CoronaVirus: निजी अस्पताल नहीं कर सकेंगे संदिग्ध Covid-19 मरीज को रैफर
इंदौर, मध्य प्रदेश। निजी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को कोरोना संदिग्ध बताते हुए उनका इलाज करने से मना कर दिया जाता है या फिर इलाज के दौरान उन्हें गंभीर हालत में कोविड श्रेणी के अस्पताल में रैफर किया जाता है। इसके चलते कई गंभीर मरीजों की मौत हो रही है।
इसको देखते हुए नवनियुक्त स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा एक आदेश जारी किया गया है। इसमें लिखा गया है कि निजी अस्पतालों द्वारा कोविड-19 के संदिग्ध अथवा पुष्ट मरीजों को उपचार देने में निजी अस्पतालों द्वारा आनाकानी की जा रही है या अधूरे उपचार के बाद गंभीर स्थिति में कोविड अस्पताल में रैफर किया जा रहा है। जिसके कारण ऐसे मरीजों की मृत्यु हुई है, जिन्हें समय पर उपचार कर बचाया जा सकता था।
यूनिवर्सल सेफ्टी प्रिकाशन का हो पालन
प्रदेश में आयुष्मान भारत के तहत एम्पैनल्ड करीब 148 निजी अस्पताल हैं तथा 74 चिह्नांकित अश्पतालों को कोविड-19 के प्रबंधन के लिए 3 माह के लिए अल्पकालिक एम्पैनलमेंट किया गया है, जहां कोविड-19 मरीजों का नि:शुल्क उपचार संभव है। इंदौर में अरविंदो और इंडेक्स अस्पताल इसके तहत शामिल हैं।निजी अस्पताल में समस्त आईपीडी (भर्ती मरीज) अथवा आकस्मिक मरीजों के प्रबंधन के दौरान यूनिवर्सल सेफ्टी प्रिकॉशन का पालन किया जाए। निजी अस्पतालों में लक्षण रहित कोविड के संंभावित रोगियों को दृष्टिगत देखते हुए अलग कोविड कक्ष हमेशा आरक्षित रखे जाऐं, ताकि किसी भी भर्ती मरीज में कोविड के लक्षण उत्पन्न होने पर संदिग्ध मानते हुए अन्य मरीजों से अलग किया जा सके। संस्था प्रबंधन का यह दायित्व होगा कि इस संबंध में गठित हॉस्पिटल इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी द्वारा स्टाफ का उन्मुखीकरण किया जाए एवं जरूरी व्यक्तिगत सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराए।
बिना मेडिकल कारण नहीं कर सकेंगे रैफर
इसी प्रकार नोटिफाइड फीवर क्लीनिकयुक्त निजी अस्पताल आयुष्मान एमीनल्ड निजी अस्पतालों तथा अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती मरीज में कोविड के लक्षण उत्पन्न होने पर आईसीएमआर द्वारा अभिप्रमाणित निजी प्रयोगशाला में कोविड-19 की जांच कराई जाए। कोविड-19 की पुष्टि होने पर तुरंत स्थानीय प्रशासन को सूचित करते हुए जरूरी ऑक्सीजन थेरेपी एवं वेंटीलेटर मैनेजमें पूर्ण सतर्कता बरतते हुे सुनिश्चित किया जाए। कोविड-19 की पुष्टि होने पर आयुष्मान एम्पैनल्ड अस्पतालों द्वारा रोग प्रबंधन क्षमता होने के बावजूद मरीजों को क्रिटीकल स्थिति में अनावश्यक रेफरल नहीं किया जो। क्लीनिकल स्थिति अनुसार मानक उपचार देने का दायित्व पूर्णरूपेण संबंधित निजी अस्पताल आयुष्मान भारत एम्पैनल्ड अस्पताल या अन्य सभी निजी अस्पताल का होगा) कोविड-19 मरीजों को प्रोटोकाल के पालन किए बिना किसी भई स्थिति में उच्चस्तरीय कोविड अस्पतालों में अनवाश्यक रैफर न किया जाए। यदि किसी मरीज को चिकित्सकीय कारण से अंतरित समस्त रोगियों का समस्त जरूरी मेडिकल सर्पोट के साथ यथासंभव रूटीन हॉस्पिटल हार्स में ही परिवहन किया जाए।
इंदौर में अब तक कई मौतें हो चुकी हैं
कोरोना संक्रमण शुरू हुआ है, तब से ज्यादातर निजी अस्पतालों द्वारा हर गंभीर मरीज को कोरोना संक्रमित मानते हुए भर्ती करने से इनकार किया गया है। इस कारण परिजन मरीज को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले गए। जब तक इलाज शुरू हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और मरीज ने दम तोड़ दिया। इंदौर में एक-दो नहीं दर्जनों ऐसे मामले हैं। वहीं वर्तमान में भी कोविड-19 श्रेणी अस्पतालों में अन्य निजी अस्पतालों से गंंभीर मरीजों को रैफर किया जा रहा है। समय पर सही इलाज न मिलने के कारण मरीज दम तोड़ रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि गंभीर कोविड-19 मरीज अन्य अस्पताल में रैफर करने के दौरान कई सावधानियां बरतनी होती हैं, लेकिन इंदौर में अक्सर ऐसा न होने के कारण मरीज की मौत हो जाती है। इन्हें साधारण एम्बुलेंस में परिवहन किया जाता है, पर्याप्त आक्सीजन और वेंटीलेटर सपोर्ट न होने के कारण परिवहन के दौरान इन मरीजों की हालत और गंभीर हो जाती है। कई मरीज जो अन्य बीमरी के इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती होते हैं, लेकिन बीच इलाज के दौरान उन्हें संदिग्ध मानकर ऑरेंज, रेड श्रेणी अस्पताल में रैफर किया जा रहा है।
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