ग्वालियर, मध्य प्रदेश। शहर में कोरोना का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 10 हजार के करीब पहुंच गई है। इनमें से आधे से ज्यादा ठीक होकर अपने घर पहुंच गए हैं। इसके बाद भी मौतों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन लोगों की लापरवाही की वजह से कोरोना के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। शहर में हर रोज करीब दो सैकड़ा से अधिक मरीज सामने आ रहे हैं इस वजह से मरीजों को भर्ती करने के लिए अस्पतालों में जगह नहीं है।
सरकारी के साथ निजी अस्पतालों में भी मरीजों को रखने की जगह नहीं है। सरकारी अस्पताल में मरीजों की संख्या अधिक होने की वजह से अब मरीज निजी अस्पताल में पहुंच रहे हैं यहां इलाज के नाम पर एक से डेढ लाख रुपए तक वसूली उनसे की जा रही है। ऐसे में मरीज और उनके परिजनों को समझ ही नहीं आ रहा है कि वे करें तो क्या करें। प्रशासन भी चुनाव की वजह से आवाजाही और बाजारों में भीड़ को रोक नहीं पा रहा है। इस वजह से हर रोज शहर में मरीजों की संख्या भी दो सैकड़ा से अधिक सामने आ रही है।
कोरोना से आज 2 की मौत :
कोरोना संक्रमण से पीड़ित मरीजों की मौत का सिलसिला शहर के सरकारी सुपर स्पेशलिटी के साथ ही निजी अस्पतालों में लगातार जारी है। सोमवार को सुबह दो और कोरोना संक्रमित मरीजों ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। मुरैना निवासी सुरक्षा धाकड़ पत्नी मनोज धाकड़ को गंभीर हालत में उपचार के लिए मुरैना से रैफर कर जेएएच के मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती आज सुबह ही कराया था। जब तक उपचार शुरू होता, सुरक्षा ने दम तोड़ दिया। यही नहीं 18 सितंबर से सुपर स्पेशलिटी में भर्ती रामजीलाल पुत्र रामगोपाल निवासी दमोह जिला भिंड भर्ती थे, इन्होंने भी आज उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। रामजीलाल कोरोना के साथ अन्य गंभीर बीमारी से भी पीड़ित थे।
60 फीसदी मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर :
कोरोना संक्रमण का आलम यह है कि अस्पतालों में भर्ती तीन दर्जन से अधिक मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं तो आधा दर्जन मरीजों की हालत गंभीर होने के चलते वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ.गिर्राजा शंकर गुप्ता ने बताया कि हॉस्पिटल में 154 बेड़ हाई डिपेंडेंसी यूनिट में हैं और 24 बेड़ आईसीयू में हैं। कुल 178 बेड हैं। इनमें से सिर्फ 12 पलंग खाली हैं। साथ ही 80 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं यानि कुल मिलकर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 60 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
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