एमपीसी की अक्टूबर में होने वाली बैठक में इस बार भी रेपो रेट यथावत रख सकता है आरबीआई
हाईलाइट्स
आरबीआई मौद्रक नीती समिति की अगली बैठक अक्टूबर की शुरुआत में होने वाली है
आरबीआई लगातार चौथी बार नीतिगत दरों (रेपो रेट) को यथावत रख सकता है
एमपीसी की पिछली बैठक अगस्त में हुई थी, जिसमें ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया गया
राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रक नीती समिति (एमपीसी) की अगली बैठक अक्टूबर की शुरुआत में होने वाली है। सूत्रों के अनुसार अगले माह 4 से 6 अक्टूबर के बीच होने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में आरबीआई लगातार चौथी बार नीतिगत दरों (रेपो रेट) को यथावत रख सकता है। वजह है खुदरा महंगाई लगातार उच्च स्तर पर बनी हुई है और अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें यथावत रखा है। फेडरल रिजर्व ने हाल की बैठक में ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा है। आरबीआई ने 8 फरवरी, 2023 को रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था। तब से इसने अत्यधिक उच्च खुदरा महंगाई और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों सहित कुछ वैश्विक कारकों को देखते हुए दरों को उसी स्तर पर बरकरार रखा है।
आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4-6 अक्टूबर, 2023 को होने वाली है। एमपीसी की आखिरी बैठक अगस्त में हुई थी। रिजर्व बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति तय करते समय मुख्य रूप से सीपीआई-बेस्ड महंगाई को ध्यान में रखता है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) बेस्ड खुदरा महंगाई अगस्त में थोड़ी कम होकर 6.83 प्रतिशत हो गई है, जो जुलाई 2023 में 7.44 प्रतिशत थी। हालांकि यह अभी भी आरबीआई के 6 प्रतिशत के स्तर से ऊपर है। खुदरा महंगाई के सितंबर माह में और कम होने की उम्मीद है। महंगाई के साथ-साथ कच्चे तेल की ऊंची कीमतें एमपीसी की आगामी बैठक में कोई भी निर्णय लेते समय अपना प्रभाव डालेंगी।
आरबीआई ने 2023-24 के लिए खुदरा महंगाई 5.4 प्रतिशत, जुलाई-सितंबर 2023 में 6.2 प्रतिशत, अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 5.7 प्रतिशत और जनवरी-मार्च 2024 में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। अप्रैल-जून 2023 तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उधार लेने की लागत जो पिछले साल मई में बढ़ना शुरू हुई थी, आरबीआई द्वारा फरवरी के बाद से रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने के साथ ही ठहर गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगस्त में एमपीसी की आखिरी नीति समीक्षा के बाद ब्याज दरों का माहौल काफी खराब हो गया है। अमेरिका और भारत में, अर्थव्यवस्था ने वृद्धि दिखाई है, लेकिन मुद्रास्फीति ने कंफर्ट लेवल को क्रास कर लिया है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी आ गई हैं, कच्चे तेल की कीमतें चढ़ गई हैं, जिससे महंगाई बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। एमपीसी इन सभी कारकों पर विचार करेगी और रेपो रेट पर यथास्थिति बनाए रखेगी। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि हम उम्मीद कर सकते हैं कि आरबीआई इस बार यथास्थिति बनाए रखेगा, क्योंकि महंगाई की दर अब भी ऊंची है और लिक्विडिटी की कमी है। खरीफ फसल, खासकर दालों को लेकर अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं।
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