हरदा, मध्य प्रदेश। आपने पहले भी कई बार ऑनलाइन धोखाधड़ी की खबरें सुनी होंगी क्योंकि, आज देश में लोग धोखाधड़ी के अलग-अलग और नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं। क्योंकि, देश में कोरोना के चलते आई आर्थिक मंदी के कारण कई लोगों की नौकरियां चली गईं। बेरोजगारी से परेशान होकर लोग क्राइम का रास्ता अपनाते नजर आरहे हैं। यही कारण है देश में पिछले महीनों कई धोखाधड़ी के मामले सामने आये हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश से एक नया और अनोखा मामला सामने आया है। इस मामले के तहत साइबर हैकरों ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट को ही हैक कर फर्जी वोटर आईडी कार्ड बना डाले।
केंद्रीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट की हैक :
दरअसल, अब देशभर के साइबर हैकर ऑनलाइन धोखाधड़ी करने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इसी कड़ी में अब एक ऐसा मामला मध्य प्रदेश से सामने आया है। हालांकि, इस मामले के तार मध्य प्रदेश के हरदा से लेकर उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक जुड़े पाए गए है। कि, साइबर हैकरों ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट को हैक कर 10 हजार से ज्यादा बोटर आईडी कार्ड बना लिए। हालांकि, इस मामले में उत्तरप्रदेश पुलिस की साइबर सेल ने दो कंप्यूटर जब्त कर सहारनपुर के मच्छर लड़ी गांव से आरोपी पाए गए विपुल सैनी नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह का एक मेंबर बताया जा रहा है। जाँच के दौरान उसके बैंक अकाउंट में 60 लाख रुपए पाए गए हैं।
आरोपी विपुल सैनी ने बताया :
पुलिस द्वारा सख्ती से पूछताछ करने पर आरोपी विपुल सैनी ने बताया कि, 'वह यह काम मध्य प्रदेश के हरदा निवासी अरमान मलिक के कहने पर कर रहा था।' उसने यह भी बताया है कि, अरमान मलिक फिलहाल दिल्ली में रह रहा है। इसके अलावा मुरैना पुलिस ने 17 से 19 साल के बीच की उम्र के चार युवकों को हिरासत में लिया है। DGP विवेक जौहरी ने इन चारों से पूछताछ कर अपने बयान में कहा है कि, चारों में से एक अजय कुशवाह नाम के युवक ने कबूला उनके पास देशभर में 2 करोड़ लोगों का है डेटा चुराया है। जबकि, इस मामले में मुख्य आरोपी बताए जा रहे मुरैना के अम्बाह निवासी हरिओम सिंह की तलाश जारी है।
पुलिस ने बताया :
पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में कई बातें सामने आई हैं। पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया है कि, 'विपुल सैनी ने गंगोह स्थित शोभित यूनिवर्सिटी से BCA किया है। BCA की पढ़ाई के दौरान ही विपुल साथियों के इंटरनेट से जुड़े मुद्दों को सॉल्व कर देता था। क्लास में उसे सहपाठी साइबर एक्सपर्ट कहते थे। विपुल बीते तीन महीने से आयोग की वेबसाइट को हैक करके रखा था। अरमान उसे जो भी टास्क देता था वह दिन भर में पूरा करके उसकी डिटेल रात को भेज देता था। उसके बदले अरमान इसे एक वोटर आइ कार्ड के100 से 200 रुपए देता था।'
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