राज एक्सप्रेस। दुनियाभर में बहुचर्चित कैब सर्विस प्रोवाइडर कंपनी 'UBER' ने साल 2015 में सेल्फ ड्राइविंग कारे चलाने की घोषणा की थी। कंपनी ने तब ही अध्ययन कर्ताओं और 1200 कर्मचारियों के साथ एक प्रोजेक्ट शुरू किया था। जिसके लिए कंपनी को करोड़ों रुपये खर्च करने पड़े थे। इसके अलावा कंपनी को सेल्फ ड्राइविंग कारें उतारने के लिए कई कानूनी विवाद भी झेलने पड़े थे। इन सब के बाद अब Uber कंपनी ने अपना यह प्रोजेक्ट एक स्टार्ट अप को सौंप दिया है।
Uber कंपनी ने स्टार्ट अप को सौंपा प्रोजेक्ट :
दरअसल, कैब सर्विस प्रोवाइडर कंपनी 'UBER' ने दुनियाभर में सेल्फ ड्राइविंग कारें उतरने की बात कही थी, लेकिन कई विवाद झलने और करोड़ों रूपये पानी में बहाने के बाद कंपनी ने हारकर यह फैसला किया है कि, वह इस प्रोजेक्ट को एक अन्य स्टार्ट अप को सौंप देगी। इसके अलावा उस स्टार्ट अप द्वारा Uber कंपनी में 40 करोड़ डॉलर यानी 3 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने का भी ऐलान किया गया है। खबरों की मानें तो, इस स्टार्ट अप अरोरा द्वारा विकसित तकनीक पर लाइसेंस ऊबर कंपनी ही लेगी।
क्या है सेल्फ ड्राइविंग कार ?
बताते चलें, जैसा कि नाम से साफ़ समझ आरहा है सेल्फ ड्राइविंग कारे यानि खुद से चलने वाली कार। यह कारें ऐसी होती है। जिन्हे चलने के लिए किसी व्यक्ति की जरूरत नहीं पड़ती है। वह अपने आप ही तकनीक से चलती है। Uber ने ऐसी कारें उतारने का सपना देखा था, लेकिन अब कंपनी यह सपना खुद पूरा नहीं कर सकेगी। कंपनी यह कार AI और मशीन लर्निंग से चलाई जाती है। ऐसी कारों का यह फायदा होता है कि, इनसे सड़क पर होने वाले हादसे नहीं होते। बता दें, कंपनी के इस सपने के अधूरे रह जाने के पीछे 2 बड़े कारण हैं।
2 बड़े कारण :
दरअसल, Uber कंपनी के इस कदम के पीछे दो बड़े विवाद है।
पहला विवाद -
इनमे से पहला विवाद साल 2016 में Google कंपनी के साथ हुआ था। इस विवाद के तहत Google के साथ जुड़ी कंपनी वेमो ने 2017 में Uber व ओटो पर कंपनी के सीक्रेट चुराने के आरोप लगते हुए मुकदमा कर दिया था। इस मामले को सुलझाने के लिए Uber को Google को 531 करोड़ की हिस्सेदारी देनी पड़ी थी।
दूसरा विवाद -
दूसरा विवाद साल 2018 में हुआ एक रोड एक्सीडेंट था। ये हादसा सेल्फ ड्राइविंग कार के ब्रेक न लगने के कारण हुआ था। सरकार द्वारा जांच करवाने पर यह बात सामने आई थी कि, कार के ऑटोमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम फेल हो गए थे। इसके बाद Uber को अन्य कंपनियों द्वारा किए जा रहे शोध में भी ऐसी कारों से हुए हादसों में भारी हर्जाना चुकाना पड़ा।
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