Vodafone Idea को सरकार से मिली इक्विटी में बदलने की मंजूरी
Vodafone Idea को सरकार से मिली इक्विटी में बदलने की मंजूरीKavita Singh Rathore -RE

Vodafone Idea को सरकार से मिली बकाये को इक्विटी में बदलने की मंजूरी

लगातार घाटे में चल रही देश की तीसरी बड़ी टेलिकॉम कंपनी 'Vodafone Idea' (VI) पर अब भी काफी बड़ा कर्ज है। जिसके लिए अब केंद्र सरकार ने कंपनी को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दे दी है।
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Vodafone Idea : पिछले सालों के दौरान भारत की टेलिकॉम कंपनियों को AGR की रकम जमा करने के आदेश दिए थे। जिसके चलते कई टेलिकॉम कंपनियों को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि, देश की तीसरी बड़ी टेलिकॉम कंपनी 'वोडाफोन आइडिया' (VI) पिछले काफी समय से घाटे का सामना कर रही है। वहीं, Vodafone Idea पर अब भी काफी कर्ज है। जिसके लिए अब केंद्र सरकार ने कंपनी को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दे दी है।

Vodafone Idea को मिली कुछ राहत :

काफी समय से कर्ज में डूबी चल रही टेलीकॉम कंपनी Vodafone Idea (VI) को अब एक बड़ी राहत मिली है। क्योंकि, Vodafone Idea पर 16,133 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज अब भी है,जिसके ब्याज के बदले केंद्र सरकार ने अब कंपनी को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दे दी है। कंपनी ने बीते दिन इस बारे में जानकारी शेयर बाजार को देते हुए बताया है कि, 'केंद्र को 10 रुपये के मूल्य पर इक्विटी शेयर जारी किए जाएंगे। इस बकाये कर्ज को शेयर्स में बदलने के बाद Vodafone Idea में सरकार की 33 फीसदी इक्विटी होगी।'

Vodafone Idea का मिलाजुला रूप :

जानकारी के लिए बता दें, Vodafone Idea ब्रिटेन की कंपनी Vodafone और Idea सेल्युलर की भारतीय यूनिट का एक मिलाजुला रूप है।बीते काफी समय से यह कंपनी लगातार नुकसान का ही सामना कर रही है। इसी नुकसान के चलते टेलीकाम सेक्टर की दो Vodafone और Idea अलग-अलग कंपनियों ने एक साथ मिलने का फैसला किया था। Vodafone Idea के बोर्ड द्वारा पिछले साल जनवरी में सरकार को बकाया राशि को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दी थी। वहीं, अब सरकार ने इस मामले को लेकर कंपनी की मुश्किलें आसान कर दी हैं। फिलहाल, Vodafone Idea में सरकार को 10 रुपये की वैल्यू पर शेयर किया जाएगा।

इनवेस्टर नहीं लेना चाहते है रिस्क :

बताते चलें, Vodafone Idea काफी समय से नुकसान में चल रही है। जिससे बाहर आने के लिए कंपनी को पूंजी की जरूरत है, लेकिन कंपनी के नुकसान के कारण इनवेस्ट कंपनी में पूंजी इनवेस्ट करने का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। वहीं, सरकार ने कहा है कि, 'जब तक प्रमोटर अपनी पूंजी नहीं डालते, तबतक सरकार बकाये कर्ज के बदले में कंपनी के शेयर नहीं लेगी।'

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