रिलायंस इंडस्ट्रीज के नए सीएफओ बने वेंकटचारी श्रीकांत, एक जून को आलोक अग्रवाल को करेंगे रिप्लेस
राज एक्सप्रेस। मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के शेयरों में गिरावट का सिलसिला जारी है। शेयरों में लगातार हो रही गिरावट को रोकने के लिए रिलायंस समूह की फ्लैगशिप कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के मैनेजमेंट में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वेंकटचारी श्रीकांत को एक जून से नया मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएएफओ) नियुक्त किया है। इस समय इस पद से जुड़ी जिम्मेदारियां आलोक अग्रवाल संभाल रहे हैं। नई स्थिति में कंपनी ने आलोक अग्रवाल को नई जिम्मेदारी दी है। वह एक जून से रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के वरिष्ठ सलाहकार की जिम्मेदारी निभाएंगे। वेंकटचारी श्रीकांत 2011 से ज्वाइंट सीएफओ के रूप में आलोक अग्रवाल के साथ कुछ जिम्मेदारियों को साझा रहे हैं। इससे पहले उन्होंने सिटी ग्रुप के साथ फॉरेक्स ट्रेडिंग और डेरिवेटिव में दो दशकों तक काम किया, बाद में हेड ऑफ मार्केट बने।
अब सलाहकार की भूमिका निभाएंगे अलोक अग्रवाल
आलोक अग्रवाल रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ पिछले 30 सालों से जुड़े हुए हैं। उन्हें साल 2005 में सीएफओ पद पर नियुक्त किया गया था। जबकि, वेंकटचारी श्रीकांत पिछले 14 साल से कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं। आलोक अग्रवाल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद के छात्र रहे हैं। वह 1993 में रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े और 2005 में सीएफओ बने। रिलायंस से जुड़ने से पहले उन्होंने 12 साल तक बैंक ऑफ अमेरिका के साथ काम किया था। अग्रवाल ने पिछले 30 सालों में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की कई गुना वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब वह रिलायंस से जुड़े थे तब रिलायंस का सालाना कारोबार 4,100 करोड़ रुपए था। इसकी बैलेंस शीट 6,100 करोड़ रुपये की थी। उनकी अगुवाई में कंपनी का रेवन्यू लगभग 240 गुना बढ़ा।
उनके कार्यकाल में कंपनी ने हासिल की कई बड़ी उपलब्धियां
रिलायंस पिछले वित्तवर्ष में 100 अरब डॉलर वार्षिक कारोबार की सीमा को पार करने वाली पहली कंपनी बनी। वित्त वर्ष 23 के पहले 9 महीनों में ही 90 अरब डॉलर का कारोबार कर चुकी है। सितंबर 2022 के अंत तक इसी अवधि में बैलेंस शीट का आकार 260 गुना बढ़कर 16.25 लाख करोड़ रुपये हो गया। अग्रवाल के नेतृत्व में, रिलायंस ने कैपिटल मार्केट और कॉर्पोरेट फाइनेंल के क्षेत्र में कई अनूठी उपलब्धियां हासिल की। उनके कार्यकाल में रिलायंस 1995 में एसएंडपी और मूडीज जैसी अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेटिंग प्राप्त करने वाली पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बनी। रिलायंस 1997 में अपने शेयरों को डीमैटरियलाइज करने और डीमैट रूप में बोनस शेयर जारी करने वाली पहली भारतीय कंपनियों में से एक बन गई। रिलायंस 2007 में मार्केट कैपिटलाइजेशन में भारत की सबसे बड़ी कंपनी बन गई। 2020 के मध्य में, रिलायंस 200 अरब डॉलर मार्केट कैपिटलाइजेशन को पार करने वाली भारत की पहली कंपनी बनी। मार्केट वैल्यू के हिसाब से रिलायंस दुनिया की शीर्ष 40 कंपनियों में शामिल हो गई। अग्रवाल के कार्यकाल में ही 2015 में शुद्ध लाभ के आधार पर रिलायंस देश की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी बन गई। रिलायंस ने 2013 से 2017 के बीच 330,000 करोड़ रुपए का निवेश किया। यह किसी भी भारतीय कंपनी द्वारा किया जाने वाला सबसे बड़ा निवेश था।
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