दुनियाभर में मंदी की आहट, जानिए मंदी किसे कहते हैं? और क्या होता है इसका परिणाम?
राज एक्सप्रेस। इस समय पूरी दुनिया पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी चेतावनी देते हुए कहा है कि, ‘अगर सरकारें महंगाई को रोकने में नाकाम रहीं तो दुनियाभर में मंदी का खतरा है।’ इसके अलावा आईएमएफ (IMF) के प्रमुख ने कहा है कि साल 2026 तक दुनिया की वृद्धि 4000 अरब डॉलर तक कम हो सकती है। वहीं जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, ‘आने वाले एक साल के भीतर दुनिया की कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में आ जाएंगी।’ ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि मंदी किसे कहते हैं? और मंदी आने के क्या परिणाम होते हैं? तो चलिए जानते हैं :
मंदी किसे कहते हैं?
दरअसल जब किसी देश की अर्थव्यवस्था लंबे समय के लिए धीमी और सुस्त पड़ जाती है तो उस स्थिति को मंदी या आर्थिक मंदी (Economic Recession) कहा जाता है। अगर आंकड़ो के लिहाज से देखें तो जब किसी देश की अर्थव्यवस्था में लगातार 6 महीने तक गिरावट देखने को मिलती है तो उसे मंदी कहते हैं। वहीं अगर इस दौरान अर्थव्यवस्था में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आती है, तो उसे डिप्रेशन यानी चरम मंदी कहते हैं।
मंदी के परिणाम :
दरअसल जब भी किसी देश में मंदी आती है तो उसका बुरा प्रभाव वहां के आम आदमी के जीवन पर पड़ता है। इससे उस देश की अर्थव्यवस्था कम हो जाती है। जरूरत की चीजों के दाम बढ़ जाते हैं। लोगों के खर्च बढ़ जाते हैं, लेकिन आमदनी कम हो जाती है। लोगों की खरीदने की क्षमता कम हो जाती है। पैसा बचाने के लिए कंपनियां कर्मचारियों को बाहर कर देती हैं। कंपनियों में नई भर्तियां बंद हो जाती हैं। मंदी की मार के चलते कई छोटी कंपनियां बंद हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में देश में बेरोजगारी दर में जबरदस्त वृद्धि होती है। औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आती है और कर्ज की मांग घट जाती है। इसके अलावा मंदी के डर से निवेशक शेयर बाजारों से पैसे निकालने लग जाते हैं। यानी मंदी के चलते किसी भी देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होती है।
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