभु राम के भाई श्री लक्ष्मण को बचाया था।

सुषेण वैद्य को किया गया गायब
सुषेण वैद्य को किया गया गायबRE

विभीषण की पत्नी सरमा को दिखाया गया कपड़े बदलते

इस फिल्म के मेकर्स इस हद तक नीचे गिरे की उन्होंने विभीषण की पत्नी सरमा को कपड़े बदलते हुए दिखा दिया गया और उसके बाद उसे ऐसे कपड़े पहनाए की जैसे वे 7000 वर्ष पुरानी महिला न हो कर आज के समय में किसी फैशन शो की शो स्टॉपर हो। मेकर्स द्वारा रामायण में ऐसे कामुकता से भरे हुए कपड़े और सीन को डाला जाना किसी पाप से कम नहीं है क्योंकि जिस रामायण को हम सभी अपने बचपन सुनते, पढ़ते और देखते हुए आ रहे है उसमे इस प्रकार के वस्त्र नहीं थे।

रावण ने तोड़ा रुद्राक्ष से बना बाजूबंद

हमें बचपन से यही दिखाया और पढ़ाया गया कि रावण (Ravan) भले ही एक राक्षस (Demon) था लेकिन उससे बड़ा भगवान शिव का भक्त दुनिया में न कभी था और न ही कभी हुआ होगा। राक्षस राजा रावण ने शिव तांडव स्तोत्रम नाम के भजन को भी लिखा था जिसे आज हम सब खुद गाते और पढ़ते है। शिव भगवान से जुड़े होने की वजह से वह हर उस चीज का भी सम्मान और पूजा किया करते थे लेकिन इस फिल्म में इसे भी बदल दिया गया। फिल्म में दिखाया गया कि जब रावण, सीता हरण कर धीरे-धीरे साधु के रूप को हटाकर अपने असली भेष में आ रहा होता है, उस समय जो रुद्राक्ष से बना बाजूबंद रावण ने पहना होता, वह उसे अपने त्रिशिक से तोड़ देता है और रुद्राक्ष जमीन पर गिर जाते है।

रावण
रावण RE

यही नहीं, रावण की लंका को किसी कोयले की खान के समान दिखाया गया है जबकि असल में लंका सोने से बनी हुई थी और बहुत ही खूबसूरत थी। यहां तक कि भगवान श्री हनुमान ने भी वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड में कहा था कि लंका देवताओं की नगरी के समान है और ऐसा लगता है कि यह धरती पर नहीं स्वर्ग में हो।

 रावण की लंका
रावण की लंका RE

ऐसी ही और भी सैकड़ों गलतियां से भरी पड़ी है आदिपुरुष। बॉलीवुड (Bollywood) पर भरोसा करना अब दिन पर दिन कठिन होता जा रहा है क्योंकि इस इंडस्ट्री ने अब तक हमारी संस्कृति और हमारे धर्म से जुड़ी एक ईमानदार और अच्छी फिल्म नहीं दी है। आदिपुरूष न तो रामायण है न ही यह रामायण के आस पास की भी कहानी को बतलाती है। इस मूवी को सिर्फ पिछले 8–9 सालों से चल रही सांप्रदायिक माहौल में पैसे कमाने के लिए ही बनाया गया है जिसका लक्ष्य एक प्रतिशत के लिए भी आपके बच्चों या आपके परिवार को श्री रामायण के बारे में बताना नहीं है। इस फिल्म से जितना हो सके उतना बचा जाए। इससे बेहतर तो 1987 में आई रामानंद सागर जी द्वारा बनाई गई 'संपूर्ण रामायण' (Sampoorna Ramayan) नाम की टीवी सीरीज या फिर 1992 में एक जापानी फिल्म मेकर्स द्वारा बनाई गई बेहतरीन एनीमेशन फिल्म 'द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम' (The Legend Of Prince Ram) देख लीजिए।

संपूर्ण रामायण
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द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम
द लीजेंड ऑफ प्रिंस रामRE

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