कैसे फिल्मों का विलेन बन गया रियल लाइफ हीरो? जानिए कैसी रही सोनू सूद की लाइफ?
हाइलाइट्स :
सोनू सूद का जन्म 30 जुलाई 1973 को पंजाब के मोगा में हुआ था।
कोरोना के समय में सोनू सूद ने जरुरतमंदों की मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाए थे।
इसी वजह से आज वे महज एक एक्टर ही नहीं बल्कि मसीहा के रूप में भी जाने जाते हैं।
Sonu Sood Birthday : बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वे एक ऐसे एक्टर हैं जिन्हें लोग उनकी फिल्मों के अलावा अपने दरियादिल अंदाज के लिए भी जानते हैं। क्योंकि ऐसे समय में जब दुनिया कोरोना जैसे संकट से जूझ रही थी और कोई किसी की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था। ऐसे समय में सोनू सूद ने तमाम पाबंदियों के बावजूद भी सामने आकर जरुरतमंदों की मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाए थे। उन्होंने कई गरीबों को खाना खिलाया, उन्हें अपने घरों तक पहुँचाया और उनकी हर जरूरत पर ध्यान दिया। यही वजह है कि आज वे महज एक एक्टर ही नहीं बल्कि मसीहा के रूप में भी जाने जाते हैं। आज गरीबों का यही मसीहा अपना 49वां जन्मदिन मना रहा है। तो चलिए आज इस खास दिन पर जानते हैं उनकी लाइफ के बारे में।
कैसा था शुरूआती सफर?
सोनू सूद का जन्म 30 जुलाई 1973 को पंजाब के मोगा में हुआ था। उनकी शुरूआती पढ़ाई यही से हुई लेकिन अपनी आगे की पढ़ाई के चलते वे बाद में नागपुर शिफ्ट हो गए। जिसके बाद उन्होंने यशवंतराव चौहान कॉलेज में एडमिशन ले लिया। बचपन से ही सोनू का ध्यान मॉडलिंग की ओर रहा, लेकिन मॉडलिंग के साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा और इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
मॉडलिंग और एक्टिंग
अपने करियर की शुरुआत बतौर मॉडल से करने वाले सोनू सूद को पहला ब्रेक एक तमिल फिल्म से मिला जिसका नाम कलझघर था। इस फिल्म में लोगों को उनका काम पसंद आया, और यही वजह थी कि जल्द ही उन्हें बॉलीवुड फिल्म शहीद ए आजम में काम करने का मौका भी मिला। इसके बाद सोनू ने तमिल और हिंदी सिनेमा की कई बड़ी फिल्मों में अपने अभिनय का जादू बिखेरा। उन्होंने अपने फिल्म करियर में हीरो के साथ ही विलेन के किरदारों को भी बखूबी निभाया।
रियल लाइफ हीरो
सोनू सूद को फिल्मों में हीरो की बजाय अधिकतर विलेन्स के किरदार करते हुए देखा गया है। लेकिन कोरोना काल के दौरान जिस तरह से उन्होंने गरीबों के लिए अपने हाथ फैलाए। इस बात ने उन्हें रियल लाइफ हीरो बना दिया। आज लोग उन्हें गरीबों के मसीहा के रूप में इज्जत देते हैं। कोरोना काल के गुजरने के बावजूद भी लोग उनसे मिलने उनके घर पहुँच जाते हैं उनकी एक झलक पाने के लिए घंटों तक इंतजार करते हैं।
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