टायर निर्माताओं पर 1788 करोड़ रुपये का दंड
टायर निर्माताओं पर 1788 करोड़ रुपये का दंडसंकेतिक चित्र

टायर निर्माताओं पर बाजार से खिलवाड़ के आरोप में 1788 करोड़ रुपये का दंड

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने पांच प्रमुख टायर कंपनियों और उनके संघ पर बाजार को प्रभावित करने के लिए साठगांठ कर प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन करने के आरोप में कुल 1788 करोड़ रुपये का दंड लगाया है।
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नई दिल्ली। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने पांच प्रमुख टायर कंपनियों और उनके संघ पर बाजार को प्रभावित करने के लिए साठगांठ कर प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन करने के आरोप में कुल 1788 करोड़ रुपये का दंड लगाया है।

आयोग की बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार इन कंपनियों में अपोलो टायर्स लिमिटेड, एमआरएफ लिमिटेड, सीईएटी लिमिटेड, जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, बिड़ला टायर्स लिमिटेड और उनकी एसोसिएशन शामिल है।

आयोग ने इन कंपनियों के खिलाफ 31 अगस्त 2018 को एक अंतिम आदेश पारित किया था और उसमें इन कंपनियों और इनके संगठन ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने सामान्य बाजार में बेचे जाने वाले क्रॉस प्लाई/बायस टायरों की कीमतों को कृत्रिम रूप से चढ़ाने और बजार में उत्पादन तथा आपूर्ति को सीमित और नियंत्रित करने के लिए गुट बना कर काम करके प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 3(1) और अन्य धारओं का उल्लंघन करने का दोषी करार दिया था।

सीसीआई के उक्त आदेश के खलाफ अपील पर मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार उस आदेश सीलबंद लिफाफे में रखा गया था। मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दिनांक 06 जनवरी 2022 को उक्त रिट अपील को खारिज कर दिया।

टायर कंपनियों ने उसके बाद माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिक (एसएलपी) दायर की थी जिससे न्यायालय ने 28 जनवरीको 2022 को खारिज कर दिया।

सीसीआई ने यह मामला प्रतिस्पर्धा कानून की धारा 19(1)(बी) के तहत कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) से जांच के लिए मिले एक पत्र के आधार पर विचारार्थ लिया था। मंत्रालय ने ऑल इंडिया टायर डीलर्स फेडरेशन (एआईटीडीएफ) की शिकायत पर आयोग को यह मामला भेजा था।

आयोग ने टिप्पणी की है कि टायर निर्माताओं ने अपने एसोसिएशन, ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के मंच के माध्यम से मूल्य की दृष्टि से संवेदनशील सूचानाओं का आपस में आदान-प्रदान किया था, और टायर की कीमतों पर मिल कर निर्णय लिया था। आयोग ने यह भी पाया कि एटीएमए ने वास्तविक समय के आधार पर टायरों के उत्पादन, घरेलू बिक्री और निर्यात पर कंपनी-वार और खंड-वार डेटा (मासिक और संचयी दोनों) से संबंधित जानकारी एकत्र और संकलित की।

सीसीआई ने पांच टायर निर्माताओं और एटीएमए को अधिनियम की धारा 3 के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी करार दिया। प्रतिस्पर्धा विनियामक ने अपोलो टायर्स पर 425.53 करोड़ रुपए एमआरएफ लिमिटेड पर 622.09 करोड़ रु,. सीएट लिमिटेड पर 252.16 करोड़ रु. , जेके टायर पर 309.95 करोड़ रुपये और बिरला टायर्स पर 178.33 करोड़ रुपये का दंड लगाया है और उन्हें बाजार प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए गुटबाजी बंद करने और उससे दूर रहने का आदेश दिया है। इसके साथ ही आयोग ने उनकी एसोसिएशन (एटीएमए) पर भी 0.084 करोड़ रुपए का दंड लगाया है साथ ही उसे सदस्य टायर कंपनियों के माध्यम से या अन्यथा थोक और खुदरा मूल्य एकत्र करने से दूर रहने का निर्देश है।

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