क्यों छाया वैश्विक ऑयल सौदे पर संकट?

“वैश्विक तेल उत्पादन कम करने और कीमतों को स्थिर करने से जुड़ा ऐतिहासिक बहुपक्षीय सौदा खतरे में पड़ गया है।”
वैश्विक तेल उत्पादन से जुड़ा ऐतिहासिक बहुपक्षीय सौदा खतरे में पड़ गया है।
वैश्विक तेल उत्पादन से जुड़ा ऐतिहासिक बहुपक्षीय सौदा खतरे में पड़ गया है।File Image
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हाइलाइट्स

  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में हुई ओपेक की चर्चा

  • मैक्सिको को समझौता नामंजूर, छोड़ी बैठक

  • सऊदी अरब और रूस उत्पादन कटौती पर सहमत

राज एक्सप्रेस। वैश्विक तेल उत्पादन कम करने और कीमतों को स्थिर करने से जुड़ा ऐतिहासिक बहुपक्षीय सौदा खतरे में पड़ गया है। दरअसल कहा जा रहा है सऊदी अरब और रूस के नेतृत्व में रिकॉर्ड कटौती पर मैक्सिको के प्रस्तावित धाराओं पर असहमत होने से यह संकट उपजा है।

OPEC + समझौता :

कोरोना वायरस प्रेरित मंदी गतिरोध ने बाजार को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को संदेह के दायरे में ला फेंका है। ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज़ (OPEC+) का वह समझौता जो पिछले हस्तक्षेपों को बौना करता है और जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रोत्साहित किया है का उद्देश्य रियाद और मास्को के बीच जारी उस मूल्य प्रतिस्पर्धा को समाप्त करना है जिसने लगभग दो दशकों के दौरान तेल को नीचे धकेलने का काम किया।

मैक्सिको की असहमति :

एक प्रतिनिधि के अनुसार यह सौदा मैक्सिको की सशर्त सहमति पर आधारित है। जो प्रस्ताव पर सहमत नहीं होने वाला एकमात्र प्रतिभागी रहा। ओपेक ने गुरुवार को वीडियो लिंक के जरिए नौ घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा के बाद जारी एक बयान में यह जानकारी दी। बताया गया कि समूह सदस्यों का शुक्रवार को फिर से चर्चा का इरादा नहीं है और समूह सदस्य इस दिन निर्धारित चर्चा पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

कटौती पर सहमति :

अस्थायी सौदे के परिणाम स्वरूप मई और जून के दौरान एक दिन में लगभग 10 मिलियन बैरल की कटौती होगी। सदस्य देशों के एक प्रतिनिधि के मुताबिक समूह के सबसे बड़े तेल उत्पादक सऊदी अरब और रूस रोजाना का उत्पादन लगभग 8.5 मिलियन तक लाएंगे। जबकि सभी सदस्यों ने आपूर्ति में 23% की कटौती करने पर सहमति जताई है।

मंशा मैक्सिको की :

मैक्सिको की ऊर्जा सचिव रोसियो नहले गार्सिया का प्रस्तावित कटौती को स्वीकार करने के मामले में इनकार करना मैक्सिको के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। बैठक छोड़ने के तुरंत बाद एक ट्विटर पोस्ट में, उन्होंने मंशा जताई कि समूह द्वारा प्रस्तावित 4,00,000 बैरल रोजाना के बजाय उनका राष्ट्र एक दिन में उत्पादन 1,00,000 बैरल तक कटौती के लिए तैयार है।

ऐसे में अब G-20 ऊर्जा मंत्रियों की शुक्रवार को होने वाली मीटिंग पर ध्यान केंद्रित रहेगा। जिसमें अमेरिका और कनाडा सहित ओपेक+ के बाहर के देश रोजाना 5 मिलियन बैरल अतिरिक्त कटौती की राय रख सकते हैं।

गिरावट से खतरा :

उत्पादन को कम करने के लिए अप्रत्याशित रूप से लगा झटका पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और इसके सहयोगियों की तत्काल आवश्यकता को नहीं बदलता है। इस वर्ष क्रूड की बड़ी गिरावट से तेल-निर्भर राष्ट्रों को खतरा पैदा हुआ। इससे एक्सॉन मोबिल कॉर्प. जैसी प्रमुख कंपनियों को भी संकट का सामना करना पड़ा।

2016 से 2018 तक ओपेक+ सौदों पर सुलह के लिए चर्चारत् मैक्सिको के पूर्व उप तेल मंत्री एल्डो फ्लोरेस क्विरोगा के मुताबिक "तेल बाजार को स्थिर करने के लिए मैक्सिको अंतरराष्ट्रीय समुदाय में शामिल हो सकता है। उत्पादन में आवश्यक और संभव कटौती जरूरी है। यह बातें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करने की जरूरत भी है।”

ट्रंप की गुरुवार को रूस और सऊदी अरब के नेताओं से फोन पर चर्चा के बाद OPEC+ पर दबाव बढ़ गया है। गौरतलब है अमेरिकी लॉमेकर्स को यूएस शेल पैच में हजारों नौकरियों के संकट का खतरा सता रहा है।

“सऊदी और रूस दोनों को वैसे भी कटौती करनी थी और इस कटौती से उन्हें राजनीतिक लाभ भी अर्जित होता।”

