राज एक्सप्रेस। हाल ही में देश में एक और बड़ा बैंक घोटाला सामने आया है। वहीं अगर धोखाधड़ी की रकम देखें तो इसे देश के इतिहास का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला बताया जा रहा है। दरअसल सीबीआई ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के पूर्व चेयरमैन कपिल वधावन, डायरेक्टर धीरज वधावन और रियल्टी क्षेत्र की छह कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। इन पर आरोप है कि इन्होने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के समूह को 34,615 करोड़ रूपए का चूना लगाया है।
कैसे हुआ घोटाला?
दरअसल कंपनी ने साल 2010 से साल 2018 के बीच विभिन्न व्यवस्थाओं के तहत 17 बैंकों से 42,871 करोड़ रुपये का लोन लिया, लेकिन साल 2019 के बाद कंपनी ने लोन चुकाना बंद कर दिया। इसके बाद बैंकों ने अलग-अलग समय पर कंपनी के खातों को एनपीए घोषित कर दिया। इससे बैंकों को 34,615 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
कैसे सामने आया मामला?
इस मामले की जांच जनवरी 2019 में शुरू हुई थी। 1 फरवरी 2019 को बैंकों की एक बैठक हुई, जिसमें केपीएमजी को डीएचएफएल की विशेष समीक्षा ऑडिट करने के लिए कहा गया। इसके बाद केपीएमजी ने 1 अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर 2018 के लिए ऑडिट किया, जिसमें सामने आया है कि डीएचएफएल के प्रमोटरों से जुड़ी 66 कंपनियों को बैंकों की ओर से 29100 करोड़ रूपए का लोन दिया गया। यह पैसा बैंकों के पास वापस नहीं आया।
जांच में जुटी सीबीआई :
इस मामले में 50 सीबीआई अफसरों की टीम जांच में जुटी हुई है। सीबीआई ने कपिल वधावन, धीरज वधावन, व्यवसायी सुधाकर शेट्टी और अन्य आरोपियों के 12 स्थानों पर छापेमारी की है। कपिल वधावन और धीरज वधावन को मई 2020 में ही गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया था। फ़िलहाल सीबीआई अन्य लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई कर रही है।
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