सहारनपुर, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने निर्वाचन आयोग की वेबसाइट में सेंध लगाकर फर्जी फोटो पहचान पत्र बनाने वाले गिरोह के गिरफ्तार किए गए सहारनपुर जेल में बंद सात आरोपियों से आज पुलिस लाइन में लंबी पूछताछ की।
पुलिस अधीक्षक (सिटी) राजेश कुमार ने बृहस्पतिवार को बताया कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई गई थी। उन्होंने बताया कि इसी क्रम में मेरठ एसटीएफ फील्ड इकाई के पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक दल ने सहारनपुर पुलिस लाइन में एक दिन की मिली रिमांड पर सातों अभियुक्तों से लंबी पूछताछ की।
उन्होंने बताया कि जिले की अपराध शाखा की टीम ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से 13 अगस्त को जिले के नकुड़ इलाके के मच्छरहेड़ी गांव में अपने घर पर साइबर कैफे का संचालन करने वाले विपुल सैनी को निर्वाचन आयोग की वेबसाइट में सैंध लगाकर फर्जी पहचान पत्र बनाने के आरोप में गिरफ्तारी की थी। उसके खिलाफ साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। सहारनपुर पुलिस विपुल सेनी से पूछताछ के आधार पर इस गिरोह में शामिल छह अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनामें चार आरोपियों की गिरफ्तारी दिल्ली से जबकि दो को राजस्थान से गिरफ्तार किया था।
श्री कुमार ने बताया कि इस गिरोह में शामिल दो आरोपी मध्य प्रदेश के मुरैना निवासी हरिओम और विकेश अभी फरार हैं। जिनकी गिरफ्तारी की जिम्मेदारी एसटीएफ को सौंपी गई है।
गौरतलब है कि गिरफ्तार अभियुक्तों में नितिन और आदित्य निर्वाचन आयोग के कार्यालय में संविदा पर कंप्यूटर आपरेटर के पद पर काम करते थे। इस गिरोह ने हजारों की संख्या में फर्जी पहचान पत्र बनाए थे। भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करने वाले विदेशी नागरिक गैर कानूनी रूप से फोटो पहचान पत्र बनवा लेते हैं और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं। एसटीएफ की जांच से गिरफ्तार लोगों के पूरे मंसूबों का पता चल जाएगा। एसटीएफ की टीम ने गिरफ्तार सातों आरोपियों के बयान दर्ज किए हैं।
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