अमृता सेन, मुख्य तेल विश्लेषक, कंसल्टेंट एनर्जी आसपेक्ट्स लिमिटेड

कीमत घटने का कारण :

अब जबकि कटौती से वैश्विक आपूर्ति में लगभग 10% की कमी आई है, यह मांग के नुकसान का सिर्फ एकमात्र हिस्सा है। इस बारे में कुछ व्यापारियों का अनुमान है कि यह रोजाना 35 मिलियन बैरल से अधिक होता है। कोरोना वायरस के प्रसार के साथ ही मूल्य युद्ध के कड़वे अनुभव के फलस्वरूप इस साल तेल की कीमतें आधी हो गईं। इससे उत्पादकों ने बाजार में संकट का सामना किया।

यहां तक कि जैसे ही समझौता होने लगा तो गुरुवार को ब्रेंट 4.1% गिरकर 31.48 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। गुड फ्राइडे की छुट्टी के कारण न्यूयॉर्क या लंदन में शुक्रवार को ट्रेडिंग की संभावना नहीं रही। गौरतलब है इस महीने ब्रेंट में बढ़त तो दर्ज हुई लेकिन इस साल यह लगभग 50% नीचे के स्तर पर बरकरार है।

"कोविड-19 एक अनदेखा संकट है जो अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को प्रभावित कर रहा है। आपूर्ति और मांग की बुनियादी बातें भयानक हैं, विशेष रूप से दूसरी तिमाही में अपेक्षित अधिप्रदाय इससे पहले हमने जो कुछ भी देखा है, उससे परे है।"

मोहम्मद बरकिंडो, महासचिव, ओपेक (ऑनलाइन सभा में)

बढ़ते अधिशेष से निपटने के लिए बार्किंडो ने ओपेक+ उत्पादकों और गठबंधन से परे राष्ट्रों से कार्रवाई का आग्रह किया। जिसका अनुमान उन्होंने दूसरी तिमाही में रोजाना 14.7 मिलियन बैरल लगाया।

रूस की राय :

रूस ने जोर देकर कहा कि यूएस को अपने रिकॉर्ड उत्पादन में कमी लानी चाहिये जिसके बारे में वह बाजार पर दबाव बनाता है। इस बीच, ट्रम्प ने कहा है कि अमेरिका की कटौती स्वचालित रूप से होगी। कम कीमतें शेल को गंभीर तनाव में डालेंगी। आपको ज्ञात हो उनके ऊर्जा सचिव ने भी गुरुवार को इस बात पर बल दिया था।

साथ ही एक वरिष्ठ अमेरिकी प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि देश ने प्रस्तावित ओपेक+ कटौती का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि वे सभी प्रमुख तेल उत्पादक देशों को कोरोना वायरस के कारण बाजार की वास्तविकताओं के लिए क्रमबद्ध तरीके से जवाब देने के संकेत भेजेंगे।

उत्पादन कोरोना पर निर्भर :

कोरोना वायरस की स्थिति पर यह निर्भर करेगा कि ओपेक+ की अस्थायी योजना में दो महीने के बाद उत्पादन पर कितना अंकुश लगेगा। ओपेक के बयान के अनुसार 10 मिलियन बैरल प्रतिदिन की कटौती में जुलाई से 8 मिलियन रोजाना और फिर जनवरी 2021 से अप्रैल 2022 तक 6 मिलियन रोजाना कमी इसमें हो सकती है। समूह आगामी 10 जून को एक और वीडियो कांफ्रेंसिंग की योजना बना रहा है ताकि इस बात पर चर्चा की जा सके कि इस बारे में क्या अतिरिक्त उपाय करने की आवश्यकता है।

सऊदी-रूस से उम्मीद :

ओपेक के अनुसार, सऊदी अरब और रूस उत्पादन बेसलाइन पर रोजाना लगभग 11 मिलियन बैरल कटौती करेंगे। सऊदी अरब के लिए, यह हालिया आउटपुट से कम है, जो अप्रैल की शुरुआत में एक दिन में 12 मिलियन से अधिक हो गया था। वहीं अन्य देश अपने अक्टूबर 2018 के उत्पादन स्तर से कटौती करेंगे।

इतिहास पर नजर :

पिछली ओपेक+ वार्ता के पतन के बाद मार्च में शुरू हुआ तेल मूल्य युद्ध ठीक 31 दिनों तक चला। यह गतिरोध वर्ष 1986, 1998 और 2016 में हुए समान संघर्षों की तुलना में कम है। लेकिन इस छोटी अवधि में इसने बड़े ऑयल दिग्गजों से लेकर अमेरिका की स्वतंत्र शेल इकाइयों को फायर कर्मियों पर खर्चों में कटौती और योजनाओं को रद्द करने तक के लिए मजबूर कर दिया।

इस बीच कम कीमतों से प्रभावित तेल-समृद्ध देशों ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का दरवाजा मदद के लिए खटखटाया। मंत्रियों को प्रसारित ओपेक के एक आंतरिक दस्तावेज पर आधारित मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तेल बाजारों के लिए बड़े पैमाने पर तेल-मांग संकुचन विचारणीय है।

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