हाइलाइट्स
कुछ रेस्तरां ऑनलाइन शुरू
कुछ जगह भोजन वितरण बैन
आपूर्ति बाधा इंडस्ट्री के लिए खराब
Zomato, Swiggy के लिए नई चुनौती
राज एक्सप्रेस। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण गर्त में जा रहे बिजनेस को देखकर फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर संपर्क रहित वितरण, खाद्य पदार्थों की पैकिंग के साथ सैनिटाइज़र और स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रेस्तरां जैसे तमाम विकल्प अपनाए जा रहे हैं। ताकि ग्राहकों का विश्वास जीतकर उनके बीच पैठ बनाई जा सके।
क्यों पहुंचा धक्का :
पेंडेमिक कोरोना वायरस डिजीज संक्रमण से जुड़ा एक मामला भी ऑन लाइन ऑर्डर बुकिंग/डिलेवरी सर्विस के लिए बड़ी चुनौती है। हाल ही में दिल्ली में हुई एक घटना ने ऑन लाइन फूड डिलेवरी काम को धक्का पहुंचाया है। दरअसल पिज्जा डिलीवरी एक एजेंट के कोरोना वायरस संक्रमण टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने पर 72 परिवारों को क्वारंटाइन में जाना पड़ा।
नवीनतम रिपोर्ट में 16 उच्च जोखिम वाले संपर्क मामलों में निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट की जानकारी दी गई है। लेकिन यह भी साफ है कि इस घटना ने ऑन लाइन बुकिंग/डिलेवरी व्यवस्था की छवि को चोट पहुंचायी है।
कॉन्टैक्ट-लेस वितरण :
फूड डिलीवरी सर्विस की ओर से रेस्तरां संचालक को जारी संदेश में उल्लेख है कि "व्यापारी स्व-घोषणा' में पहले से ही स्पष्ट किया गया है कि हमारे पास कॉन्टैक्ट-लेस वितरण सेवा है। साथ ही प्रत्येक ऑर्डर के साथ एक सैनिटाइटर पाउच दिया जाता है जो उपयोगकर्ता के लिए कारगर होगा।” पहचान उजागर न करने की शर्त पर एक संचालक ने बताया कि डिलीवरी प्लेटफॉर्म ने ऐसे हैंड सैनिटाइज़र बेचने की भी पेशकश की है जिसे भोजन के साथ पैक किया जा सके।
सात मिलियन पर संकट :
भारत में कोरोना संक्रमण चेन को तोड़ने के लिए एहतियातन लागू देशव्यापी तालाबंदी के कारण ऑनलाइन फूड डिलीवरी चेन बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई है। दुनिया के सबसे बड़े अर्थतंत्र के सबसे बड़े लॉकडाउन के कारण सात मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले दोनों खाद्य वितरण प्लेटफार्म और रेस्तरां को तगड़ी मार पहुंची है।
व्यवसाय की प्रकृति :
दरअसल ऑनलाइन बुकिंग एंड डिलेवरी प्रोसेस की प्रकृति है ही ऐसी जिसमें मानवीय संपर्क को खत्म करना बेहद मुश्किल है। खासकर उस समय जब अत्यधिक घातक सिद्ध हो रहे पेंडेमिक कोरोना वायरस की चपेट में आकर पूरा विश्व जूझ रहा हो। अध्ययन से पता चला है कि यह वायरस संक्रमित सतह को छूने, खांसी, छींक या लार से से फैल सकता है।
इन राज्यों में प्रतिबंध :
तेलंगाना ने 7 मई तक खाद्य वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस राज्य में फिलहाल केवल किराना सामग्री और सब्जियों को घर तक पहुंचाने की अनुमति प्रदान की गई है। इसी तर्ज पर पंजाब में भी कुछ स्थानों पर भोजन आपूर्ति पर रोक लगाई गई है। इन प्रतिबंधों से न केवल रेस्तरां और खाद्य-वितरण सेवाओं को धक्का पहुंचा है बल्कि खाना बनाने में असमर्थ वर्ग को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
राह वापसी की :
संगठन के कर्मचारियों को भुगतान और कामकाज को बंद रखने पर आने वाली भारी-भरकम लागत-व्यय के मद्देनजर अधिकांश रेस्तरां ऑनलाइन वापसी की कोशिश में हैं। ताकि कामकाज को वापस पटरी पर लाया जा सके।
