राज एक्सप्रेस। बीते साप्ताह अमेरिकी फेडरल बैंक के ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत और अमेरिका के 16वें सबसे बड़े बैंक सिलीकान वैली बैंक पर ताले लगने का नकारात्मक असर पूरी दुनिया के शेयर बाजारों पर दिखाई दिया। फिलहाल वित्तीय बाजार में जो स्थिति है, उसने 2008 की ग्लोबल इकनॉमिक क्राइसिस की याद को ताजा कर दिया है। जब यह खबर आई कि अमेरिका के 16वें सबसे बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) को आर्थिक संकट के चलते बंद कर दिया गया है, तो अमेरिकी शेयर बाजार और इसके पीछे-पीछे दुनिया के अन्य प्रमुख शेयर बाजार लड़खड़ाकर गिर गए। अमेरिकी बाजारों के टूटने का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों में दिखाई दी। इसके बाद पिछले सप्ताह के अंतिम दो कारोबारी दिनों गुरुवार और शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजारों में भी गिरावट का दौर दिखाई दिया। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि सोमवार को शुरू होने वाले अगले कारोबारी सप्ताह में शेयर बाजार की गति क्या रहने वाली है। निवेशक इस बात को लेकर आशंकित हैं कि पिछले सप्ताह शुरू हुआ गिरावट का दौर आगे भी जारी रहेगा या फिर इस पूरे घटनाक्रम से अप्रभावित रहते हुए बाजार रिकवरी करता दिखाई देगा।
सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) के दिवालिया होने की खबर ने तीनों प्रमुख वॉल स्ट्रीट सूचकांकों को तोड़ कर रख दिया। शुक्रवार रात के कारोबार में एसएंडपी 500, डाउ जोन्स और नैस्डैक 2 फीसदी तक टूट गया। शुक्रवार के सत्र में भारतीय बैंकिंग शेयरों में बड़ी गिरावट की शुरुआत हो चुकी थी। हफ्ते के आखिर कारोबारी दिन निफ्टी बैंक सूचकांक 1.87 फीसदी या 771 अंक गिर गया। स्टॉक मार्केट विशेषज्ञों का कहना है कि सिलिकॉन वैली बैंक के दिवालिया होने की खबर दलाल स्ट्रीट के लिए भावनात्मक खबर है। इसका असर ज्यादा समय तक देखने को नहीं मिलेगा। भारतीय बैक सिलिकॉन वैली बैंक से पूरी तरह अलग-थलग हैं। उनकी कार्यशैली भी बिल्कुल भिन्न है। उनके सामने वैसे संकट प्रायः नहीं आते जैसे संकट से फिलहाल सिलीकान वैली बैंक जूझ रहा है। हालिया तिमाही परिणामों में भारतीय बैंकों का मार्जिन बढ़ा है।
कल्पतरु मल्टीप्लायर्स के चेयमैन और शेयर विश्लेषक आदित्य मनिया जैन ने कहा अमेरिकी बाजारों की मंदी का असर भारत समेत पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में दिखाई दिया है, लेकिन यह कोई स्थाई स्थिति नहीं है। इतना जरूर है कि इस समय थोड़ा सोच-विचार कर निवेश करने की जरूरत है। ग्लोबल सेंटीमेंट्स का असर कुछ समय तक शेयर बाजार में दिखाई दे सकता है। इसको लेकर निवेशकों को सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा जल्दी ही बाजार एक फिर अपनी पुरानी स्थिति में आ जाएगा। उन्होंने सुझाव दिया कि इस गिरावट में गुणवत्ता वाले बैंकिंग शेयरों को खरीदकर अच्छा लाभ अर्जित किया जा सकता है। ये बैंकिंग शेयर ट्रेंड रिवर्सल के समय निवेशकों को जोरदार रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन यह कोई तयशुदा स्थिति नहीं है। बाजार की गति इसके विपरीत भी जा सकती है। प्रोफिटमार्ट सिक्युरिटीज में हेड ऑफ रिसर्च अविनाश गोरक्षकर ने कहा 'फंडामेंटल नजरिए से भारतीय बैंकों का सिलिकॉन वैली बैंक संकट से कोई संबंध नहीं है।इसलिए माना जाना चाहिए कि शुक्रवार को भारतीय स्टॉक मार्केट में आई बड़ी गिरावट सेंटिमेंटल थी, क्योंकि दलाल स्ट्रीट की गति पहले से ही नेगेटिव थी।
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