इंदौर : अस्पताल देरी से पहुंचने के कारण हो रही कोविड से मौत

इंदौर, मध्यप्रदेश : लोग स्वयं घर पर इलाज करा रहे हैं, इसलिए बिगड़ रहे हालात। डेथ ऑडिट कमेटी ने कोविड से 17 मौतों का किया विशलेषण।
अस्पताल देरी से पहुंचने के कारण हो रही कोविड से मौत
अस्पताल देरी से पहुंचने के कारण हो रही कोविड से मौतSyed Dabeer-RE
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इंदौर, मध्यप्रदेश। डेथ ऑडिट की कमेटी में 14 फरवरी से 19 फरवरी के बीच हुई डेथ के फार्मेट का आवलोकन किया। इसमें डॉ. संजय दीक्षित, एमजीएम मेडिकल कॉलेज द्वारा बताया गया कि इस दौरान कोविड से कुल 17 लोगों की मौत हुई। इसमें से 76 प्रतिशत को-मोर्बिडिटी जैसे डायबिटिज, अस्थमा, हाइपरटेंशन इत्यादि थी।

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया ज्यादातर लोगों की मौत का कारण स्वयं घर पर इलाज कराना और देर से अस्पताल पहुंचना है। कमेटी ने सुझाव भी दिया है कि अभी भी लोगों मे जागरुकता की कमी है, इसलिए लोगों को जागरुक किया जाए कि शुरुआत में ही अस्पताल पहुंचकर जांच कराएं और इलाज कराएं, ताकि बीमारी बढऩे से पहले इलाज मिल सके।

मात्र 2-3 दिन अस्पताल में रहे भर्ती :

केस - 1 :

मरीज विजय रेकवार उम्र 59 वर्ष को 2 मार्च को पसलियों में दर्द औ्र सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत पर सैम्स में भर्ती किया गया था, जहां इळाज के दौरान 3 मार्च को मरीज की मौत हो गई। उनकी कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट मृत्यु उपरांत 3 मार्च को मिली। मरीज को पूर्व से डायबिटिज की बीमारी थी। इनका हॉस्पिटल स्टे 2 दिवस रहा।

केस - 2 :

सरस्वती कपूर, उम्र 60 वर्ष को 6 मार्च की रात को सांस लेने में तकलीफ, हृदय गति बढ़ने और ऑक्सीजन लेवल कम होने की शिकायत होने से सैम्स अस्पताल में जांच कराई गई। मरीज को कोरोना संक्रमण की आशंका में एमटीएच अस्पताल में 6 मार्च को भर्ती कराया गया। उसी दिन मरीज की कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट आई। मरीज की मौत 9 मार्च को हुई। यह 3 दिन अस्पताल में भर्ती रहीं।

केस - 3 :

कर्नल प्रेमचंद ओहरी उम्र 77 वर्ष को 3 मार्च को गोकुलदास में भर्ती कराया गया था, जहां सारी जांचों के बाद डायलिसिस की सुविधा के लिए एबी फिस्चुला लगाकार 8 मार्च को डिस्चार्ज कर दिया गया। 10 मार्च को मरीज को बुखार की शिकायत होने पर दोबारा गोकुलदास हॉस्पिटल में परामर्श लिया गया तथा कोरोना की पुष्टि होने पर सेम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां इळाज के दौरान 13 मार्च को मरीज की मौत हो गई। इनका हॉस्पिटल स्टे 3 दिवस का होना पाया गया।

केस - 4 :

कमला सिसौदिया उम्र 65 वर्ष को बुखार की समस्या होने से मरीज को शारदा हॉस्पिटल खरगोन में 12 मार्च को भर्ती किया गया, जहां से उन्हें इंदौर रैफर किया गया। मरीज को 12 मार्च रात्रि में सुयश हॉस्पिटल इंदौर में भर्ती किया गया, जहां उनका रेपिड टेस्ट पॉजिटिव आया। मरीज को 14 मार्च को इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। मरीज पूर्व से ही हायपर टेंशन से ग्रसित थे। इनका हॉस्पिटल स्टे 3 दिवस का होना पाया गया।

कोविड-19 को गंभीरता से लें लोग :

समिति के मुताबिक उक्त सभी मरीजों का डायरेक्ट एडमिशन होना पाया गया। ये मरीज किसी भी नेटवर्क में नहीं है। समिति द्वारा अवगत कराया गया कि पेशेंट लक्षण आने पर स्वयं सीटी स्कैन करा रहे हैं एवं शहर की प्रायवेट लैब में कोरोना की टेस्टिंग करा रहे हैं एवं पॉजिटिव होने पर घर पर रहकर चिकित्सक की सलाह से इलाज करा रहे हैं तथा गंभीर स्थिति होने पर सीधे हॉस्पिटल जा रहे हैं। देरी से आने के कारण लक्षण गंभीर हो जाते हैं। समिति द्वारा अवगत कराया गया कि पिछले महीनों में कोरोना से होने वाली डेथ में कमी थी, किन्तु अब वापस डेथ के आंकड़े धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। मरीज अभी भी विलंब से अस्पताल पहुंच रहे हैं। अत: समिति द्वारा व्यवस्था में सुधार के लिए सुझाव दिए गए। यह सुझाव इस प्रकार हैं। कोविड-19 को गंभीरता से न लेने के कारण मरीज देरी से अस्पताल आते हैं। अत: व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि लोग शुरुआत अवस्था में ही अस्पताल में आ जाएं। गाइड लाइन के मुताबिक प्रायमरी कान्टेक्ट की सेंपलिंग की जाए, ताकि संक्रमित व्यक्ति शीघ्र पकड़ में आ सके एवं जल्दी उसका उपचार प्रारभं होगा, तो मृत्यु होने की आशंका बहुत कम हो जाएगी। समिति द्वारा सुझाव दिया गया कि जिन लोगों को सर्दी-खांसी एवं बुखार के लक्षण हैं वे अपने घर पर ही रहें, बाहर न निकलें, पॉजिटिव आने पर अपने सभी कान्टेक्ट संपर्कों की जाएं कराएं। समिति द्वारा यह भी सुझाव दिया गया कि हॉस्पिटल में क्रिटिकल कोविड मरीजों का सुपरविजन क्लीनिकल हेड स्वयं करें। एमजीएम मेडिकल कॉलेज द्वारा संभाग के लिए प्रत्येक जिले के लिए नोडल अधिकारी एवं क्लीनिकल हेड की सूची पुन: जारी की गई। साथही यदि सिम्पटोमेटिक पेशेंट की रिपोर्ट आने में देरी हो रही है, तो कोविड प्रोटोकाल के तहत ही इलाज शुरू कर दिया जाए।

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