ग्वालियर : 2 हजार में ब्लड उपलब्ध कराने वालों को पहुंचाया जेल

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : नशा करने के लिए 2 हजार रूपए में ब्लड की दलाली करने वाले तीन युवकों को जेएएच के कर्मचारियों ने पकड़ा है।
2 हजार में ब्लड उपलब्ध कराने वालों को पहुंचाया जेल
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ग्वालियर, मध्य प्रदेश। नशा करने के लिए 2 हजार रूपए में ब्लड की दलाली करने वाले तीन युवकों को वहां के कर्मचारियों ने पकड़ा है। पकड़े गए तीनों युवकों को अस्पताल के कर्मचारी और सुरक्षाकर्मियों ने पुलिस के सुपुर्द कर दिया। तीन युवक मुरार वंशीपुरा के निवासी हैं और नशे के लिए यह काम करते थे। सलाखों के पीछे जाते समय पकड़े गए युवक अस्पताल के कर्मचारी को धन्यवाद देते हुए दुआओं में याद रखने की धोंस देकर गए हैं।

जयारोग्य अस्पताल की ब्लड बैंक से सीपीएल के कर्मचारी योगेन्द्र परमार, सुरक्षाकर्मी और सुपरवाईजरों ने तीन युवकों को पकड़ा है। पकड़े गए तीन युवकों ने अपना नाम नीरज किरार पुत्र जगदीश, दिलीप किरार पुत्र जगदीश और दीपक श्रीवास पुत्र मुकेश श्रीवास बताया है। यह तीनों युवक ब्लड बैंक पर खड़े होकर ऐसे लोगों को अपना निशाना बनाते थे, जिनके पास डोनर नहीं होते थे। शुक्रवार की शाम ब्लड बैंक पर ब्लड़ लेने पहुंचे लोगों के पास डोनर नहीं थे। इसलिए ब्लड़ बैंक के कर्मचारियों ने उन्हें ब्लड देने से इंकार कर दिया । इन तीनों युवकों ने उसे पकड़ा और बोले दो हजार रूपए दोगे तो हम ब्लड की व्यवस्था करा देंगे। इसके कुछ देर बाद जिस व्यक्ति को ब्लड की आवश्यकता थी। वह वहां से निकल गया। युवक के जाते ही दीपक श्रीवास जेएएच की ब्लड बैंक में पहुंचा और ब्लड डोनेट करने की बात कहने लगा। इस पर वहां के कर्मचारियों को शंका हुई तो दीपक श्रीवास को उन्होंने पकड़ लिया। दीपक के पकड़ते ही नीरज और दिलीप वहां से भागने की कोशिश करने लगे। तो सुरक्षाकर्मियों ने उन दोनों को भी पकड़ लिया। पकड़े जाने के बाद तीन युवकों को योगेन्द्र परमार और सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें कम्पू थाने में सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।

पुलिस पड़ताल में सामने आया है कि यह तीनों नशे के लिए यह सब करते थे। पुलिस को शंका है कि जयारोग्य अस्पताल से हुई गाड़ियों की चोरियों का खुलासा भी इन से हो सकता है। हालांकि पुलिस के बार-बार पूछने पर भी उन्होंने यह नहीं माना की वह खून की दलाली करते हैं।

एफआईआर कराना बनी मुसीबत :

अस्पताल प्रबंधन और कम्पनी के लिए एफआईआर कराना मुसीबत बन गई है। जेएएच में चोरी और दलाली करते हुए लोगों को पकड़ तो लिया जाता है। लेकिन एफआईआर के नाम पर सब पीछे हट जाते हैं। प्रबंधन का तर्क रहता है कि सुरक्षा एजेंसी चोरों और दलालों के खिलाफ एफआईआर करवाए और सुरक्षाकर्मी कहते हैं कि हम क्यों अस्पताल प्रबंधन ही कार्रवाई करवाए। 8 हजार रूपए की नौकरी में हम क्यों थाने के चक्कर काटें।

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