क्या है 'नोटबंदी' और जाने नोटबंदी होने से जनता को होता है 'फायदा' या 'नुकसान' ?
What is Demonetisation : भारत में आखिरी बार आज ही के दिन 6 साल पहले यानी 8 नबंबर 2016 को 'नोटबंदी' (Demonetisation) हुई थी। इस फैसले से उस समय कई लोगों को बहुत दिक्कत हुई थी तो कई लोग खुश थे और कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ा था। तो चलिए, आज हम जानें कि, नोटबंदी से आखिर फायदा होता है या नुकसान और आखिर यह 'नोटबंदी' है क्या ?
क्या है नोटबंदी (Demonetisation) ?
जैसा कि, नोटबंदी के नाम से ही समझ आरहा है कि, नोट बंद जैसा कुछ फैसला यानी नोटबंदी (Demonetisation) का मतलब है, 'विमुद्रीकरण' अर्थात 'पुराने नोट या पैसो (मुद्रा) को बदलने या बंद होने से जुड़ी ने जानकारी'। नोटबंदी को लेकर सबकी अपनी अपनी अलग-अलग धारणा होती है। कोई नोटबंदी को सही मानता है तो किसी को यह फैसला गलत लगता है। क्योंकि, इसके बाद कई तरह के बदलवा होते हैं। नोटबंदी का मुख्य उदेश्य 'अर्थव्यवस्था से नकली मुद्रा को संचलन से हटाना', 'अर्थव्यवस्था से काले धन को खत्म करना', 'कर चोरी करने वालों और भ्रष्ट अधिकारियों के बीच भय पैदा करना' होता है।
क्या है, इसकी जरूरत या क्यों करती है, सरकार ये?
जब देश में काला धन बढ़ जाता है, और आर्थिक रूप से देश को नुकसान होने लगता है, तो सरकार पुराने नोट बंद कर देती है जिससे होता ये है कि, जिसके पास भी ज्यादा मात्रा में काला धन होगा वो बैंक में जाकर अपना धन नहीं बदलवा पाएंगे जिससे की वो काला धन खुद ही समाप्त हो जाएगा। काला धन समाप्त होते ही देश में भ्रष्टाचार कम हो जाएगा। क्योंकि कही न कही भ्रष्टाचार का एक कारण काला धन भी है।
भारत में आखिरी बार नोटबंदी (Demonetisation) :
याद दिला दें, भारत में आखिरी बार नोटबंदी आज ही के दिन 6 साल पहले यानी 8 नबंबर 2016 को हुई थी। उस समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी 500 और 1000 रूपये के नोट को लीगल टेंडर से समाप्त कर दिया था। यानी पुराने नोटों को बैन करते हुए उसके स्थान पर नए 500 और 1000 रूपये के नोट लागू किए थे। PM मोदी ने नोटबंदी के फायदे के बारे में बताते हुए नोटबंदी की घोषणा की थी। उन्होंने बताया था कि, नोटबंदी के कारण काला धन तो समाप्त होगा ही यहाँ तक की आतंकवादी गतिविधिया भी कम हो जाएगी, क्योंकि उनके पास जो पुराने नोट होंगे वो भी समाप्त हो जाऐंगे और नए नोट न होने के कारण वो कुछ नहीं कर पाएंगे।
नोटबंदी के फायदे और नुकसान :
चलिए आज ही के दिन जान लें, भारत में नोटबंदी होने से फायदा होता है या नुकसान ? तो चलिए हम पहले नुकसान पर बात कर लेते हैं।
नोटबंदी के नुकसान :
नोटबंदी से थोड़ी दिक्कत ये होती है कि, हमे नोट बदलने के लिए बैंक में लम्बी-लम्बी लाइन में लगना पड़ता है। जिससे बहुत परेशानी होती है।
जब नोटबंदी की घोषणा होती है, तब नोट बदलने की सीमा तय करदी जाती है। ऐसे में जिसको ज्यादा अमाउंट में किसी को पैसे की जरूरत हो तो उसे परेशानी का सामना करना पड़ता है। जैसे 2016 में हुई नोटबंदी के बाद एक दिन में 5000 रूपये तक ही बदल सकते थे। इस सीमा को बाद में बड़ा कर 10,000 कर दिया गया था। भारत में 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद भी हॉस्पिटल और पेट्रोल पम्प पर कुछ दिनों तक सरकार ने चलते रहने का ऑर्डर दिया था जससे की लोगो को ज्यादा तकलीफ ना हो।
नोटबंदी के बाद कुछ महीनों में ही नकली नोट बाज़ार में नजर आने लगे थे।
देश की अर्थव्यवस्था कुछ समय के लिए ठप्प हो गई थी।
नोटबंदी के फायदे :
नोटबंदी होने भ्रष्टाचारियो का काला घन में खत्म हो जाता है।
बैंको में होने वाले ट्रांजेक्शन्स में पारदर्शिता आ जाती है।
नोटबंदी से डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिलता है।
भ्रष्टाचार करने वाले, टैक्स चोर और काला धन रखने वालो में डर पैदा होता है, यह डर इस प्रकार का होता है कि, यदि कभी भी नोटबंदी हो गई तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा।
2016 से पहले भारत में नोटबंदी :
भारत में 2016 से पहले नोटबंदी की खबरें 1978 में सुनने में आई थी। उस समय जनता पार्टी की सरकार द्वारा 16 जनवरी 1978 को नोटबंदी की घोषणा की गई थी। 1978 में जब नोटबंदी हुई थी तब, 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नोटों का विमुद्रिकरण किया गया था। इसके अलावा जब भारत आजाद नहीं हुआ था तब ब्रिटिश सरकार ने भारत के लिए 1946 में भी नोटबंदी की गई थी। उस समय 1000 और 10,000 रुपए के नोटों को बदला गया था।
नोट बदलने और बंद होने से जुड़ी अन्य जानकारी:
1954 में पहली बार 1000 रुपए का नोट जारी किया गया था।
1978 जनवरी में 1000 रुपए का नोट बंद कर दिया गया था।
2000 में दूसरी बार 1000 रुपए का नोट जारी किया गया था।
1987 में पहली वार 500 रुपए का नोट पहली बार जारी किया गया था।
1938 में पहली बार रिजर्व बैंक द्वारा 10000 रुपए का नोट जारी किया गया था।
1938 में पहली बार पेपर की केर्न्सी छपी गई थी, जो 5 रुपए का नोट था। इनके अलावा इसी साल 10 और 100Rs के नोट भी छापे गए थे।
1954 में दोवारा 1000, 50000 और 10000 रुपए के नोट छापे गए थे।
1954 में 10000 और 5000 रुपए के नोट फिसरे छपे गए थे।
1978 में 10000 और 5000 रुपए के नोट पूरी तरह बंद कर दिए गए थे।
2016 में पहली बार 2000 रुपए का नोट जारी किया गया और 1000Rs का नोट बंद कर दिया गया। इसके अलावा 10, 50, 200 और 500 रुपए का नया नॉट जारी किया गया।
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