"कई रेस्तरां धीरे-धीरे खुल रहे हैं, वे सुरक्षा सावधानी बरतने की भी कोशिश कर रहे हैं। हालांकि ये उतना आसान भी नहीं है। इसके अलावा प्लेटफॉर्म अनुबंधित रेस्तरां संचालकों की स्व-घोषणा पर भरोसा करते हैं, इसके लिए कोई बाहरी ऑडिट नहीं है।”
रेस्तरां संचालक (पहचान उजागर न करने की शर्त पर)
संख्या का खुलासा नहीं :
उद्योग से जुड़े निकाय नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने फिलहाल उन रेस्तरां की सटीक संख्या का खुलासा नहीं किया है जिनका देश में संचालन शुरू हो गया है। गुड़गांव स्थित जोमाटो के मुताबिक जिन शहरों में इस समूह की सेवाएं दी जा रही थीं, उनमें 35% से अधिक रेस्तरां में ऑनलाइन काम शुरू कर दिया गया है। साथ ही इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। संगठन के मुताबिक उसके लगभग 30 से 50 प्रतिशत वितरण समूह भी इन स्थानों पर सेवा प्रदान कर रहे हैं।
स्विगी की कोशिश :
कंपनी स्विगी अधिकृत ब्लॉग, संदेश और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उपभोक्ताओं में विश्वास पैदा करने की जुगत में भिड़ी है। दरअसल भारत मे्ं खाद्य वितरण स्टार्टअप को आपस में ही नहीं बल्कि रेस्तरां से भी शिकारी व्यापार प्रथाओं के कारण कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। बड़ी छूट की विशेषता वाली फूड चेन सर्विस को कोरोना संक्रमण रोकने लागू लॉकडाउन के कारण बहुत नुकसान पहुंचा है। इससे इस कारोबार में मुनाफे के लिए बहुत कम संभावना बाकी रह गई है।
किरण उम्मीद की :
बाजार की नब्ज परखने वाले एक अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 तक इस भारतीय बाजार कारोबार के 12.53 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इन आंकड़ों ने फूड स्टार्टअप के अस्तित्व के लिए आशाओं को बरकरार रखा है। जनवरी में, Zomato ने ऑल-स्टॉक सौदे के जरिए UberEats का अधिग्रहण किया। इससे उबर को भारतीय स्टार्टअप में 9.99 प्रतिशत हिस्सेदारी मिल रही है।
वापसी आसान नहीं:
चलन में वापसी की कोशिश कर रही इंडस्ट्री को सख्त सुरक्षा दिशा निर्देश लागू करना आसान नहीं होगा। दरअसल अंतरराष्ट्रीय दिशा निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि रसोई कर्मचारियों को दूरी बनाए रखने की आवश्यकता है, बर्तनों को नियमित रूप से संक्रमण मुक्त करना जरूरी है, बीमार लोगों का रसोई में प्रवेश रोकना होगा साथ ही खाना बनाने वाले के शारीरिक तापमान की नियमित जांच जरूरी होगी।
समस्या यह भी :
“बड़े संगठित रेस्तरां में तो स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम सावधानियां बरती जा सकती हैं लेकिन ये नियम हर रेस्तरां में लागू नहीं किए जा सकते। छोटे-छोटे तंग रसोई घर वाले रेस्तरां, भोजनालय में इन सावधानियों को अमल में लाना बहुत कठिन होगा। सिर्फ रसोई और कर्मचारी ही नहीं बल्कि आपूर्ति श्रृंखला वर्कर्स की स्वच्छता भी एक अहम समस्या है।
Swiggy और Zomato खुद किराना पहुंचाकर रेस्तरां को कच्चे माल की आपूर्ति करना चाह रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण अनुबंधित रेस्तरां और भोजनालयों में खाद्य स्टॉक की कमी सामने आ रही है।
दूर का सपना :
एग्रीगेटर्स अब उपभोक्ताओं को किराना और अन्य आपूर्ति प्रदान करने के लिए अपने तंत्र का उपयोग करने की तैयारी में हैं। डोमिनोज़ और ईट फिट जैसे खिलाड़ी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कर अपने व्यवसाय को चालू रखने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं। लेकिन रेस्तरां और त्वरित भोजन सर्विस के लिए बहाली फिलहाल तो सपना ही नजर आ रही है।
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