मैंने अपनी खुद की नेचुरल फीलिंग के साथ इस किरदार को जीने का प्रयास किया है : नेहा सरगम
सोनी टीवी पर प्रदर्शित होने वाले नए सीरियल "यशोमती मैय्या के नंदलाल" की मुख्य किरदार नेहा सरगम के साथ राज एक्सप्रेस की खास बातचीत।
ब्रज भाषा में सीरियल शूट करना कितना अलग और मुश्किल था ?
बहुत मेहनत करनी पड़ी है, और कर रही हूं। ब्रज सीखने के लिए मैं ब्रज भाषा में गाने सुनती हूं और इसके लिए रोज मेहनत करना पड़ती है। ब्रज भाषा की फिल्म भी देख रही हूं, और सबसे बड़ी बात गाना सुनने से जल्दी सीखते है। सीरियल के राइटर ब्रज के ही हैं तो उनसे सीखने को मिलता है वह गाइड करते हैं। सीरियल शुरू होने के पहले 2 माह तक उन्होंने हमें गाइड किया था जिससे हम अब ब्रज भाषा बोल पा रहे हैं और सरलता से डायलॉग को शूट कर रहे हैं।
यशोदा के रोल के अलावा और कोई मां का रोल मिले तो क्या करेंगी ?
जरूर करूंगी, अगर मां का रोल ऐसा हो जैसा यशोदा मैया का है और रियल में उस कहानी में मां के रोल की अहमियत हो तो निश्चित करुंगी। सिर्फ मां बनने के लिए मैं कोई मां का रोल नहीं करूंगी, परंतु स्टोरी में मां का रोल अगर अहम हो और किरदार की अहमियत हो तो निश्चित रूप से मां का रोल निभाने में मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
कृष्ण यशोदा पर पहले भी बहुत सारे सीरियल बन चुके है परंतु इसमें नया क्या खास देखने को मिलेगा ?
कहानी तो वही मिलेगी परंतु इसमें थोड़ी कहानी यशोदा मैया के नजरिए से प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है और इसमें कहानी का केंद्र यशोदा और कृष्ण का प्यार है।
छोटे बच्चे के साथ शो को शूट करने का अनुभव कैसा रहा और क्या चुनौतियां आई ?
शुरू- शुरू में थोड़ा चैलेंजिंग रहा, परंतु बाद में मजेदार हो गया। बच्चा भी मजेदार है, उसके साथ में सेट पर खेलती रहती हूं और वह मुझे पहचानने भी लगी है, तो शूट करने में अब कोई दिक्कत नहीं आ रही है।
आप इंडियन आइडल से आई है, तो क्या आप की आवाज में भी इस सीरियल में कोई गाना सुनने को मिलेगा ?
सीरियल के सारे गाने पहले ही बन गए थे, अभी फिलहाल तो मेरा कोई गाना नहीं है, परंतु संभव है कि भविष्य में मेरा भी कोई गाना इस सीरियल में आए।
सीरियल में कृष्ण की कितनी उम्र तक की कहानी दिखाई जाएगी ?
अभी तो सिर्फ बचपन तक की ही कहानी मुझे बताई गई है, भविष्य में कहां तक यह कहानी जाती है यह देखते हैं।
आपने इस रोल की तैयारी के लिए क्या क्या रिफरेंस लिए है ?
मैंने अपनी मां से, सीरियल के डायरेक्टर से बहुत कुछ सीखा। मां को मैं बचपन से देखती आई हूं तो मैंने बहुत सारी चीजें उनकी ली, डायरेक्टर ने हमें जिस तरीके से गाइड किया मैंने उसको पकड़ा तथा साथ ही साथ मैंने अपनी खुद की नेचुरल फीलिंग के साथ इस किरदार को जीने का प्रयास किया है।
मां का रोल करने के बाद कहीं ऐसा तो नहीं की आपको सिर्फ अब मां के रोल ही मिलने लगे ?
नहीं ऐसा नहीं है, मैंने अभी तक जितना भी काम किया है सभी में मेरा किरदार अलग अलग रहा है। जैसे पहले शो के बाद मैंने ग्रे किरदार निभाया उस वक्त मुझे लगा कि अभी टीवी को ग्रे किरदार लिखना नहीं आता, या तो वह पूरा नेगेटिव लिखते हैं या फिर पूरा पॉजिटिव अभी टीवी इसमें स्ट्रगल कर रहा है। इसके बाद सीता का किरदार निभाया जो सकारात्मक रोल था, फिर अगले सीरियल में एक रिपोर्टर का किरदार निभाया फिर मुग़ल-ए-आज़म किया अब वापिस यशोदा के रोल में आ गई, इसलिए मैंने बहुत सारे अलग-अलग किरदार किए हैं तो मुझे नहीं लगता कि आजकल एक ही किरदार में कोई कलाकार बंधा रहता है। उसके पास अभी अलग-अलग किरदार करने के बहुत सारे मौके उपल्ब्ध है।
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