विझिंजाम पोर्ट को जलमार्ग मंत्रालय से मिला ट्रांसशिपमेंट पोर्ट का लाइसेंस

Vizhinjam Port : अडाणी समूह के केरल स्थित विझिंजाम पोर्ट को भारत के पहले ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के रूप में काम करने की जलमार्ग मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है।
License to operate transshipment to Vizhinjam Port
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हाईलाइट्स

  • जहाजों के बीच कार्गो को ट्रांसफर करने में सहायता करता है ट्रांसशिपमेंट पोर्ट

  • सीमा शुल्क विभाग भी इस बंदरगाह पर अपना कार्यालय स्थापित कर सकेगा

  • 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो को देश के बाहर स्थित बंदरगाहों से संभाला जाता है

  • कार्गो का 85% हिस्सा कोलंबो, सिंगापुर और क्लांग बंदरगाह हैंडल करते हैं

राज एक्सप्रेस । अडाणी समूह के केरल स्थित विझिंजाम पोर्ट को भारत के पहले ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के रूप में काम करने की पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है। बता दें कि ट्रांसशिपमेंट पोर्ट जहाजों के बीच कार्गो को ट्रांसफर करने में सहायता करता है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय भारत सरकार का एक मंत्रालय है जो नियमों और विनियमों और शिपिंग से संबंधित कानून बनाने और प्रशासन के का शीर्ष निकाय है। इसे पहले जहाजरानी मंत्रालय कहा जाता था। ट्रांसशिपमेंट पोर्ट का लाइसेंस मिलने के बाद अब सीमा शुल्क विभाग भी इस बंदरगाह पर अपना कार्यालय स्थापित कर सकेगा।

पोर्ट शुरू होने से बड़े कंटेनर शिप भी भारत आने में सक्षम होंगे

ट्रांसशिपमेंट पोर्ट का लाइसेंस मिलने के बाद यह भारत में अपनी तरह का पहला पोर्ट होगा। अब तक, दुनिया के कुछ बड़े कंटेनर शिप भारत नहीं आते थे क्योंकि यहां के बंदरगाह ऐसे जहाजों को संभालने के लिए पर्याप्त गहरे नहीं थे। भारत की जगह वो कोलंबो, दुबई और सिंगापुर जैसे पड़ोसी बंदरगाहों पर डॉकिंग कर रहे थे। यह पोर्ट भारत को चीन के प्रभुत्व वाले अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार का एक बड़ा हिस्सा हासिल करने में मदद करेगा करेगा। यह देश में आने-जाने वाले कार्गो के लिए लॉजिस्टिक लागत को कम करेगा। इससे भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनने में भी मदद मिलेगी। यह परियोजना केरल के इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट के लिहाज से गेम-चेंजर साबित होगी। इसका लक्ष्य सालाना 10 लाख कंटेनरों को संभालना है। इस लिहाज से यह सिंगापुर को भी पीछे छोड़ देगा।

विदेशी बंदरगाहों से भेजे जाते हैं 10 लाख से अधिक कंटेनर

अडाणी समूह ने इस प्रोजेक्ट के माध्यम से कुल 10 लाख से अधिक कंटेनरों वाले भारतीय कार्गो में हिस्सेदारी का दावा किया गया है, जिन्हें इस समय श्रीलंका में कोलंबो जैसे विदेशी बंदरगाहों के माध्यम से भेजा जाता है। कंटेनर की मात्रा बीस फुट समतुल्य इकाइयों (टीईयू) में मापी जाती है। एक टीईयू लगभग एक मानक आकार के कंटेनर के बराबर होता है। केरल में अडाणी समूह के विझिंजम पोर्ट को भारत के पहले ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के रूप में संचालित करने की मंजूरी मिल गई है, जिससे जहाजों के बीच कार्गो के हस्तांतरण की सुविधा का लाभ मिल सकेगा। ट्रांसशिपमेंट पोर्ट का लाइसेंस मिलने से भारत से, खासकर केरल से निर्यात में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

बड़े जहाजों की हैंडलिंग में सक्षम है विझिंजाम पोर्ट

एपीएसईजेड के अनुसार, बंदरगाह पर मेगामैक्स कंटेनरशिप को संभालने के लिहाज से जरूरी अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा मौजूद है। यहां जहाजों के तीव्र आवागमन को ध्यान में रखते हुए स्वचालित उपकरण स्थापित किए गए हैं। यहां मौजूद सुविधाओं को विश्व स्तर पर सबसे बड़े संचालन के रूप में माना जा सकता है। 2015 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट भारत के उन ट्रांसशिपमेंट कार्गो को अपने देश में लाने में सक्षम है, जिन्हें इस समय कोलंबो (श्रीलंका) जैसे विदेशी बंदरगाह में संभाला जाता है। विझिंजाम पोर्ट का आधुनिक इंफ्रास्क्रक्चर बड़े जहाजों को संभालने में सक्षम है। इसकी शुरुआती क्षमता 10 लाख टीईयू या टेवेंटी-फुट इक्विवलेंट यूनिट्स है, जिसे बाद के चरणों में बढ़ाया जाएगा।

यह पहला पूर्ण विकसित गहरे पानी का ट्रांसशिपमेंट पोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार, अडाणी समूह के विझिनजाम पोर्ट को शिपिंग मंत्रालय से भारत के पहले ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के रूप में काम करने की स्वीकृति मिल गई है। इस मामले से वाकिफ लोगों के अनुसार इसको कस्टम अधिसूचित बंदरगाह घोषित करने की सिफारिश इसी हफ्ते की गई है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह स्वीकृति विझिनजाम बंदरगाह पर सीमा शुल्क विभाग को कार्यालय स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह भारत का पहला पूर्ण विकसित गहरे पानी का ट्रांसशिपमेंट पोर्ट होगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) से अंतिम मंजूरी अगले 3 महीनों में मिलने की उम्मीद है।

यहां बड़े कंटेनरशिप संभालने लायक अत्याधुनिक ढांचा मौजूद

एपीएसईजेड के अनुसार, बंदरगाह पर जहाजों के तेजी से आने-जाने के लिए बड़े पैमाने पर ऑटोमेशन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ ही, वर्तमान में सबसे बड़े मेगामैक्स कंटेनरशिप को संभालने के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा भी उपलब्ध है। पहले चरण में इसकी क्षमता 10 लाख टीईयू होगी। बाद के चरणों में इसमें 62 लाख टीईयू तक बढ़ाने की योजना है। एक मोटे अनुमान के अनुसार भारत के लगभग 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो को देश के बाहर स्थित दरगाहों के माध्यम से संभाला जाता है। कोलंबो, सिंगापुर और क्लांग बंदरगाह इस कार्गो के लगभग 85% हिस्से को हैंडल करते हैं।

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